- केजीएमयू ने दिए अनुबंध को आगे न बढ़ाए जाने के संकेत

- कहा, प्राइवेट संस्था को करना होगा मशीनों का अपग्रेडेशन

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LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में सालों से चले आ रहे प्राइवेट सेक्टर की एमआरआई और सीटी स्कैन अब हट सकती है। वीसी ने मशीन लगाने वाली संस्था को इसके लिए नोटिस जारी कर दिया है। अगर संस्था ने मानकों के अनुसार, अपनी मशीन का अपग्रेडेशन न किया तो उसे अपनी मशीनों को हटाना पड़ेगा। केजीएमयू अपनी खुद की मशीनें लगाकर अपने मरीजों की जांच करेगा।

मामला कुछ यूं है

केजीएमयू में पिछले क्भ् साल से प्राइवेट संस्था की एमआरआई और सीटी स्कैन मशीन लगी हैं। जिसमें केजीएमयू के सभी मरीजों का एमआरआई और सीटी स्कैन होता है। लेकिन रेट्स को लगभग सरकारी हॉस्पिटल की तरह रखा गया है। केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि मशीन अभी म्ब् स्लाइस की लगी है, जबकि अब समय क्ख्8 स्लाइस का है। संस्था को नोटिस दिया गया है कि या तो वे अपनी मशीनों को अपग्रेड करें अन्यथा उनका अनुबंध आगे नहीं बढ़ाया जाएगा।

पूरा पैसा देना पड़ता था

केजीएमयू के पास अपनी मशीनें हैं उन्हीं से काम कराया जाएगा। इसमें दिक्कत यह भी थी कि अगर किसी गरीब मरीज को फ्री इलाज करना होता है तो केजीएमयू को इस संस्था को पूरा पैसा देना पड़ता था।

सिर्फ प्राइवेट की चांदी

यही नहीं भले ही केजीएमयू और निजी संस्था के बीच न्यूनतम दरों को लेकर करार था, लेकिन केजीएमयू में एमआरआई कराना सबसे महंगा पड़ता है। जबकि सिर्फ मशीन ही प्राइवेट की है, उस पर जांच करने वाले डॉक्टर और टेक्नीशियन सब केजीएमयू के हैं। कुल मिलाकर केजीएमयू की मैनपावर, बिजली, जगह यूज करने वाली प्राइवेट संस्था ही चांदी काट रही थी, फिर भी मरीजों को तीन-चार दिन वेटिंग के बाद ही जांच हो पाती थी।

अगर मशीनें अपग्रेड न की गई तो एग्रीमेंट खत्म कर दिया जाएगा। क्योंकि बीमारियों के डायग्नोसिस के लिए मशीनों का उच्चीकरण जरूरी है, जबकि वर्तमान मशीनें पुराने मानकों पर हैं।

- प्रो। रविकांत,

वीसी, केजीएमयू