-वार्मर में लगी आग से बच्चे का मुंह और शरीर झुलसा

-रेजीडेंट डॉक्टर भी आग बुझाने में झुलसे

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LUCKNOW:

क्वीन मेरी हॉस्पिटल के एनएनयू में वार्मर में आग लगने से नवजात बच्चे का शरीर बुरी तरह झुलस गया। बाद में बच्चे को ट्रॉमा के एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया जहां उसकी हालत चिंताजनक बनी हुई है। बच्चे को बचाने में दो रेजीडेंट डॉक्टर भी मामूली रूप से झुलस गए।

सुबह नौ बजे की घटना

आशियाना निवासी रितेश बाजपेई की पत्नी कविता की क्भ् दिसंबर को क्वीन मेरी में डिलीवरी हुई थी, लेकिन क्9 दिसंबर को उनके नवजात बच्चे की हालत बिगड़ने और सांस की समस्या होने पर उसे क्वीन मेरी स्थित एनएनयू में भर्ती कर दिया। ख्ब् दिसंबर शनिवार की रात करीब 9 बजे बच्चा रेडिएंट हीटर से लैस वार्मर पर ऑक्सीजन सपोर्ट पर था। इसी दौरान रेडिएंट हीटर में स्पार्किग हुई और आग लग गई। जो बच्चे के मुंह में लगी ऑक्सीजन मास्क तक पहुंच गई। जिसके कारण बच्चे का चेहरा व शरीर बुरी तरह से झुलस गया। घटना के बाद डॉक्टर और स्टाफ ने बुरी तरह से झुलसे बच्चे को प्राथमिक उपचार के बाद ट्रॉमा के एनआईसीयू में शिफ्ट कर दिया। जहां बच्चे की हालत स्थिर बनी हुई है।

रेजीडेंट डॉक्टर भी झुलसा

आग बुझाने के दौरान एनएनयू में मौजूद रेजीडेंट डॉक्टर नरेंद्र भी झुलस गए और उनका अप्रेन भी जल गया। वह और उनका साथी डॉ। अबु मौके की गंभीरता देखते हुए अपने हाथों से ही आग बुझाने में जुट गए जिसके कारण वह भी आग की चपेट में आ गए। डॉक्टर्स के अनुसार ऑक्सीजन के सीधे संपर्क में होने के कारण आग तेजी से फैली और बच्चे व अन्य को चपेट में ले लिया। रेजीडेंट डॉक्टर्स की तत्परता के कारण बड़ा हादसा होने से टल गया। उस दौरान यूनिट में भ् से अधिक बच्चे भर्ती थे।

पिता रितेश का आरोप है कि रात को डॉक्टरों ने बताया कि नवजात को दवा का रिएक्शन हो गया है। इसके बाद डॉक्टरों ने एक कर्मचारी की मदद से पूरे शरीर में पट्टी लपेटकर ट्रॉमा शिफ्ट कर दिया। ख्भ् को ही बच्चे को देखने की अनुमति दी गई। तभी पता चला कि बच्चा जल गया है। रितेश ने क्00 नंबर पर फोन कर पुलिस भी बुला ली थी और डॉक्टरों पर मामले को छुपाने का भी आरोप लगया है।

बच्चे को एनआईसीयू में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। अभी हालत गंभीर बनी हुई है। यह एक दुर्घटना है जिसमें किसी की लापरवाही नहीं है।

- डॉ। माला कुमार, बाल रोग विभाग केजीएमयू