इलाहाबाद से काशी के लिए रवाना हुआ कांवरियों का विशाल जत्था

ALLAHABAD: सावन मास में भगवान शिव की भक्ति से भक्तों को शक्ति मिलती है, तभी तो वह पैदल सैकड़ों किमी की दूरी तय करके जल चढ़ाने निकल पड़ते हैं। गुरुवार को नव युवक कांवरिया संघ बताशा मंडी के कांवरियों ने ऐसा ही उदाहरण पेश किया। तकरीबन तीन सौ कांवरियों का जत्था दशाश्वमेघ घाट से जल लेकर वाराणसी काशी विश्वनाथ के लिए रवाना हुआ। इसमें दस महिलाएं भी शामिल थीं। कांवरियों का जत्था सोमवार को काशी पहुंचकर भगवान का जलाभिषेक करेगा।

निकली शिव की रथयात्रा

दोपहर एक बजे भगवान शिव की रथयात्रा के साथ कांवरियों का जत्था बताशा मंडी से रवाना हुआ। इस मौके पर भगवान शिव समेत पार्वती और भगवान गणेश रथ पर सवार रहे, जिनका दर्शन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ एकत्र रही। डीजे, बैंड और गाजे-बाजे के साथ नृत्य करते कांवरियों ने भगवान का गगनभेदी जयकारा भी लगाया। उनके उत्साह को देखने के लिए भारी संख्या में लोगों की भीड़ मकानों की छत पर जमा रही।

वर्षो से निभाते आ रहे श्रद्धा

शहर के बताशा मंडी इलाके के मुकुंदेश्वर शिव मंदिर से हर साल कांवरियों का जत्था रवाना होता है। यह सिलसिला कई वर्षो से लगातार चला आ रहा है। कांवरियों ने बताया कि शिव की भक्ति से उन्हें शक्ति मिलती है और सालभर वह इस यात्रा का इंतजार करते हैं। जत्थे में ऐसे कई शिव भक्त शामिल थे जो पिछले 15 से 18 सालों से लगातार काशी विश्वनाथ मंदिर में शिव का जलाभिषेक करने जाते हैं। उनको रवाना करने के लिए परिवार के सदस्य भी मौके पर उपस्थित रहे।

बदल गया ट्रेंड, अब धोती-कुर्ता

समय के साथ भोले के भक्तों का ट्रेंड भी बदलता जा रहा है। पिछले सालों तक कांवरिए गेरुए रंग की टीशर्ट और लोअर पहनते थे लेकिन इस साल धोती-कुर्ता चलन में आ गया है। कांवरियों ने बताया कि मार्केट में गेरुए रंग का धोती-कुर्ते का सेट उपलब्ध है जिसकी डिमांड भी बहुत ज्यादा है। बताशा मंडी से रवाना जत्थे में शामिल कांवरिए इस पहनावे में नजर आए।

करनी होगी सनातन धर्म की रक्षा

नैतिक विकास शोध संस्थान के तत्वावधान में सावन मास में भगवान शिव की आराधना में जारी पार्थिव शिवलिंग निर्माण, अभिषेक, विसर्जन और महाशिवपुराण कथा नौवें दिन गुरुवार को भी जारी रही। त्रिवेणी बांध स्ििात श्री सिद्धपीठ हठीले हनुमान मंदिर पर पीठाधीश्वर महंत रघुवरदासजी महाराज के सानिध्य में पार्थिक शिवलिंगों का दुग्ध अभिषेक, विसर्जन व भगवान भोले नाथ की स्तुति सामाजिक कार्यकर्ता हर्षवर्धन बाजपेई ने की। उन्होंने कहा कि प्रयाग तीर्थो की महानगरी है और गंगा के निर्मलीकरण एवं जन कल्याण के लिए जन सामान्य को सनातन धर्म की रक्षा करनी होगी। महंत रघुवरदासजी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीराम ने स्वयं दूध से भोलेनाथ का अभिषेक किया था और भगवान शिव को दुग्धाभिषेक बहुत पसंद है। इस मौके पर पार्थिव शिवलिंग निर्माण समिति के संयोजक श्याम सूरत पांडेय, धर्मेद्र गिरि, प्रभाकर बनकटा, राजनाथ तिवारी, मधु चकहा, फूलचंद्र दुबे, ज्योति पांडेय, शरद मलैया आदि उपस्थित रहे।