- 16 विभागों में से केवल तीन विभागों में मिली सीटें बढ़ाने की अनुमति

- 13 विभागों में पीजी सीटों एमसीआई ने लगाया ऑब्जेक्शन

LUCKNOW:

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनवर्सिटी (केजीएमयू) को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई ) ने तगड़ा झटका दिया है। एमसीआई ने 16 एमडी एमएस विभागों में से केवल तीन विभागों में ही पीजी (एमडी/एमएसस) की सीटें बढ़ाने की संस्तुति की है। शेष में एमसीआई ने ऑब्जेक्शन लगाया है। जिसका मेन कारण खराब इंफ्रास्ट्रक्चर, फैकल्टी में कमी, मरीजों की संख्या में कमी, रिसर्च में कमी और फैकल्टी को गलत तरीके से प्रमोशन है। जिससे अब इलाज के लिए रेजीडेंट्स की संख्या बढ़ाने के प्रयासों को बढ़ा झटका लगा है।

केजीएमयू को अब भी आस

दूसरी ओर केजीएमयू प्रशासन का दावा है कि माइनर ऑब्जेक्शन होने के कारण इन विभागों में भी जल्द ही एमसीआई की हरी झंडी दे दी जाएगी, लेकिन जानकारों के मुताबिक जो ऑब्जेक्शन एमसीआई ने लगाए हैं उन्हें दूर कर पाना केजीएमयू प्रशासन के लिए आसान नहीं होगा।

रिसर्च में पीछे केजीएमयू के डॉक्टर

एमसीआई की 22 सितंबर को हुई पीजी मेडिकल एजुकेशन कमेटी की बैठक के मिनट्स के अनुसार केजीएमयू के ज्यादातर विभागों में रिसर्च वर्क के मामले में टीचर्स पीछे हैं। बहुत से टीचर्स के आगे पब्लिकेशन की संख्या शून्य दर्शाते हुए उन्हें प्रमोशन दे दिए गए। जबकि इस समय रिसर्च पर ही जोर है और केजीएमयू के वीसी भी लगातार रिसर्च पर जो दे रहे हैं। एनेस्थीसिया विभाग से लेकर रेडियोथेरेपी तक में मानकों को हवा में रखकर प्रमोशन किए गए। एमसीआई ने कहा है कि इन विभागों में बिना पब्लीकेशन के ही प्रमोशन कर दिए गए जो रेगुलेशन के अनुसार ठीक नहीं हैं।

फैकल्टी की कमी बनी रोड़ा

एमसीआई ने कहा है कि डिपार्टमेंट ऑफ ट्रॉमा एंड सर्जरी में कोई फुल टाइम फैकल्टी नहीं है। सर्जरी, आर्थोपेडिक, एनेस्थीसिया की रोटेशन से फैकल्टी से काम चलाया जा रहा है। ऐसे ही बायोकेमेस्ट्री में नॉन मेडिकल फैकल्टी की संख्या पांच है जो परमीशन से अधिक है। इस कारण एमसीआई ने अनुमति नहीं दी है।

5 वर्ष की बजाए 6 माह में प्रमोशन

एमसीआई की गाइडलाइंस के अनुसार असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर पर प्रमोशन पांच वर्ष के एक्सपीरिएंस पर होती है जबकि एसोसिएट से प्रोफेसर पद पर कम से कम चार वर्ष का एक्सपीरिएंस चाहिए, लेकिन केजीएमयू प्रशासन ने मानकों को ताक पर रखकर फैकल्टी मेंबर्स के प्रमोशन किए। एनेस्थीसिया में तो एक सीनियर डॉक्टर को मात्र 6 माह के एक्सपीरिएंस के आधार पर ही प्रोफेसर बना दिया गया। ऐसे ही दो दर्जन से ज्यादा डॉक्टर्स को समय से पहले ही प्रमोशन दे दिया गया है। जिसके कारण एमसीआई ने पीजी सीटें न बढ़ाने की संस्तुति भारत सरकार से की है।

घटी मरीजों की संख्या

कैंसर जैसी बीमारियों वाले विभाग में समय के साथ मरीजों की संख्या बढ़नी चाहिए। लेकिन केजीएमयू मरीजों की संख्या समय के साथ कम होती जा रही है। एमसीआई की रिपोर्ट के अनुसार तीन साल के पीरियड में रेडियोथेरेपी मरीजों की संख्या 2286 से 2211 ही रह गई। जबकि मरीजों की संख्या बढ़नी चाहिए थी। तीन साल के अंतराल में ब्रेकीथेरेपी के मरीजों की संख्या 783 से 356 और कीमोथेरेपी के मरीजों की संख्या 3498 से 630 रह गई। इस गंभीर लापरवाही के कारण एमसीआई ने सीटों की संख्या बढ़ाने की अनुमति देने से मना कर दिया।

नए विभाग को मिली परमीशन

पिछले कुछ माह में एमसीआई ने केजीएमयू में 16 विभागों में पीजी सीटे के बढ़ाने के लिए इंस्पेक्शन किया था। जिसके बाद एमसीआई ने नए विभाग हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन में दो पीजी की सीट्स को हरी झंडी दे दी है, अगामी वर्ष से इन सीटों पर एडमिशिन दिए जाएंगे। इसके अलावा फिजियोलॉजी विभाग में पीजी सीट्स की संख्या 4 से बढ़ाकर 18 और एनॉटमी में 7 से बढ़ाकर 11 कर दी गई हैं। अब इन विभागों में अधिक संख्या में पीजी सीट्स पर प्रवेश हो सकेंगे और नए कॉलेजों के लिए टीचर्स की दिक्कत नहीं होगी। गौरतलब है कि वर्तमान में केजीएमयू में वर्तमान एमडी/एमएस 181 सीटें हैं।

इन विभागों में बढ़ी सीटें

विभाग--पहले--अब

- हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन -0-2

- फिजियोलॉजी-एमडी--4 -- 18

- एनॉटमी -एमडी--7-- 11,

क्यों नहीं मिली परमीशन

- खराब इंफ्रास्ट्रक्चर

- फैकल्टी में कमी

- लगातार घटती मरीजों की संख्या रिसर्च में कमी

- गलत तरीके से प्रमोशन

इनमें नहीं मिली अनुमति

एमसीआई ने ट्रॉमेटोलॉजी एंड सर्जरी विभाग व आप्थैल्मोलॉजी में एमएस की सीटों पर परमीशन न देने की संस्तुति की है। इसके अलावा एमडी के लिए इमरजेंसी मेडिसिन, बायोकेमेस्ट्री, रेडियोथेरेपी, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, माइक्रोबायोलॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, पैथोलॉजी, पीडियाट्रिक्स, फार्माकोलॉजी, एनेस्थीसिया, जनरल मेडिसिन विभागों को भी सीटों के बढ़ाए जाने की परमीशन न देने की संस्तुति की है।

यह माइनर ऑब्जेक्शन हैं जिन पर जवाब भेजा गया है। सीटों की संख्या बढ़ जाएगी।

- प्रो। अब्बास अली मेंहदी, इंचार्ज एमसीआई सेल, केजीएमयू