- केजीएमयू को इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पार्टेस के दायरे में लाने का लक्ष्य

LUCKNOW: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय का मेन फोकस अब रिसर्च पर होगा। ताकि केजीएमयू को इंस्टीट्यूट ऑफ नेशनल इम्पार्टेस के दायरे में लाया जा सके। इससे केजीएमयू को केन्द्र से फंडिंग मिलने लगेगी। अभी केजीएमयू को फंडिंग सबसे बड़ी समस्या रहती है। इसके लिए डॉक्टर्स को प्रोत्साहित किया जाएगा। वीसी प्रो। रविकांत ने बताया कि हमारा मेन काम डिग्री देना और रिसर्च करना है। अगर रिसर्च नहीं करेंगे तो सोसाइटी के लिए कुछ नहीं कर पाएंगे।

टीचर्स को मिलेगी मदद

गुरुवार को हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक के बाद वीसी प्रो। रविकांत ने बताया कि किसी संस्थान की रेटिंग नेशनल, इंटरनेशनल लेवल पर रिसर्च वर्क से ही होती है। लेकिन केजीएमयू में रिसर्च वर्क निल है। रिसर्च वर्क को बढ़ावा देने के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर को प्रोजेक्ट बनाकर देने और उसके सेलेक्ट होने पर एक लाख रुपए दिए जाएंगे। प्रोफेसर अपने संसाधनों से स्वयं फंड जुटाएंगे। अब छात्र प्रोजेक्ट बनाकर अपने एचओडी को देंगे। एचओडी डीन के अंडर में कमेटी के समक्ष में रखेगा यहां से सेलेक्ट होने पर ही एथिकल कमेटी में भेजा जाएगा। जिसके बाद वह विभिन्न संस्थाओं से फंडिंग के लिए डिमांड कर सकेंगे।

फंडिंग की है दिक्कत

प्रोक् रविकांत ने बताया कि एम्स का बजट क्म्00 करोड़ का है और हमारा बजट ब्00 करोड़। एम्स में 7भ् छात्रों का एडमिशन होता है और हमारे संस्थान में फ्भ्0 छात्रों का एडमिशन होता है। एक एक स्टूडेंट के खाते में एक करोड़ भी नहीं आता। उनके बराबर शेाध और गुणवत्ता के मामले में आने के लिए उनके बराकर फंडिंग चाहिए।

उन्होंने बताया कि मरीजों के अच्छे इलाज के मेडिकल आंकोलॉजी सहित कई अन्य नए विभागों की भी स्थापना की जाएगी। इसके अलावा केजीएमयू के सेटेलाइट कैम्पस में कैंसर सेंटर खोलने का विचार है सेटेलाइट कैम्पस में कैंसर सेंटर खोलने पर विचार किया जा रहा है। जिसमें सभी प्रकार के कैंसर मरीजों का इलाज किया जा सकेगा।

पीजीआई के बराबर मिलेगी सैलरी

प्रो। रविकांत ने बताया कि पिछले दो साल में ख्0 फैकल्टी मेम्बर केजीएमयू को छोड़ चुके हैं। क्योंकि यहां पर सैलरी कम है। सरकार से मांग की जाएगी कि केजीएमयू में भी सैलरी संजय गांधी पीजीआई के बाराबर दी जाए। इससे यहां भी सैलरी स्ट्रक्चर पीजीआई, लोहिया और सैफई इंस्टीट्यूट के बराबर हो जाएगा और डॉक्टर्स का पलायन रुकेगा।

बनेगी एंटीबायोटिक पॉलिसी

एंटीबायोटिक का मिस यूज रोकने के लिए केजीएमयू में एंटीबायोटिक पॉलिसी बनेगी। यहां पर क्00 सर्जन ख्00 तरह की एंटीबायोटिक लिखते हैं यह रोका जाएगा। इसके अलावा फार्माकोविजिलेंस कमेटी का भी गठन किया जाएगा। जो मरीजों को दी जा रही दवाओं पर नजर रखेगा। इसके अलावा ऑपरेशन के दौरोंट भी ऑपरेशन प्रोसीजर लागू किया जाएगा। इसके लिए गाइडलाइन्स तय होंगी। ताकि दवा देने के साथ ही ऑपरेशन भी सभी एक ही समान विधि से करें। इसके अलावा ट्रॉमा की अप्रग्रेडिंग, एमरजेंसी मेडिसिन भी शुरु करने की योजना हे।