-सभी संस्कृतियों को आत्मसात करने की संस्कृति है भारतीय संस्कृति: चिदानंद मुनि

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PRAYAGRAJ: अरैल एरिया स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में गुरुवार को कीवा फेस्टिवल का आगाज हुआ। निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी को गले लगाने और सभी संस्कृतियों को आत्मसात करने की संस्कृति है। हम संगम के तट पर हैं। संगम में डुबकी लगा रहे हैं तो डुबकी के साथ अपने जीवन में जो भी अगर-मगर की संस्कृतियों का संस्कार है। उसे संगम की डुबकी में ही डुबो दे और सरलता, सात्विकता और शुद्धता का संदेश लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि जिंदगी केवल न जीने का बहाना, जिंदगी केवल सांसों का खजाना। जिंदगी सिंदूर है पूरब दिशा का जिंदगी का काम है सूरज उगाना।

वैलेंटाइन-डे का बताया महत्व

स्वामी चिदानंद सरस्वती ने वेलेंटाइन डे पर युवाओं को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। उन्होंने कहा कि आप सड़कों पर जाए, पाकरें में जाएं लेकिन वहां जाकर स्वच्छता का संकल्प लें। पाकरें में जाकर पेड़ लगाने का संकल्प लें और पेड़ लगाकर अपना वेलेंटाइन डे मनाएं। सड़कों को साफ सुथरा कर वैलेंटाइन डे मनाएं। इसकी शुरुआत अपने गांव, गलियों व अपने मोहल्ले से करें। इस दौरान स्वामी चिदानंद सरस्वती की अगुवाई में साध्वी भगवती सरस्वती, स्वामी परमा द्वैती, बेरितो कोबाडिया, गेगोडियो हेक्कोने, राहुल गुटीमेरेज, लाइला जुलियो, माबिया लनेसे ने धरती को स्वच्छ रखने का संकल्प लिया।

तीस देशों से पहुंचे लोग

कीवा फेस्टिवल में दुनिया के तीस देशों के आदिम जाति-आदिवासी जनजाति के लोगों ने पहुंचकर शुभारंभ अवसर पर विशेष साधना की। जिसमें भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, चीन, मैक्सिको, बेल्जियम, नीदरलैंड, पेरू, जर्मनी, अर्जेटीना, इटली व नावर्ें आदि देश शामिल हैं।