- हर मंथ में लगने चाहिए विभिन्न तरह के स्वास्थ्य कैम्प

- काउंसिलिंग के जरिए दी जानी थी गुड टच बैड टच की जानकारी

Meerut कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की बालिकाओं के लिए चलाई गई स्वास्थ्य योजना केवल कागजों में ही चल रही हैं। मेरठ में चलने वाले पांच विद्यालयों में से अभी तक एक बार भी योजना के संबंध कुछ नहीं हुआ है। सालों से चल रहे इन विद्यालयों में अभी तक सरकारी स्वास्थ्य योजना का उद्घाटन तक नहीं हुआ है।

क्या है योजना

कस्तूरबा की लाडली के लिए शासन ने एक बालिका स्वास्थ्य योजना चलाई हुई है। इन कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में पांच सौ से भी अधिक बालिकाएं कक्षा छह से आठवीं तक की पढ़ाई कर रही हैं। शासन की इस योजना के तहत बालिकाओं के शारीरिक, मानसिक व उम्र के साथ आने वाले बदलाव का भी निरीक्षण होना था। जिसके लिए हर मंथ एक स्वास्थ्य कैम्प लगाने की योजना शासन ने बनाई थी।

कागजों में चल रहे हैं कैम्प

बालिकाओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के साथ ही विभाग को हर मंथ उनके चेकअप व स्वास्थ्य संबंधित इलाज की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जिसके लिए शासन ने लाखों रुपए का बजट भी भेजा है। एक मंथ के कैम्प के लिए जनपद को 30 हजार रुपए का बजट दिया था। लेकिन बालिकाओं की बदकिस्मती से यह कैम्प केवल कागजों में ही चल रहे हैं।

कैसे होगा मानसिक विकास

वैसे तो सरकार ने भी बालिकाओं को सशक्त बनाने के लिए व उनके मानसिक विकास के लिए तमाम दावें किए थे। जिसके लिए बालिकाओं को मानसिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए स्पेशल मंथली काउंसिलिंग देने की जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग को सौंपी थी। लेकिन शासन के तमाम दावों पर बेसिक शिक्षा विभाग ने पानी फेर दिया है।

प्राइवेट कैम्पों से चल रहा है काम

विद्यालयों में केवल प्राइवेट संस्थाओं के माध्यम से ही दांतों व आई चेकअप कैम्प लग पाते हैं। विद्यालय की बालिकाओं के बारे में प्राइवेट संस्थाएं तो सोचती है, लेकिन सरकारी विभाग ने एक बार भी बालिकाओं के स्वास्थ्य की सुध नहीं ली है। अब तक पचास से भी अधिक प्राइवेट स्वास्थ्य कैम्प विद्यालयों में लग चुके हैं।

अगले मंथ विद्यालयों में स्वास्थ्य कैम्प लगाया जाएगा। जिसके लिए विभाग में तैयारी चल रही हैं, विभाग को इस संबंध में कोई दिशा निर्देश नहीं है कि कैम्प के लिए डाक्टर कौन होंगे।

मोहम्मद इकबाल, बीएसए