- पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

- बताया, सात साल पहले ही आवंटित हो चुका है बंगला

- सुरक्षा के लिहाज से छोटे से कोने में रहने का किया दावा

LUCKNOW :

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों से बंगला खाली कराने की कवायद में जुटे राज्य संपत्ति विभाग की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव द्वारा बंगला खाली करने के लिए दो साल की मोहलत मांगे जाने के बाद शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने लेटर बम फोड़ दिया। मायावती की ओर से बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा और विधानसभा में नेता बसपा लालजी वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर बताया कि 13, ए मॉल एवेन्यू स्थित बंगला वर्ष 2011 में ही मान्यवर कांशीराम यादगार विश्राम स्थल के नाम पर आवंटित किया जा चुका है। इसका फैसला तत्कालीन कैबिनेट ने लिया था। वहीं मायावती केवल इसकी देखभाल करने के लिए इसके छोटे से हिस्से में रहती हैं।

साल भर पहले भी बताया था

इतना ही नहीं, मायावती द्वारा भेजे गये पत्र में दावा किया गया है कि इस बाबत त्रुटि को सुधारने के लिए नौ जनवरी 2017 में राज्य संपत्ति अधिकारी को पत्र भी भेजा गया था। अपना दावा पुख्ता करने के लिए उन्होंने वर्ष 2011 में इस बाबत जारी किए गये सरकारी आदेशों की प्रति भी सौंपी है। पत्र में उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों दबे, कुचले, दलित व पिछड़े लोगों के मसीहा कांशीराम जब भी लखनऊ आते थे तो वह अधिकांश वक्त उक्त आवास में ही रहते थे। इसलिए उनकी स्मृति को प्रदेश के दबे, कुचले व पिछड़े लोगों का प्रेरणास्रोत बनाने के लिए तत्कालीन बसपा सरकार द्वारा इस आवास को 'मान्यवर श्री कांशीराम जी यादगार स्थल' के रूप में स्थापित कर दिया गया था। इसका पूरा खर्च भी बसपा द्वारा वहन किया जाता है। यह संपत्ति यादगार स्थल के रूप में आवंटित है ना कि पूर्व मुख्यमंत्री के आवास के लिए। इसलिए राज्य संपत्ति विभाग को अपनी इस गलती को सुधारना चाहिए। उन्होंने कैबिनेट के फैसले की विस्तृत जानकारी देते हुए यह भी बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें 6, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग स्थित आवास आवंटित किया गया था जो इस बंगले का एक हिस्सा है।

अपने नाम आवंटित बंगला छोड़ने को तैयार

मुख्यमंत्री को भेजे अपने पत्र में उन्होंने लिखा कि यह बंगला कैबिनेट द्वारा कांशीराम यादगार स्थल के लिए आवंटित किया गया था और उस दौरान इसे कभी किसी अन्य को आवंटित नहीं किये जाने का फैसला भी लिया गया था। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में वह पूर्व मुख्यमंत्री के नाम से आवंटित 6, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग स्थित आवास राज्य संपत्ति विभाग को वापस सौंप देंगी। हालांकि अपने प्राइवेट आवास में ज्यादा जगह नहीं होने की वजह से सुरक्षाकर्मियों के रहने की समस्या का जिक्र भी किया है। इस वजह से उन्होंने इस बाबत इंतजाम करने को कुछ मोहलत भी मांगी है। साथ ही चेताया है कि यदि वह इस आवास को अचानक छोड़ देती हैं तो वहां कोई घटना होने पर पूरे देश की शांति-व्यवस्था बिगड़ सकती है।