- आंवला सांसद ने फरीदपुर का कपूरपुर गांव लिया था गोद

- डीआरडीए की जांच में आबादी मिली कम, मिलेगा दूसरा गांव

BAREILLY:

सांसद की गोद में बैठने का सपना देख रहे कपूरपुर गांव की जनता को बड़ा झटका लगा है। जिला ग्रामीण विकास अभियंत्रण विभाग ने इस गांव को सांसद गांव बनने में अड़ंगा लगाया है। तर्क है कि इस गांव की आबादी सांसद गांव बनने के लायक नहीं है।

उठ रहे सवाल

आंवला सांसद धर्मेद्र कश्यप ने फरीदपुर तहसील का गांव कपूरपुर गोद लिया था। इसका प्रस्ताव डीआरडीए को भेजा गया। डीआरडीए ने इसकी जांच कराई तो पाया कि गांव की आबादी 3 हजार से कम है जबकि गोद लेने वाले गांव की संख्या इससे ज्यादा होनी चाहिए थी। वहीं, जातियों का समावेश भी क्रमवार न मिला। जिस पर अधिकारियों ने प्रस्ताव को आगे नहीं भेजा। विभागीय सूत्रों के मुताबिक सांसद ने मानकों के अनुरूप ही गांव चयन किया था। प्रस्ताव डीआरडीए पहुंचा तो विभाग ने जनसंख्या और जातियों की गणना कराई। जो गलत मिली। डाटा तैयार करने में जिला पंचायती राज पर सवालिया निशान लग रहे हैं।

यूं हुआ था खेल

लास्ट ईयर त्रिस्तरीय चुनाव से पहले मजरों में विकास की बयार बहाने के लिए गांवों का परिसीमन किया गया था। जिसमें सत्ताधारी पार्टी को जीत का सेहरा पहनाने के लिए जनसंख्या और जातियों का गलत डाटा फीड किया गया। जिसकी शिकायतें भी आई लेकिन निस्तारण नहीं किया गया। हाल ही में कपूरपुर गांव का मामला इसकी पोल खोल रहा है। डीआरडीए ने सांसद को दूसरे गांव के चयन के लिए कहा है। दूसरी ओर, सांसद एवं केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने भदपुरा ब्लॉक का गांव ढकिया बरकलीगंज गोद लिया है। जो मानकों पर खरा मिला। इसका प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेज दिया गया है। इस गांव में जागरुकता के लिए कार्यक्रमों का निर्धारण किया जा रहा है।

सांसद धर्मेद्र कश्यप ने कपूरपुर गांव का चयन किया था। जिसकी आबादी आबादी 3 हजार से कम है। इसीलिए अन्य गांव के चयन को कहा है।

साहित्य प्रकाश मिश्र, पीडी, डीआरडीए