ये दरें दो स्लैब यानी शून्य से 200 और 201 से 400 यूनिट लागू होंगी.

बैठक के बाद केजरीवाल ने बताया, ''मैं सीएजी से मिला था और हम कोशिश कर रहे हैं कि बिजली कंपनियों का सीएजी ऑडिट हो. इस बारे में बिजली कंपनियों को कल सुबह तक अपनी आपत्तियाँ दर्ज करनी हैं उसके बाद तय होगा कि ऑडिट होगा या नहीं.''

उन्होंने कहा, ''जब तक ऑडिट नहीं होता तब तक ग़रीब जनता को आराम देने के लिए तय किया गया कि जो लोग 0 से 200 और 201 से 400 यूनिट तक बिजली ख़र्च करते हैं उनके रेट आधे किए जाएँगे. अभी तक इस वर्ग में थोड़ी सब्सिडी थी मगर अब आधी सब्सिडी दी जाएगी. जब ऑडिट हो जाएगा तब हम देखेंगे कि क्या कहती है वो रिपोर्ट, हमें उम्मीद है कि उसके बाद इस सब्सिडी की ज़रूरत ही नहीं होगी.''

इस फ़ैसले के बाद दिल्ली के 34 लाख उपभोक्ताओें में से 28 लाख उपभोक्ताओं को इसका फ़ायदा होगा.

इससे सरकारी खजाने पर कुल 200 करोड़ का भार आएगा है लेकिन वास्तिवक भार केवल 61 करोड़ रुपया होगा.

बाकी राशि बिजली कंपनियां मिलकर भरेंगी क्योंकि उनके ऊपर साढ़े चार हजार करोड़ रुपया बकाया है.

हमने पहले कांग्रेस से जगदीश मुखी के नाम का प्रस्ताव दिया फिर शोएब इकबाल का नाम दिया उन्होंने भी मना कर दिया था लेकिन मतीन अहमद तैयार हो गए हैं.

बिजली कंपनियों का ऑडिट

केजरीवाल ने 'पूरा किया' बिजली का भी वादा

इससे पहले मंगलवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी सीएजी से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुलाकात की.

मीटिंग के बाद केजरीवाल ने कहा कि लेखाधिकारी बिजली कंपनियों के ऑडिट के लिए तैयार हैं.

मंगलवार की शाम को केजरीवाल कैबिनेट की बैठक हो रही है और संभावना है कि बिजली कंपनियों के ऑडिट से लेकर अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले हो सकते हैं.

बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनके पास सिर्फ 48 घंटे हैं.

बुधवार को कैबिनेट की बैठक में बिजली कंपनियों के जवाब का अध्ययन करने के बाद निर्णय लिया जाएगा.

उन्होंने कहा कि विश्वासमत के लिए काफी जोड़-तोड़ हो रही है. ऐसे में उनके पास समय काफी कम है और पता नहीं कब तक सरकार चलेगी.

मुख्यमंत्री ने इस बात का खंडन किया कि ऑडिट का निर्णय पहले ही हो चुका है बस घोषणा की औपचारिकता बाकी है.

केजरीवाल के मुताबिक़ सीएजी ने कहा कि ऑडिट का काम बिजली कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे कितनी जल्दी दस्तावेज उपलब्ध कराती हैं और इसमें कितना समय लगेगा.

जब उनसे पूछा गया कि बिजली कंपनियों की अनियमितता के बारे वह कितने निश्चित हैं तो उन्होंने कहा कि ऑडिट पर निर्भर करेगा.

'आप' और भाजपा दोनों ही पार्टियां बिजली कंपनियों के ऑडिट की मांग करती रही हैं. उनका आरोप है कि बिजली कंपनियां भारी अनियमितता बरत रही हैं.

हालांकि तीनों बिजली कंपनियां बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड इसका विरोध कर रही हैं.

जुलाई में दिल्ली विद्युत नियामक आयोग ने भी तीनों कंपनियों के ऑडिट किए जाने की बात कही थी.

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