-केजीएमयू डॉक्टर्स का एक और कमाल, जननांग की विकृति को किया ठीक

-अपनी तकनीक से आठ घंटे की सर्जरी में किया ठीक

- 35,000 में से एक बच्ची को होती है ऐसी समस्या

LUCKNOW: कानपुर निवासी मनरेगा मजदूर अनुज और शीलू की जिंदगी में केजीएमयू डॉक्टर्स ने खुशियां लौटा दीं। करीब ढाई साल पहले जन्म लेने वाली उनकी लाडली बेटी दीपांजली के विकृत जननांग, पेशाब की थैली और बाहर निकले अन्य अंगों का ठीक कर उसकी जिंदगी में खुशियों के दीप जला दिए। केजीएमयू के इस कमाल से दापांजली अब सामान्य जिंदगी जी सकेगी। बता दें कि दुनिया में केजीएमयू ही ऐसा संस्थान है जो अपनी ईजाद की गई तकनीक से ऐसी समस्याओं से निजात दिला रहा है।

कानपुर से रेफर था केस

कानपुर के प्रधानपुर निवासी अनुज के अनुसार, सबसे पहले बच्ची को लेकर कानपुर मेडिकल कॉलेज गए थे लेकिन डॉक्टर समझ नहीं पाए कि उसका कैसे इलाज करना है। उन्होंने थोड़ा बड़े होने पर बच्ची को लाने को कहा। कुछ महीने पहले फिर बच्ची को लेकर पहुंचे तो केजीएमयू रेफर कर दिया। केजीएमयू के डॉ। एसएन कुरील ने बताया कि फरवरी में ही परिजन बच्ची को लेकर आए थे। जांच से पता चला कि समस्या काफी जटिल है। जिसके बाद उसकी सर्जरी प्लान की गई, उसे एक्सट्रॉफी ब्लैडर की समस्या थी।

आठ घंटे चली सर्जरी

लगातार आठ घंटे की सर्जरी के बाद बच्ची की समस्या को ठीक किया जा सका। पहले सर्जरी के लिए मार्किंग की गई। फिर पेशाब की थैली को उसकी जगह पर पहुंचाया गया। पेल्विश की हड्डियों को काटकर जोड़ा गया और अन्य अंगों को सुधारा गया। इसके अलावा पेट में नाभि भी बनाई गई। आठ घंटे की सर्जरी के बाद बच्ची को 21 दिन तक अस्पताल में रुकना पड़ा और अब वह एक दम ठीक है।

सक्सेस रेट बेहद कम

विश्व में कई और जगहों पर ऐसी सर्जरी होती हैं लेकिन वे तीन से चार बार में ऐसी सर्जरी करते हैं। सही नहीं उनकी सफलता दर बहुत कम है और विकृति ठीक नहीं हो पाती। इस सर्जश्री में 50 से 100 सूचर्स यानी टांके प्रयोग करने पड़ते हैं। ये बहुत महंगे भी होते हैं।

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5 लाख की सर्जरी 10 हजार में

डॉ। कुरील के अनुसार, ऐसी सर्जरी करने में प्राइवेट में लगभग पांच लाख का खर्च आता है। इस बच्ची के परिजन खर्च वहन नहीं कर सकते थे। जिसके कारण उसके केजीएमयू से विपन्न कोटे से और विभाग के प्रयासों से पूरी नि:शुल्क सर्जरी की गई। जिसमें लगभग डेढ़ लाख का खर्च आया। सिर्फ कुछ जरूरी जांचों व दवाओं के लिए परिजनों का लगभग 10 हजार रुपए का खर्च आया है। बच्चियों के लिए विभाग में प्रयास कर न्यूनतम खर्च में ही सर्जरी की जाती है। जिसमें कई और डॉक्टर भी योगदान देते हैं।

इस टीम ने किया ऑपरेशन

सर्जरी से डॉ। एसएन कुरील, डॉ। अर्चिका, डॉ। दिगंबर, सिस्टर वंदना, सिस्टर राजदेई व टीम। एनेस्थीसिया से प्रो। अनीता मलिक, प्रो। विनीता सिह व टीम।

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35 हजार में एक को बीमारी

पैदा होनी वाली 35000 बच्चियों में से एक को ऐसी विकृति देखी जाती है। जिसके विभिन्न कारण हो सकते हैं। केजीएमयू से इस सर्जरी में काफी आगे है, अब तक कोलकाता, दिल्ली, मुंबई के डॉक्टर्सं यहां से ट्रेनिंग ले चुके हैं। विदेश के कई डॉक्टर्स ने भी ट्रेनिंग के लिए संपर्क किया है। इससे पहले 2010 में ऐसी एक बच्ची का ऑपरेशन किया था जो मुंबई की रहने वाली थी। उसका ऑपरेशन अमेरिका के डॉक्टर्स ने किया था लेकिन सफल नहीं हुआ था।