- एमसीआई ने कम की केजीएमयू में सीटें

- 250 के बजाए अब सिर्फ 185 सीटें ही शेष बचीं

LUCKNOW: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय 'केजीएमयू' की लापरवाही के कारण म्भ् सीटें घटा दी हैं। अगर समय रहते केजीएमयू प्रशासन ने उचित कदम उठा लिया होता तो यह नौबत न आती। अब सीटें कम होने के बाद आनन-फानन में केजीएमयू प्रशासन ने अपनी टीम एमसीआई में भेजी है। लास्ट ईयर ख्भ्0 एमबीबीएस सीटों पर स्टूडेंट्स को प्रवेश मिला था और इस बार सिर्फ क्8भ् की ही परमीशन मिली है।

नहीं मिली कोई जानकारी

हर साल एमसीआई इंस्पेक्शन के बाद कमियों की जानकारी मेडिकल कॉलेजों को देता है। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज उसे सुधारते हैं या तय समय में सुधारने का आश्वासन देते हैं। इस पर एमसीआई सीटों पर एडमिशन की परमीशन दे देता है। लेकिन इस बार एमसीआई ने केजीएमयू को जानकारी ही नहीं दी। यही नहीं केजीएमयू की एमसीआई सेल भी है। जो हर साल इस पर निगाह रखती थी, लेकिन इस बार एमसीआई सेल ने भी अपना काम समय से नहीं किया। पिछले माह हुए इंस्पेक्शन के बाद केजीएमयू ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया।

फैकल्टी की कमी के कारण गई सीट्स

एमसीआई ने केजीएमयू की बढ़ी हुई सीटों की परमीशन फैकल्टी की कमी के कारण खत्म की है। पिछले एक साल के दौरान कई फैकल्टी रिटायर हुई तो कई ने छोड़ दिया। हालांकि केजीएमयू में क्भ्0 पद अभी भरे जाने हैं। अगर केजीएमयू प्रशासन ने समय से अपना पक्ष रखा होता तो ये सीटें बचाई जा सकती थीं। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई। सूत्रों की मानें तो एमसीआई ने अगर केजीएमयू में ख्भ्0 सीटों पर प्रवेश की परमीशन न दी तो केजीएमयू प्रशासन कोर्ट भी जा सकता है।

हमें नहीं मिली सूचना

वीसी प्रो। रविकांत ने बताया कि एमसीआई ने केजीएमयू को इसके पहले सूचना भी नहीं दी। हमारे पास इंफ्रास्ट्रक्चर की कोई कमी नहीं है। अगर कमी है तो लास्ट ईयर भी यही सब था। हमने अपनी टीम एमसीआई को भेजी है। जो भी कमी है, उसे दूर किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नया टीचिंग ब्लॉक बन रहा है, जिसमें व‌र्ल्ड क्लास के लेक्चर रूम हैं। उन्हें इसी साल जुलाई से शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन राजकीय निर्माण निगम की लापरवाही के कारण अभी तक निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है।

प्राइवेट कॉलेजों से रहें सावधान

इस साल जितने नए प्राइवेट कॉलेजों ने एडमिशन की परमीशन मांगी थी, उनमें से किसी को भी एमसीआई ने मान्यता नहीं दी है। अगर इनमें स्टूडेंट एडमिशन लेते हैं तो उनकी फीस और उनका भविष्य चौपट होना तय है। प्राइवेट कॉलेज हर साल बाद में मान्यता मिलने की बात करते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद क्भ् जून के बाद एमसीआई इंस्पेक्शन नहीं कर सकती है ओर मान्यता पर आगे विचार नहीं कर सकती है। इसलिए यूपी के इन कॉलेजों को आगे प्रवेश की परमीशन नहीं दी गई।