किसी ने अपने संतान की मुराद मांगी तो किसी को घर की शांति का है इंतजार

कांवड़ मेले में नन्हें भोलों से लेकर बुजुर्गो पर भी दिखा है भक्ति का असर

Meerut : शिवरात्रि नजदीक आते ही जहां शहर पर भोलों की भक्ति का रंग चढ़ने लगा है। वहीं कांवड़ मेले में अपनी मन की मुरादों को पूरा कराने आए कांवडि़यों में भी बाबा के दर्शन की आस देखने को मिल रही है। पांव में छाले, हाथों में गंगा जल और भोले के जयकारे लगाते कांवडि़यों में भोले शंकर को मनाने में बिल्कुल भी कसर नही छोड़ रहे हैं। इन कांवडि़यों में कोई वर्षो से बाबा को मनाने के लिए कांवड़ रहा है तो किसी को है आस है पहली बार में ही मुराद पूरी होने की।

नन्हें-मुन्नों में दिखा भक्ति का असर

इस बार भोलेनाथ को मनाने के लिए नन्हें-मुन्नें भोले भी कांवड़ लेकर आए हैं। अपने बड़ों व प्रियजनों के साथ हाथों में हाथ डाले नन्हें भोलों पर भक्ति का असर इतना हुआ कि उन्हें न तो किसी तरह की थकान हुई न ही चेहरे पर कोई शिकन आई। तीन साल का आयुष दिल्ली से अपने परिजनों के साथ कांवड़ लेकर आया था। आयुष के परिजनों ने बताया कि उसने पूरे रास्ते एक बार भी किसी चीज के लिए परेशान नही किया। आयुष पूरे रास्ते भोले की मस्ती में कांवडि़यों के साथ थिरकता गाता आया है। वहीं संगीता व श्याम सोनकर अपने दोनों बच्चों के साथ दिल्ली से कांवड़ लेकर आए हैं। उनकी दो साल की बेटी कुमकुम व पांच साल के बेटे श्याम ने उन्हें पूरे रास्ते बिल्कुल भी परेशान नहीं किया है। संगीता ने बताया कि पिछले तीन साल से लगातार कांवड़ ला रही है, उनकी आर्थिक समस्या थी। इस बार उनकी यह समस्या हल हो गई है, इसलिए पूरा परिवार कांवड़ लेकर आया है।

बच्चे की तबीयत रहती थी खराब

पंजाबीबाग की सीता अपनी लड़की की तबीयत को लेकर बहुत ही परेशान थी। उनकी बेटी बहुत समय से बीमार थी, कई डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी उसका इलाज नही हो पा रहा था। उसने पड़ोस के शिव मंदिर में जाकर इस संबंध में मन्नत मांगी थी। अब उसकी बेटी ठीक हो गई है, इसलिए वह अपनी बेटी व पति के साथ कांवड़ लेकर आई है। सीता ने बताया कि वह अब जब तक होगा हर साल कांवड़ लाने की कोशिश करेगी।

गोद भर दो बाबा

बुलंदशहर से कांवड़ लेने पहुंची किरण ने बताया कि उसकी शादी को 11 साल हो गए है, लेकिन एक भी संतान नही है, इसलिए वह पांच सालों से लगातार कांवड़ लेकर आ रही है। किरण का कहना था कि उसे पूरी आस है कि इस बार बाबा उसकी मन्नत पूरी करेंगे और उसकी गोद भर जाएगी। किरण ने बताया कि इस बार उसकी मन्नत पूरी होती है तो वह अगली बार पूरे परिवार के साथ कांवड़ लेकर आएगी।

घर की शांति के लिए लाते हैं कांवड़

बुलंदशहर की सुनीता, मीना, विमलेश ने बताया कि वह पांच महिलाएं कांवड़ लेकर आई है। सुनीता ने बताया कि उनका परिवार बहुत ही बड़ा है और हमेशा सब मिलजुलकर रहते हैं। सुनीता पिछले दस सालों से परिवार की शांति बनाए रखने के लिए वह इसी तरह परिवार के सदस्यों में प्रेम बनाए रखने की कामना बाबा से मांगती हैं। पारिवारिक शांति बनाए रखने के लिए ही वह कांवड़ लेकर आती हैं।

छह साल की उम्र से ला रहीं कांवड़

दिल्ली की सपना, मोनिका व राधा ने बताया कि वह तीनों बहुत अच्छी सहेली हैं। तीनों सहेलियों की शादी भी ही दिल्ली में आसपास हुई है। वह बताती है कि जब वह तीनों छह साल की उम्र थी तभी से कांवड़ ला रही हैं। पहले वह अपने बड़े बुजुर्गो के साथ कांवड़ लाया करती थी। आज उनकी शादी हो गई है, इसके बावजूद भी वह तीनों दिल्ली से हर साल कांवड़ लेकर आती है। वह तीनों बताती है कि उन्हें छह साल की उम्र से ही बाबा की भक्ति करना व कांवड़ मेला भी बहुत अच्छा लगता है। इसलिए वह तीनों छह साल की उम्र से लगातार कांवड़ ला रही है।

बेटों की खुशी के लिए कांवड़ यात्रा

दिल्ली से आए 60 साल के महीपाल ने बताया तक वह 20 साल से लगातार कांवड़ ला रहे हैं। उनके बेटे का काम अच्छा बना रहे और घर में सुख शांति बनी रहे इसलिए वह बाबा पर आस्था रखते हुए कांवड़ लाते हैं। महीपाल ने बताया कि उसके बेटे, बहू की खुशी के लिए मैं हर साल बाबा से मनोकामना करता हूं।