सीपीएमएस

6.93 करोड़ का डाटा सेंटर

6.5 करोड़ के कंप्यूटर व प्रिंटर

-केजीएमयू के सीपीएमएस में 6.93 करोड़ से बना था डाटा सेंटर

-सीपीएमएस की जांच में हुआ खुलासा

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सेंट्रल पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम (सीपीएमएस) लागू करने और पेशेंट सर्विसेज ऑनलाइन करने के लिए जमकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। केजीएमयू की ओर से की जा रही जांच में ऐसे ही कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। गौरतलब है कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने मंगलवार के अंक में सीपीएमएस के घोटाले और जांच की खबर प्रकाशित की थी।

एक दिन भी न चल सका सिस्टम

केजीएमयू में 2014 डाटा सेंटर की स्थापना की गई थी। जिसमें लगभग 6.93 करोड़ का खर्च आया था। इस पर केजीएमयू का सेंट्रल पेशेंट मैनेजमेंट सिस्टम का सॉफ्टवयेर 1 नवंबर 2014 से 31 अगस्त 2016 तक केजीएमयू में चलाया गया, लेकिन कैपेसिटी बढ़ाने के साथ ही यह बैठ गया। रोजाना ओपीडी में हंगामा होने लगा और सॉफ्टवेयर ऑन करते ही हैंग होने की समस्या होने लगी। रोजाना ओपीडी में पर्चा बनने के दौरान होने वाली समस्याओं को देखते हुए केजीएमयू की आईटी सेल ने एक प्राइवेट कंपनी से हर माह 4.97 लाख के किराए पर सर्वर लिया और इस पर केजीएमयू का सॉफ्टवेयर चलाया गया। इस पर भी लगभग 50 लाख रुपए से ज्यादा केजीएमयू का खर्च हो गया। केजीएमयू का डाटा सेंटर पीएचआई भवन में बना है और कोई यूज न होने के कारण धूल खा रहा है।

केजीएमयू में सीपीएमएस को बंद करके दो माह पहले फिर से ई-हॉस्पिटल व्यवस्था लागू की गई, लेकिन रोजाना 8 से 10 हजार ओपीडी वाले अस्पताल के सॉफ्टवेयर को केजीएमयू का डाटा सेंटर सहन नहीं कर सका। मजबूरन केजीएमयू प्रशासन को एकेटीयू के डाटा सेंटर पर अपना सॉफ्टवेयर चलाना पड़ा।

आउटडेटेड था सर्वर

पता चला है कि डाटा सेंटर के लिए इंटेल जीऑन प्रोसेसर 5600 सीरीज का इस्तेमाल किया गया था। जबकि यह प्रोसेसर दो साल पहले ही कंपनी की ओर से आउटडेटेड करार दिए गए थे। शायद इसी कारण ये बढ़े हुए मरीजों के लोड को सहन नहीं कर सका और सर्वर बैठ गया। केजीएमयू के आईटी सेल के अधिकारियों ने मिलीभगत करके सात करोड़ की जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा बर्बाद कर दिया। इसके अलावा सीपीएमएस को चलाने के लिए 6.5 करोड़ के कंप्यूटर व प्रिंटर का भी इस्तेमाल किया गया।

13 की ईसी में होगा फैसला

सीपीएमएस के घोटाले की लगभग 70 पन्ने की जांच रिपोर्ट को बुधवार को केजीएमयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में रखा गया और मांग की गई कि मामला शासन को जांच के लिए प्रेषित कर दिया जाए ताकि इसकी विस्तृत जांच कराई जा सके, लेकिन एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्यों ने इसे अगली ईसी में रखने की मांग की। जिसके बाद निर्णय लिया गया कि 13 अक्टूबर को होने वाली एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में मामले को रखा जाएगा और उसी में इसका निर्णय लिया जाएगा।