-काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के लिए चल रहे ध्वस्तीकरण के दौरान बेहद चौंकाने वाली तस्वीरें आ रही सामने

-मंदिर क्षेत्र में गलियों व घरों से निकल रहा धरोहरों का पिटारा, मिल रहे हजारों साल पुराने मंदिर

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के तहत मणिकर्णिका व ललिता घाट से विश्वनाथ मंदिर तक 40-40 फीट के दो कॉरीडोर बनाने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए यहां हो रहे ध्वस्तीकरण के दौरान बेहद चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। मंदिर क्षेत्र में टूट रहे मकानों से भगवान की मूर्तियों के साथ हजारों साल पुराने मंदिर भी निकल रहे हैं। जिसे देख विशेषज्ञ भी हैरान हो रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि अब तक जो मंदिर मिले हैं उनमें से एक मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे ही दिख रहा है। ध्वस्तीकरण के दौरान प्राचीन मूर्तियों के साथ पुरातन कलाओं और शैली में निर्मित मंदिर भी मिल रहे हैं। यहां अब तक 43 मंदिर और विग्रह मिल चुके हैं। इनमें से कुछ 11वीं से 12वीं शताब्दी के भी बताए जा रहे हैं।

चंद्रगुप्त काल के मंदिर व अवशेष

जानकारों की मानें तो काशी को दुनिया का सबसे प्राचीनतम और जीवंत नगरी यूं ही नहीं कहा जाता है। विश्वनाथ कॉरीडोर के तहत यहां चल रहे ध्वस्तीकरण के दौरान कई ऐसे मंदिर मिले हैं जिनके पांच हजार साल पुराने होने का दावा किया जा रहा है। इनमें से कई मंदिरों व अवशेष के चंद्रगुप्त काल के होने से साबित होता है कि काशी उस काल में भी जीवंत नगरी रही। इन्हीं मंदिरों में से एक में बिल्कुल काशी विश्वनाथ जैसा शिवलिंग निकला है। हालांकि विशेषज्ञ इसे काशी विश्वनाथ के शिवलिंग से बड़ा होने का दावा कर रहे हैं। यही नहीं एक मकान का मलबा हटाए जाने के दौरान एक सुरंगनुमा रास्ता भी मिला है। जिसमें एंट्री करने के बाद सीढ़ीनुमा ढलान मिला। फिलहाल विशेषज्ञ इसकी पड़ताल में जुटे हैं।

लगे हैं तीन हजार मजूदर

कॉरीडोर के लिए पुरानी काशी यानी पक्का महाल में अब तक खरीदे गए करीब 175 भवनों को ध्वस्त करने के लिए तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं। ध्वस्तीकरण के दौरान मकानों के अंदर कैद या जमीन के नीचे दबे ऐसे कई मंदिर सामने आये हैं जो हजारों साल पहले गुम हो चुके थे। अद्भुत शिल्प कला और खूबसूरत नक्काशी वाले ये मंदिर चंद्रगुप्त काल से लगायत काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना काल के समय के बताए जा रहे हैं। इसके अलावा भारतीय स्टाइल में रथ पर बना भगवान शिव का एक अद्भुत मंदिर मिला है, जिसमें समुद्र मंथन से लेकर कई पौराणिक गाथाएं उकेरी गई हैं। वहीं, इसी मंदिर के सामने दीवार से ढका भगवान शिव का एक और प्राचीन विशाल मंदिर मिला है।

विशेषज्ञ टीम कर रही निगरानी

काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह की मानें तो ध्वस्तीकरण में मिले कुछ मंदिर उतने ही पुराने हैं जितनी पुरानी काशी नगरी के होने का अनुमान इतिहासकार लगाते हैं। जिन मकानों में प्राचीन मंदिर मिल रहे हैं वहां काम रोककर पहले उसे संरक्षित करने के लिए वीडियोग्राफी करायी जा रही है। इसके लिए कंसलटेंट कंपनी ने एक दर्जन विशेषज्ञों की टीम लगाई है जो मंदिर प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रही है।

बनेगा मंदिरों का संकुल

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया कि ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने के बाद जितने भी मंदिर मिलेंगे उनका संकुल बनाया जाएगा। प्राचीन मंदिरों से सजने वाला यह संकुल अपने आप में अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा। ध्वस्तीकरण में मिल रहे मंदिरों के अध्ययन की जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को सौंपा जा रहा है। साथ ही इन मंदिरों के स्थापना का वास्तविक काल की जानकारी करने के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाएगी।

वर्जन--

कॉरीडोर एरिया में करीब पांच हजार साल पुराने मंदिरों का मिलना बहुत बड़ी खोज है। इन मंदिरों के जरिए नेक्स्ट जेनरेशन के साथ दुनिया के लोग काशी की प्राचीनता को देखेंगे।

संतोष दास, महंत, सतुआ बाबा आश्रम

वर्जन--

ध्वस्तीकरण का काम पूरा होने पर जितने भी मंदिर सामने आएंगे उनका संकुल बनाने की प्लानिंग की जा रही है, जो कि अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा।

दीपक अग्रवाल, कमिश्नर