- चार कैंडीडेट के लिए 24 घंटे में बदल दिए सारे नियम-कायदे

- स्टूडेंट्स को पास कराने के लिए चीफ इंटरनल एग्जामनर को हटाया

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: केजीएमयू में कैंडीडेट्स की खातिर किस कदर कायदों से खिलवाड़ होता है, इसका खुलासा आपको चौंका देगा। स्टूडेंट कितने काबिल हैं, ये परखने के लिए यहां परीक्षाएं तो होती हैं, लेकिन अगर इनमें कोई 'अपना कैंडीडेट' शामिल हो तो अधिकारी ही अंधेर मचा देते हैं। ताजा मामला डेंटल के एमडीएस स्टूडेंट्स के एग्जाम से जुड़ा है। जिसमें एक कमेटी ने कुछ छात्रों को एग्जाम के लिए 'नॉन सैटिसफैक्टरी' बताया। लेकिन, 24 घंटे के भीतर ही वीसी के एक आदेश ने इन सभी कैंडीडेट्स को एग्जाम के काबिल बना दिया। और तो और, एग्जाम में अपनों को पास कराने के लिए इंटर्नल एग्जामनर्स को भी बदल दिया गया।

एलिजिबल ही नहीं थे कैंडीडेट

डेंटल के कंजर्वेटिव डेंटिस्ट्री एंड इंडोडांटिक्स विभाग में 26 मार्च 2014 को विभाग की पूर्व एचओडी प्रो। केके वाधवानी, प्रो। एपी टिक्कू व अन्य की कमेटी ने चार एमडीएस स्टूडेंट्स के काम को संतोषजनक नहीं बताया और उन्हें अप्रैल के प्रस्तावित एग्जाम में बैठने के लिए एलिजिबल नहीं पाया था। इन कैंडीडेट्स को पहले भी कई बार वॉर्निंग मिल चुकी थी। लेकिन, रवैया ना बदलने पर कमेटी ने एग्जाम में बैठने से रोकने का फैसला लिया था।

वीसी ने दिया आदेश

इस आदेश को 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि कि उसी आदेश में टीचर इंचार्ज पीजी प्रो। एपी टिक्कू ने लिखा कि तत्कालीन वीसी प्रो। डीके गुप्ता के आदेशानुसार चारों कैंडीडेट एग्जाम के लिए एजिबल बताए गए। जबकि, वीसी के पास एग्जाम में दखल का सीधे तौर पर अधिकार नहीं था। फिर भी छात्रों को फायदा पहुंचाया गया। एग्जाम कंट्रोलर ऑफिस ने प्रश्न भी उठाए, लेकिन बाद में इस ऑफिस ने भी परमीशन दे दी।

एग्जामनर भी बदल दिए

28 मार्च को ही स्टूेंट्स ने इंटर्नल एग्जामिनर्स को बदलने की मांग की। आरोप लगाया कि एचओडी उन्हें प्रताडि़त करती हैं और धमकी देती हैं। बाद में एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने 10 अप्रैल को आदेश जारी कर एचओडी प्रो। वाधवानी को सूचना दी कि सभी कैंडीडेट को डीन की ओर से भेजे गए पत्र में एलिजिबल घोषित किया। अगले दिन एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने पत्र भेजकर एचओडी प्रो। केके वाधवानी को ही इंटर्नल एग्जामिनर पद से हटा दिया। प्रो। एपी टिक्कू और प्रो। अनिल चंद्रा को इंनटर्नल एग्जामिनर बना दिया। सभी स्टूडेंट एग्जाम में बैठे और पास हो गए।

राजभवन में हुई शिकायत

मामले में प्रो। वाधवानी ने राज्यपाल के यहां पर शिकायत भी की। लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं की गई। प्रो। वाधवानी ने आरोप लगाया कि यूनवर्सिटी एक्ट का उल्लंघन करते हुए चीफ इंटर्नल एग्जामिनर को बदला गया। जिससे केजीएमयू से पढ़कर निकलने वाले डॉक्टर्स की क्वालिटी पर असर पड़ेगा और संस्थान की छवि भी खराब हो रही है। उन्होंने अपने पत्र में कई टीचर्स के केजीएमयू से छोड़ने का कारण भी ऐसे ही अन्य मामलों का उदाहरण दिया।

यह है नियम

केजीएमयू में एमडीएस स्टूडेंट्स का सेलेक्शन उनकी एकेडमिक मेरिट पर होता है। यह मेरिट स्टेट लेवल या नेशनल लेवल के एग्जाम से तय होती है। बाद में एग्जाम के लिए एचओडी की अध्यक्षता में कमेटी तय करती है कि उनका काम संतोषजनक है या नहीं। अगर कमेटी को लगता है कि कोई स्टूडेंट इस लायक नहीं है कि उसे एग्जाम में बैठने दिया जाए तो उन्हें रोक दिया जाता है। लेकिन, केजीएमयू में यह नियम भी अपनों के लिए बदल दिए जाते हैं।