-जीवित बच्चे के परिजनों को थमाया मृत बच्चा

-दस घंटे तक बच्चे के शव के लिए भटकती रही मां

-जानकारी देने खुद कब्रिस्तान पहुचे रेजीडेंट डॉक्टर

LUCKNOW:

पुराना लखनऊ निवासी निजामुद्दीन और आलिया बानो का उस समय रो-रोकर कर बुरा हाल हो गया जब उन्हें अपने एक माह के बच्चे की मौत की खबर मिली। बच्चे का इलाज ट्रामा सेंटर के एनआईसीयू में चल रहा था। उन्हें सुबह सात बजे शव भी सौंप दिया गया.दोपहर बाद जब निजामुद्दीन अन्य परिजनों के साथ शव लेकर कब्रिस्तान पहुंचे और बच्चे को दफनाने की तैयार में थे तभी वहां रेजिडेंट डॉक्टर पहुंच गए और शव को दफनाने से रोक दिया और उन्हें सूचना दी कि उनका बच्च ट्रॉमा में जिंदा है और वे किसी और के बच्चे का शव लेकर आ गए हैं.यह सुन पहले तो किसी को विश्वास नहीं हुआ लेकिन फिर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

दो परिवारों काे लगा सदमा

दरअसल, शुक्रवार को केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टर्स व नर्स की लापरवाही से एक नहीं दो मांओं पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक माह के बच्चे की मौत होने पर नर्स ने दूसरे बच्चे की मां को शव सौंप दिया। जिससे बस्ती निवासी मोनिका अपने बच्चे के शव के लिए 10 घंटे तक भटकती रही। तो दूसरी तरफ निजामुद्दीन जब शव को दफनाने कब्रिस्तान में पहुंचे तो वहां पर एक डॉक्टर व एक अन्य कर्मचारी उनका इंतजार करते मिले। पता चला कि उनका बच्चा जिंदा है। जबकि बस्ती निवासी मोनिका के बच्चे की मौत हुई थी।

संक्रमण के कारण कराया था भर्ती

बस्ती निवासी शंभू व मोनिका के एक माह के बच्चे को फेफड़े में संक्रमण के कारण ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। बच्चे के दादा राम पून ने बताया कि लोहिया, झलकारी बाई, बलरामपुर होते हुए गुरुवार को ट्रॉमा के एनआईसीयू में बेड नंबर-1 पर भर्ती किया गया था। डॉक्टर्स ने यह भी बताया कि बच्चे की हालत गंभीर है। सुबह लगभग 7 बजे रेजीडेंट डॉक्टर ने बच्चे की मौत की सूचना दी। इसी बीच बुद्धेश्वर रोड निवासी निजामुद्दीन का एक माह का बच्चा भी 14 नंबर बेड पर भर्ती था। उन्हें कुछ देर बाद एक डॉक्टर ने जानकारी दी कि बच्चे की उनके बच्चे की भी मौत हो गई। कुछ ही देर में डॉक्टरों ने उन्हें शव दे दिया। निजामुद्दीन व बच्चे की मां आलिया जब रोते बिलखते एनआईसी में पहुंची तो डॉक्टरों ने उन्हें रामपूजन के मृत पोते का शव थमा दिया। निजामुद्द्ीन उसे अपना मृत बच्चा मानकर ट्रॉमा सेंटर से लेकर चले गए। उधर कुछ देर बाद जब रामपूजन कपड़ा लेकर एनआईसीयू में पहुंचे तो उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि उनके मृत पोते का शव कोई और लेकर चला गया है।

रामपून और मोनिका ट्रॉमा में अपने बच्चे को ढूंढ़ते रहे लेकिन वह नहीं मिला तो उन्होंने एनआईसीयू में डॉक्टरों से गुहार लगाई। मामला मीडिया तो पहुंचा तो एनआईसीयू के डॉक्टर हरकत में आए और एक डॉक्टर व अन्य कर्मचारी शव को ढूंढ़ने कब्रिस्तान पहुंच गए और शव को रामपूजन व मोनिका के सुपुर्द किया।

निजामुद्दीन और आलिया इस घटना के बाद जबरन अपने बच्चे को डिस्चार्ज कराकर ले गए। वहीं दूसरी ओर मोनिका के परिजन ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों के इस कृत्य से बेहद नाराज दिखे।

मामला गंभीर है। हो सकता है ड्यूटी बदलने के दौरान ये गलती हो गई। इस पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

डॉ। हैदर अब्बास, इंचार्ज, ट्रॉमा सेंटर