- बड़हलगंज स्थित मुक्तिपथ के पास जल भरने के दौरान धारा में बह गया कांवरिया

- घाट पर नहीं थी कोई व्यवस्था, मदद के लिए चिल्लाते रहे कांवरिए

DERWA/BADHALGANJ: बड़हलगंज स्थित मुक्तिपथ के करीब कांवर में जल भरते समय एक कांवरिया नदी में बह गया। नदी की तेज धारा में युवक को बहता देख उसके साथियों ने उसकी मदद के लिए काफी शोर मचाया लेकिन प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम न होने के कारण उसकी मदद नहीं की जा सकी। जिससे गुस्साए सैकड़ों कावरियों ने गोरखपुर-बनारस मार्ग को जाम कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने कावरियों को मनाने की काफी कोशिश की लेकिन कांवरिए मानने को तैयार नहीं थे। इस दौरान करीब ढाई घंटे तक सड़क को जाम रखा। कांवरियों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। जिससे सड़क के दोनों तरफ लम्बा जाम लग गया। इस दौरान बसों सहित विभिन्न सवारियों के यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

स्टीमर में नहीं था तेल

कांवर में जल भरते समय फिसलकर गिरे कावरिए को बहता देख साथी कावरियों ने वहां मौजूद पुलिस और जिम्मेदारों को जानकारी दी। जिम्मेदारों के कहने पर स्टीमर को चलाने वाले लोगों ने बताया कि इसमें तेल नहीं हैं। जिम्मेदारों ने तुरंत एक व्यक्ति को तेल खरीदने के लिए भेजा, लेकिन तब तक काफी लेट हो चुका था। करीब एक घंटे बाद तेल आया तब तक तेज बहाव में बहकर कांवरिया पता नहीं कहां चला गया। काफी देर से पहुंची प्रशासन की टीम ने जाल डालकर उसे ढूंढने की कोशिश की। देर शाम तक युवक का पता नहीं चल पाया था।

हादसे से नहीं लिया सबक

इसी स्थान पर पिछले साल भी एक कावरिए की डूबने से मौत हो गई थी। उस हादसे से भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया। इस स्थान पर सावन माह के रविवार को हर साल जल भरने के लिए सैकड़ों की संख्या में भोले के भक्त आते हैं। ये कांवरिया यहां से जल लेकर सोमवार को जलाभिषेक करते हैं। लेकिन यहां भीड़ की जानकारी होते हुए भी पुलिस और प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया जाता है। इसी का परिणाम रहा कि कांवरियां नदी की धारा में बह चला।

घर वाले भी ढूंढने में लगे

नदी के बहाव की चपेट में आने वाला कांवरिया गगहा थाना क्षेत्र के जलपहिया महुराई गांव का रहने वाला 18 वर्षीय देवनाथ यादव पुत्र रामवृक्ष यादव है। घटना की सूचना पाकर उसके परिवार के और गांव के लोग मौके पर आ गए थे। प्रशासन की टीम उसको ढूंढने में लगी हुई थी। इसके साथ ही घर वाले भी उसे ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। वे देर शाम तक वही जमे हुए थे। परिजन को खोकर घर वाले तो गमगीन हैं ही, साथी कांवरिए भी उदास हो गए हैं।