- शुरुआत में सबने लिया सूझबूझ से काम, गोली चलने से बिगड़े हालात

- डीजीपी को सौंपी गयी खुफिया रिपोर्ट में एसपी की लापरवाही का जिक्र

- विपक्ष के एक बड़े नेता के घर पर हुई थी पंचायत, दोनों पक्ष थे मौजूद

LUCKNOW :

कासगंज में भड़की सांप्रदायिक हिंसा किसी सुनियोजित साजिश का परिणाम नहीं थी। खुफिया रिपोर्ट में सामने आया है कि पुलिस की गैरमौजूदगी के बावजूद उस पैमाने में हिंसा नहीं हुई जितना आमतौर पर इस तरह के माहौल में भड़क जाती है। तिरंगा यात्रा निकालने के दौरान हुई मामूली झड़प के करीब एक घंटे बाद पुलिस मौके पर पहुंची तो हालात ज्यादा खराब नहीं थे। गणतंत्र दिवस के अवसर पर दोनों ही पक्षों ने शुरुआती दौर में खासी सूझ-बूझ दिखाई थी, लेकिन बाद में कुछ अराजकतत्वों ने कासगंज को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दिया।

गोली चलने से बिगड़े हालात

सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद सहारनपुर में हुई जातीय हिंसा के बाद कासगंज की सांप्रदायिक हिंसा ने सरकार को सकते में भले ही डाल दिया हो, लेकिन डीजीपी मुख्यालय को इस बाबत मिली खुफिया रिपोर्ट में जिक्र है कि कुछ लोगों ने इस टकराव को टालने की कवायद भी की थी। विवाद के बाद विपक्ष के एक नेता के घर पर पंचायत भी हुई थी। पूर्ववर्ती सरकारों में इस नेता का प्रशासन पर खासा दबाव रहता था लिहाजा लोग अपनी बात कहने वहां गये थे। इस बीच दोबारा हिंसा भड़क गयी और छत से चली एक गोली अभिषेक गुप्ता उर्फ चंदन की मौत की वजह बन गयी। इसके बाद हालात बेकाबू होने लगे और जगह-जगह छिटपुट हिंसा की घटनाएं होने लगी जिसकी वजह से कासगंज को छावनी में तब्दील करना पड़ गया। डीजीपी मुख्यालय ने इस घटना के बाद वहां अतिरिक्त पुलिस बल भी भेजा ताकि हालात को सामान्य किया जा सके। फिलहाल पुलिस उस हमलावर को चिन्हित नहीं कर पाई है जिसने चंदन पर गोली चलाई थी।

नहीं भांप सके गंभीरता

जांच में यह भी सामने आया कि कासगंज के एसपी सुनील कुमार सिंह घटना की गंभीरता को नहीं भांप सके। जिस वक्त तिरंगा यात्रा निकालने को लेकर बवाल शुरू हुआ, स्थानीय पुलिस थाने में एक सब इंस्पेक्टर और कुछ होमगार्ड ही मौजूद थे। बाकी पुलिसकर्मी 15 किमी दूर पुलिस लाइन में परेड में व्यस्त थे। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय थाने का एसओ चंद पुलिसकर्मियों को लेकर रवाना हुआ जबकि एसपी को तत्काल मौके पर जाना चाहिए था। वहीं जांच में यह भी सामने आया है कि एसपी को लेकर राजनेताओं के साथ जनता में भी खासा असंतोष था।