ऑस्ट्रेलिया दौरे पर कप्तान धौनी ने कहा है कि टीम थक गई है?
छोड़ दो खेलना. अगर थक गए हो तो छोड़ दो खेलना. आप प्रोफेशनल हैं. जब जीत जाओगे तो कहोगे कि फायदा मिला. जब हार रहे हो तो थकावट महसूस हो रही है. अगर थक गए हो तो आईपीएल में भी मत खेलना.


क्या वर्तमान टीम 1983 और 2011 विश्व कप का प्रदर्शन दोहरा पाएगी?
हम उम्मीद कर सकते हैं कि वे ऐसा करेंगे. उन्हें अच्छा खेलना होगा. हम क्यों नकारात्मक सोचें. बिना अच्छा खेले जीत नहीं सकते. इन्हें किसी को दोहराना नहीं है. इन्हें अपनी अहमियत खुद बनानी होगी. टीम युवा है और इसमें छह ऐसे बल्लेबाज हैं जो अपने बलबूते जीत दिला सकते हैं. टीम के पास अनुभवी कप्तान भी है.


2011 विश्व कप और इस विश्व कप की टीम में क्या फर्क है?

उस टीम में वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह जैसे नाम थे. उनमें अनुभव था, इनमें जोश है. इन लड़कों में लडऩे का जज्बा है. मैदान के बाहर भी और मैदान के अंदर भी.


क्या वर्तमान टीम की हालत विश्व कप जीतने लायक लग रही है?
ये दो सीरीज में फेल हो गए हैं इसका मतलब यह नहीं है कि उनमें ताकत नहीं है. ऑस्ट्रेलिया यहां आकर टेस्ट सीरीज में बुरी तरह हारकर गई थी, इसका मतलब यह नहीं कि वह खत्म हो गई थी. जब भारतीय टीम अच्छा खेलती है तो हम तारीफ करते हैं और अब नहीं खेल रही है तो उनकी आलोचना हो रही है. मेरा सिर्फ इतना मानना है कि वे इससे बेहतर क्रिकेट खेल सकते हैं. अगर ये अच्छा खेले तो विश्व कप ला सकते हैं. विश्व कप शुरू होने के बाद यह टीम अलग नजर आएगी.


विराट का बल्लेबाजी क्रम बदलने पर बड़ी बहस हो रही है. आपका क्या मानना है?
इस बारे में विराट ही बेहतर बता सकते हैं, लेकिन हमें इतिहास की तरफ देखना होगा. इतिहास यही कहता है कि गलतियां बार-बार नहीं दोहराई जा सकतीं. जो गलतियां हमने कल की थीं वह अब मत करो. हमें इतिहास से सीखना होगा.


धौनी की कप्तानी पर सवाल उठ रहे हैं. उनके बारे में आपका क्या कहना है?
धौनी ने देश की बहुत सेवा की है उसे नहीं भूलना चाहिए. हमने कभी नहीं सोचा था कि सुनील गावस्कर से बेहतर बल्लेबाज देश में आएगा, लेकिन देखते-देखते राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर आए. फिर हमने नहीं सोचा था कि सचिन से भी बेहतर कोई आ सकता है, लेकिन अब विराट बेहतर नजर आ रहे हैं. यानि लगातार बेहतर लोग आते रहेंगे.


क्या आप जैसा कोई ऑलराउंडर भी टीम इंडिया को मिलेगा?

आएगा, जरूर आएगा. कभी न कभी आएगा. हमें इसकी उम्मीद रखनी चाहिए

In Conversation With Abhishek Tripathi, Dainik Jagran

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