उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है, ''केदारनाथ में इन्फ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह बर्बाद हो गया है. कम से कम एक साल तक केदारनाथ यात्रा शुरू नहीं हो पाएगी. इसके चालू होने में दो से तीन साल का वक्त भी लग सकता है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर हालात से निपटने की कोशिश कर रही हैं.''

रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बारिश और बाढ़ से हुई बर्बादी का जायजा लिया.

उत्तराखंड में अभी भी 60 हजार से अधिक यात्री फंसे हुए हैं. पिछले दो दिन के मुकाबले राज्य में मौसम में सुधार हो रहा है, जिससे बचाव और राहत कार्य तेज हुआ है.

राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बल बचाव और राहत कार्य में जुटे हैं. आईटीबीपी ने गोविंदघाट से ही चार हजार लोगों को बचाया है. प्रभावित इलाकों के दौरे के बाद विजय बहुगुणा ने पत्रकारों से बात की.

ज्यादा हो सकती है मरने वालों की संख्याः पीएम

बर्बादी का हवाई जायजा लेने के बाद प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, 'हमने अपनी आंखों से बर्बादी देखी है. जो हमने देखा, वह बहुत तनावपूर्ण था. अभी तक 102 के मरने की पुष्टि हुई है लेकिन हमें डर है कि मरने वाली की तादाद और ज्यादा बढ़ सकती है. जीवन और संपत्ति के नुकसान के आंकलन में अभी और वक्त लगेगा. इस समय हमारी पहली जिम्मेदारी राहत और बचाव कार्य है.'

केदारनाथ में सबसे ज्यादा तबाही

केदारनाथ और उसके आसपास के इलाके में सबसे ज्यादा तबाही हुई है. हमारी पहली प्राथमिकता राहत और बचाव कार्य है और इसमें कोताही नहीं बरती जाएगी. राज्य और केंद्र सरकार ने बचाव कार्यों में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. 5500 से अधिक जवान राहत कार्य में लगे हैं. एनडीआरएफ की 13 टीमें भी राहत कार्य में लगी हैं. हेलीकॉप्टरों और विमानों की मदद ली जा रही है.

मरने वालों के परिवारों को दो-दो लाख

प्रधानमंत्री राहत फंड से मृतकों के परिवारों को दो-दो लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा और घायलों को 50 हजार का मुआवजा मिलेगा. जिन लोगों के घरों को भारी नुकसान हुआ है, उन्हें एक लाख और जिनके घरों को कम नुकसान हुआ है उन्हें 50 हजार रुपए की मदद मिलेगी. उत्तराखंड के लिए एक हजार करोड़ रुपये की राहत राशि दी जाएगी, जिसमें से 145 करोड़ हम तुरंत रिलीज करेंगे.

एक साल तक बंद रहेगी केदारनाथ यात्रा: बहुगुणा

केदारनाथ मंदिर 1882 में कुछ यूँ दिखता था (तस्वीर: भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के सौजन्य से)

विकास संतुलित हो-विजय बहुगुणा

केदारनाथ इको सेंसिटिव जोन का हिस्सा नहीं है. मैंने पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन होना चाहिए. बांधों की भी ज़रूरत है और पर्यावरण को भी बचाना है.

पर्याप्त फंड

राज्य सरकार के पास फंड की कमी नहीं है. हमने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जितना संभव है, उतनी राहत दी जाए. राहत देने के लिए नियमों का ख्याल न किया जाए, बस लोगों तक जैसे भी हो राहत पहुंचाई जाए.

मदद की अपील

इस प्राकृतिक विपदा से बहुत लोग प्रभावित हुए हैं. जो यात्री फंसे हैं जनता उनकी मदद करे. उन्हें सामान महंगा न बेचें. बहुत से लोग मदद करने का प्रयास कर रहे हैं. लोग खेतों में फावड़ा चलाकर हेलीकॉप्टर उतरवा रहे हैं. पॉयलट साहस दिखाते हुए बहुत सूझ-बूझ से कार्य कर रहे हैं. इतनी बड़ी आपदा से निपटने में समय लगेगा. लोग एक दूसरे की मदद करें.

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