-किसान के बेटे मो। ताबिश को मिलेगा सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल

-कानपुर अविनाश डी.गौतम को चांसलर्स, यूनिवर्सिटी सहित दर्जन भर मेडल

-दीक्षांत समारोह की अभी तक तय नहीं हो सकी तारीख

LUCKNOW:

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के 112 वें फाउंडेशन डे व 12वें दीक्षांत समारोह के मौके पर सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल मुजफ्फरनगर निवासी किसान मो। मोहतशीन के बेटे मो। ताबिश को मिलेगा। इसके साथ ही उन्हें आधा दर्जन से अधिक अन्य गोल्ड व सिल्वर मेडल्स से भी नवाजा जाएगा जबकि चांसलर सहित लगभग एक दर्जन मेडल व सर्टिफिकेट पर अविनाश डी। गौतम ने अपना कब्जा जमाया है। इसके अलावा डेंटल में अभिषेक कुमार गुप्ता को एसडी गुप्ता मेमोरियल अवार्ड, प्रो। एमएन माथुर गोल्ड मेडल सहित आधा दर्जन मेडल दिए जाएंगे।

मेडिकल में 109 व डेंटल में 13 मेडल्स का होगा वितरण

केजीएमयू सूत्रों के मुताबिक इस बार कुल 109 मेडल्स से यूजी व पीजी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा। जिसमें लगभग 80 मेडल कन्वोकेशन और शेष मेडल फाउंडेशन डे पर दिए जाएंगे। इन मेडल्स में यूजी व पीजी स्टूडेंट्स के मेडल शामिल हैं। इसके अलावा डेंटल के भी दर्जन भर से अधिक मेडल्स स्टूडेंट्स को इन समारोह में बांटे जाएंगे। हालांकि अभी केजीएमयू प्रशासन फाउंडेशन डे और दीक्षांत समारोह की तारीख तय नहीं कर सका है।

खिदमत के जुनून ने बनाया टॉपर -फोटो मो। ताबिश

केजीएमयू के सबसे प्रतिष्ठित हीवेट मेडल सहित, मेडिसिन में गोल्ड और सर्जरी में सिल्वर मेडल सहित लगभग 9 मेडल्स से मो। ताबिश को सम्मानित किया जाएगा। उनके पिता मो। मोहतशीन मुजफ्फरनगर में जमींदार यानी किसान हैं और उनकी मां बिल्कीश गृहणी हैं। दिन में पांच बार की नमाज पढ़ने वाले मो। ताबिश ने बताया कि इंसान की खिदमत करना उनका जुनून है और इसी के लिए वह पढ़ते जा रहे हैं.ताकि अधिक से अधिक पेशेंट्स की सेवा कर सकें। हमेशा पढ़ाई में एवरेज रहने वाले मो। ताबिश ने बताया कि ऑब्जेक्टिव एग्जाम का उन्हें फायदा मिला जिसकी वजह से वह हीवेट मेडल तक पहुंच सके। उनकी पढ़ाई में उनके माता-पिता का सबसे बड़ा योगदान है और वह कोई भी सफलता मिलने पर अपने माता-पिता को फोन कर बताते हैं। लेकिन पेशेंट और जरूरतमंद दोस्तों की मदद के लिए वह अपनी पढ़ाई भी भूल जाते हैं। वह आगे मेडिसिन और कॉर्डियोलॉजी के क्षेत्र में पढ़ाई करना चाहते हैं और अपने जिले में रहकर बड़ा हॉस्पिटल खोल लोगों की सेवा करना चाहते हैं।

रिसर्च कर मेडिकल में करना है बड़ा काम--फोटो विनाश

कानपुर निवासी अविनाश डी गौतम ने चांसलर्स, यूनिवर्सिटी सहित लगभग दर्जन भर से अधिक मेडल पर कब्जा जमाया है। वह अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं जिन्होंने हमेशा आगे बढ़ने और अपना बेस्ट करने के लिए प्रेरित किया। हाई स्कूल (96.6) व इंटरमीडिएट (96.2) में सीबीएसई बोर्ड से कानपुर सिटी टॉप करने वाले अविनाश का सेलेक्शन केजीएमयू के साथ-साथ आईआईटी में भी हुआ था। यदि वह काउंसलिंग कराते तो कानपुर आईआईटी मिल जाता। उन्हें बायोलॉजी में 100 अंक मिले थे जिसके लिए उन्हें नेशनल लेवल पर सम्मानित किया गया। जिसके कारण इंजीनियरिंग की बजाए उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई प्रिफर की। उनकी मां सुशीला देवी गौतम कानपुर के आर्मी हॉस्पिटल में चीफ नर्सिग आफिसर हैं और पिता दिलीप कुमार गौतम बिजनेस मैन हैं। इससे पहले भी लास्ट इयर अविनाश को सर्जरी में टॉप करने के लिए मेडल मिल चुका है। अविनाश का इरादा एमबीबीएस के बाद पीजी में पीडियाट्रिक या रेडियोडायग्नोसिस में एडमिशन लेना है। उसके बाद वह रिसर्च कर कोई बड़ी डिस्कवरी करना चाहते हैं।

