- मेडिकोज ने दिया प्लास्टिक से दूर रहने का संदेश

- प्लास्टिक है जहर: खत्म किया जाए इसका प्रयोग

LUCKNOW: छोटे बच्चे जिस सिन्थेटिक प्लास्टिक के निप्पल से दूध पीता है उसमें बीपीए (बिस्फिनॉल-ए) नामक हानिकारक केमिकल पाया जाता है। रसायन के शरीर में अधिक मात्रा में पहुंचने से बच्चे का विकास व वजन कम होता है। हार्ट व प्रजनन क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ता है। यह जानकारी बीएचयू के फिजियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। एसबी देश पांडेय ने दी। वे केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के क्फ्0वें स्थापना दिवस के अवसर पर जानकारी दे रहे थे।

दिया रिसर्च का हवाला

इस अवसर पर प्रो। देश पांडेय ने प्लास्टिक से उत्सर्जित विषाक्त रसायनों के नर्वस सिस्टम और ब्लड सर्कुलेशन सिस्टम पर प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बच्चे से लेकर सीनियर सिटीजन तक सभी प्लास्टिक का बेधड़क प्रयोग कर रहे हैं यह खतरनाक है, क्योंकि प्लास्टिक में ऐसे हानिकारक रसायन होते हैं जो मानव के सभी अंगों को समान रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं। आंखों की रोशनी से लेकर प्रजनन क्षमता तक सभी कुछ प्लास्टिक में पाए जाने वाले रसायन के प्रभाव से कमजोर हो रही हैं। प्रो। देश पांडेय ने अपनी रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि देश में हर साल 8 बिलियन पाउंड प्लास्टिक का प्रयोग हो जाता है। प्लास्टिक का प्रयोग करने के साथ ही जो लोग गरम खाद्य पदार्थो खासकर दूध व चाय को प्लास्टिक के पैकेट में रखते वह खतरनाक है क्योंकि इससे प्लास्टिक के केमिकल उसमें घुल जाते हैं। जो हमारे बॉडी में पहुंचता है। इस अवसर पर ख्0क्फ् बैच के स्टूडेंट्स को सम्मानित किया गया। ख्0क्ब् बैच के मेडिकोज ने क्रिएटिव राइटिंग टी शर्ट, मेंहदी, रंगोली प्रतियोगिता के माध्यम प्लास्टिक से दूर रहने का संदेश दिया। इस अवसर पर एलयू के वीसी प्रो। एसबी निम्से, केजीएमयू के वीसी प्रो। रविकांत सहित अन्य लोग मौजूद थे।