कहीं रेवेंयू टारगेट का तो खेल नहीं
केस्को को जनवरी 2014 में टोटल 164 करोड़ रुपए रेवेंयू वसूलने का टारगेट यूपीपीसीएल ने दिया है। जबकि जनवरी में दो महीने के लिए लागू की गई वनटाइम सेटलमेंट स्कीम में केस्को को बकाएदारों से 150 करोड़ रुपए रेवेंयू वसूलना है। इसमें से 60 करोड़ जनवरी में और 90 करोड़ रुपए फरवरी में वसूलने हैं.  इसी टारगेट से ऑफिसर घबराए हुए हैं क्योंकि नवंबर और दिसंबर में ही केस्को ऑफिसर यूपीपीसीएल के टारगेट से काफी कम रेवेंयू वसूल कर सके हैं। तीन महीने तक बिल न जमा करने वालों से वसूले जा रहे इस नए चार्ज की वजह भी केस्को के इंजीनियर दबी जुबां में रेवेंयू टारगेट को ही बता रहे हैं।

2077 करोड़ बकाया
केस्को ऑफिसर्स की मानें तो 1,37,000 लोगों पर 2077 करोड़ रुपए बकाया है। जिसमें बिल स्टॉप में 1537 करोड़ रुपए और लाइव पर 540 करोड़ रुपए बकाया हैं। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी केस्को ऑफिसर, डिफाल्टर्स से बकाया वसूल नहीं पा रहे हैं.  मिलीभगत होने के कारण इनके कनेक्शन भी नहीं काटे जाते हैं।

डिसकनेक्शन के नाम पर खेल
केस्को सोर्सेज का कहना है कि 300 रुपए वसूली का खेल डिसकनेक्शन के नाम पर खेला जा रहा है। बकाएदारों के कनेक्शन काटने के लिए केस्को के सभी 4 सर्किल में टीमें बनी हुई है लेकिन वे उनके कनेक्शन नहीं काटती है, हाथ पर हाथ धरे बैठी रहती है। जबकि इन्हें लाखों रुपए पेमेंट किया जाता है। अगर कनेक्शन काटे जाते रहते तो 1.27 लाख लोगों पर शायद 2077 करोड़ रुपए बकाया नहीं होते।

केस्को को फायदा ही फायदा
जो लोग टाइम से इलेक्ट्रिसिटी बिल नहीं जमा करते हैैं, एक तो उन्हें टाइम पीरियड के अन्दर बिल जमा करने पर मिली रिबेट नहीं मिलती है। दूसरे अगले महीने के बिल पर 18 परसेंट पर ईयर के हिसाब से (1.5 परसेंट) सरचार्ज लगाया जाता है.  इस तरह लगातार तीन महीने तक या इससे अधिक समय तक बिल न जमा करने वालों से केस्को को तिहरा फायदा हो रहा है। एक तो उन्हें रिबेट नहीं मिलती, दूसरे तीन महीने बाद बिल जमा करने पर सरचार्ज देना पड़ता है। इसके अलावा केस्को की मनमानी का 300 रुपए एक्स्ट्रा चार्ज अलग से जमा करना पड़ रहा है। अगर ये 300 रुपए लोग जमा नहीं करते तो केस्को के कैश काउन्टर से बिल भी वापस लौटा दिया जाता है। चूंकि लोगों को 300 रुपए की रसीद भी दी जाती है। इसलिए लोग समझते है कि कोई शासनादेश होगा। इसलिए वे विरोध नहीं करते हैं। इसका फायदा केस्को के दलाल व इम्प्लाई उठाते है। अब तक हजारों लोग केस्को की मनमानी का शिकार हो चुके है। ऐसे लोगों को कुछ छूट दिलाने के नाम पर केस्को इम्प्लाई व दलाल भी अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं।

पहले भी हो चुका
ऐसा नहीं है कि टाइम से बिल न जमा करने वालों के साथ पहली बार ये मनमानी की जा रही है। इससे पहले तत्कालीन एमडी आरएस पांडेय के समय भी ऐसा हुआ था। तब तो एक महीने भी बिल न जमा करने पर 100 रुपए एक्स्ट्रा वसूली हो रही थी। इसकी शिकायत लोगों ने केस्को एमडी से की, तब ये अवैध वसूली बन्द हुई थी।

शायद केस्को ऑफिसर्स ने नहीं लिया सबक
दो दिन पहले हाईकोर्ट इलाहाबाद ने डेवलपमेंट अथॉरिटीज में डेवलपमेंट के नाम पर पब्लिक से वसूले जा रहे परमिट, सुपरविजन, इंसपेक्शन, पार्क आदि शुल्क को अवैध ठहरा दिया। इसकी वजह ये थी कि यूपी अरबन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट-1973 में ऐसे शुल्क का कोई प्रावधान नहीं है। केडीए की वीसी जयश्री भोज ने बताया कि ये सही है कि परमिट, सुपरविजन आदि शुल्क एक्ट में नहीं था। एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के बेस पर ये शुल्क लिए जाते थे। अब गवर्नमेंट इसको लेकर रूल बना रही है। कैबिनेट में भी ये प्रपोजल ले जाया जाएगा।

 
जो लोग लगातार 3 महीने तक बिल नहीं जमा करते है। उनका कनेक्शन डिसकनेक्ट मान लिया जाता है। उनसे डिसकनेक्शन फीस के रूप में 300 रुपए जमा कराए जाते हैं। इसकी उन्हें रसीद भी दी जा रही है।

- एसएन बाजपेई, एमडी केस्को

-तीन महीने तक बिल न जमा करने वालों से 300 रुपए एक्स्ट्रा वसूलने का कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। अगर केस्को में ऐसा हो रहा है तो पूरी तरह से गलत है। जो लोग बिल नहीं जमा करते है, उनका कनेक्शन काटना चाहिए। कनेक्शन काटने की जो फीस है, वह लेनी चाहिए।

- एपी मिश्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर, यूपीपीसीएल