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मिठाई बनाने वाले के बेटे को मिला गोल्ड मेडल

केजीएमयू में बीडीएस के स्टूडेंट अभिषेक कुमार गुप्ता को एचडी गुप्ता गोल्ड मेडल व प्रो। एमएन माथुर गोल्ड मेडल समेत छह गोल्ड मेडल से नवाजा जाएगा। अभिषेक ने बताया कि उनके घर में कोई भी डॉक्टर नहीं है। वह इस क्षेत्र में आए हैं लोगों का इलाज करने के लिए। वह पढ़ाई के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का निशुल्क इलाज करने के लिए क्लीनिक जरूर डालेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता की मिठाई की दुकान है और मां गृहणी है। इंटर करने के बाद उन्होंने सीपीएमटी पास कर 2012 में केजीएमयू के डेंटल में प्रवेश लिया था। उन्होंने मेडल का श्रेय परिवार और गुरुजनों को दिया है। उन्होंने कहा कि जो भी बीडीएस कर रहे हैं उन्हें वह यही सीख देना चाहते हैं कि वह अपने ऊपर विश्वास करके खेल के साथ पढ़ाई करें। कही भी तनाव होने पर माता-पिता को यादकर आगे बढ़ें।

गांव में खोलेंगे अपना अस्पताल

प्रदीप जैन गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाने वाले बीडीएस के मेधावी हमजा परवेज सिद्दीकी ने कहा कि उनके घर में वह अकेले मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। वह और उनका छोटा भाई मिलकर गांव में एक हॉस्पिटल खोलेंगे, जिसमें गरीब मरीजों का इलाज वे निशुल्क करेंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता इंजीनियर थे और बड़ा भाई भी इंजीनियर है। उन्होंने कहा कि कभी हताश नहीं होना चाहिए, सफल होने के लिए सोच की जरूरत होती है। सोच को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करते रहने से वह जरूर पूरा होता है।

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यूजी से पीजी तक बनी टॉपर --- फोटो डॉ। रानी राना भट्ट

डेंटल में एमडीएस कर रहीं और टीएन चावला गोल्ड मेडल (बेस्ट पीजी) पर कब्जा जमाने वाली डॉ। रानी राना भट्ट शिलांग की रहने वाली हैं और उनके माता-पिता बिजनेस मैन हैं। उन्होंने केजीएमयू से ही बीडीएस के दौरान सभी टॉप के मेडल्स पर कब्जा जमाया था और उसके बाद बेस्ट इंटर्न का अवार्ड भी उन्हीं की झोली में गया। जिसके लिए प्रेसीडेंट प्रणब मुखर्जी ने उन्हें सम्मानित किया था। अब उन्हें बेस्ट पीजी का अवार्ड दिया जाएगा। डॉ। रानी ने बताया कि वह अभी आगे और पढ़ाई करना चाहती है। उनका कहना है कि उन्हें यदि गांवों में इलाज करने का मौका मिला तो वह वहां जाकर जरूर इलाज करना चाहेंगी।

बेटी ने किया मां-बाप का नाम रोशन

केजीएमयू के बीडीएस की छात्रा सौम्या जौहरी ने वेदवती शिला गोल्ड मेडल को अपने नाम किया है। वह अपने मां-बाप की अकेली बेटी हैं। उन्होंने बताया कि वह मुरादाबाद की रहने वाली है। मां शिक्षिका और पिता मुरादाबाद विश्वविद्यालय में तैनात थे जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि वह आगे जाकर पीजी करना चाहती है और गांव में जाकर लोगों का इलाज करने का मौका मिला तो वह जरूर करना चाहेंगी। उन्होंने बताया कि माता-पिता ने उनपर जब गर्व किया तो उनका भी हक बनता है कि वह उनकी उम्मीदों को पूरा करें। वह इसी कोशिश में लगी हुई हैं।