बीबीसी संवाददाता विनीत खरे से बातचीत में डॉक्टर मंज़ूर अहमद ने यह बात कही.

रविवार को दिल्ली से नज़दीक मेरठ शहर में निजी विश्वविद्यालय स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के दौरान कुछ कश्मीरी छात्रों के पाकिस्तान का समर्थन करने के बाद विश्वविद्यालय ने 67 कश्मीरी छात्रों को सस्पेंड कर दिया.

पाकिस्तान का समर्थन

डॉक्टर मंज़ूर अहमद ने बताया, “दो तारीख़ की शाम को छात्र हॉस्टल में टीवी पर भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देख रहे थे. कुछ छात्रों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए जिसपर हमारे वॉर्डनों ने उन छात्रों को डांट-डपट कर समझा दिया. लेकिन हॉस्टल के बाकी छात्रों ने नारेबाज़ी करने वाले छात्रों के बर्ताव पर आपत्ति की. अगले दिन हमने उन छात्रों को तीन दिन के लिए क्लास एटेंड करने से सस्पेंड कर दिया."

"हमने सोचा था कि वे आकर माफ़ी मांगेगे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. ऐसा न होने पर हमने सस्पेंशन अगले आदेश तक बढ़ा दिया.”

"अगर दूसरे छात्र कश्मीरी छात्रों के साथ मार-पीट पर उतर आते, तो हालात बहुत ही ख़राब हो सकती थी. इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए हमने उन्हें सस्पेंड किया."

-डॉ. मंज़ूर अहमद, कुलपति, स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय

उन्होंने बताया कि कश्मीरी छात्रों के कदम से हॉस्टल के बाकी छात्रों में ग़ुस्सा था इसलिए उन छात्रों से हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया. उन छात्रों ने दिल्ली जाने की मंशा ज़ाहिर की और इसका इंतज़ाम कराया गया.

डॉक्टर अहमद का कहना था, “मेरठ बहुत ही संवेदनशील जगह है. यहां से नज़दीक मुज़फ़्फ़रनगर में हाल ही में दंगे हुए हैं. मामला संवेदनशील इसलिए हो गया था क्योंकि अगर दूसरे छात्र उनके साथ मार-पीट पर उतर आते, तो हालात बहुत ही ख़राब हो सकते थे. इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए हमने उन्हें सस्पेंड किया.”

कुलपति का दावा है कि इस मामले में पाकिस्तान का समर्थन करने वाले सिर्फ़ 10-12 छात्र ही थे लेकिन बाकी छात्र उनका नाम नहीं बता रहे थे इसलिए 67 कश्मीरी छात्रों को सस्पेंड करने का फ़ैसला किया गया.

कुलपति ने कहा, “इरादा यही था कि मामला ठंडा होते ही सस्पेंशन वापस ले लिया जाएगा. हमें दूसरे लड़कों के जज्बात भी देखने थे. हम मामले की जांच करा रहे हैं. बहुत ज़्यादा हुआ तो यह होगा कि वो हॉस्टल के बाहर रहें. सस्पेंशन तो अगले आदेश तक ही है.”

स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय में करीब 300 छात्र पढ़ते हैं. पिछले दो-तीन साल से कश्मीर से छात्र वहां पढ़ने आ रहे हैं.

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