-दो वर्ष में 80 से अधिक को दिलाई समस्या से निजात

-अफीम के नशे की लत छुड़ाने में मिल रही कामयाबी

LUCKNOW: नशे की लत के शिकार युवाओं को नशे के शिकंजे से बाहर निकलने में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अहम रोल अदा कर रहा है। खासतौर से इंजेक्शन द्वारा लिए जाने वाले अफीम की लत से 80 युवाओं को बाहर निकालने में केजीएमयू ने कामयाबी पाई है। अपनी तरह पूरे यूपी में यह पहली क्लीनिक है जहां पर नशे के आदी लोगों को मदद मिल रही है।

रोजाना चलती है क्लीनिक

केजीएमयू के साइकियाट्री डिपार्टमेंट की ओर से नशे की लत छुड़ाने के लिए विशेष क्लीनिक चलाई जा रही है। सबसे खतरनाक इंजेक्शन के द्वारा लिया जाने वाला अफीम का नशा है। जिसने एक बार ले लिया उसे हर रोज इंजेक्शन चाहिए। इसके कारण परिवार तबाह हो रहे हैं और अच्छे परिवारों के लोग भी चोरी करने सहित अन्य गलत काम करने लग जाते हैं। अब तक इनके लिए विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं थी, लेकिन अब विश्वस्तरीय इलाज और थेरेपी उपलब्ध है।

ओएसपी से छूट रहा नशा

ड्रग डिएडिक्शन क्लीनिक के इंचार्ज डॉ। अमित आर्या ने बताया कि केजीएमयू में अफीम का नशा छुड़ाने के लिए स्पेशल ड्रग ट्रीटमेंट सेंटर चलाया जा रहा है। एम्स दिल्ली की सहायता से चलने वाले इस सेंटर में ओपिओड सब्स्टीट्यूशन थेरेपी (ओएसटी) इंजेक्शन द्वारा अफीम लेने वाले मरीजों के लिए दी जाती है। इसमें विश्वस्तरीय आधुनिकतम इलाज दिया जा रहा है। पिछले एक वर्ष के दौरान यहां पर 80 लोगों को नशे की लत से छुटकारा दिलाया जा सका है। यह एक प्रकार का हार्म रिडक्शन थेरेपी होती है। जिसमें व्यक्ति को वही नशे की दवाएं दी जाती हैं ताकि साइड इफेक्ट्स से मरीज को नुकसान न हो। इसमें नशे के लिए इंजेक्शन में दी जाने वाली अफीम को गोलियों के फार्म में दिया जाता है। मरीज अपने साथ न ले जा पाए इसके लिए ट्रेंड स्टाफ के सामने ही व्यक्ति को वह गोली पानी में घोलकर पिलाई जाती है। इसके साथ ही नशे को धीरे धीरे छोड़ने के लिए आवश्यक दवाएं दी जाती हैं।

नि:शुल्क हो रहा इलाज

2016 से शुरू हुई इस क्लीनिक में 250 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। जिसमें से इस समय 125 मरीज रोजाना दवा लेने आते हैं। पूरा इलाज और दवाएं सब नि:शुल्क हैं। यह इलाज मार्केट में उपलब्ध नहीं है।

हो रही गंभीर बीमारियां

डॉ। अमित आर्या ने बताया कि नशे के लिए इंजेक्शन प्रयोग करने वाले लोग इतना अधिक नशे की गिरफ्त में आ जाते हैं कि वह अपना अच्छा बुरा सोच नहीं पाते। ये सब ग्रुप में एक ही इंजेक्शन से नशा लेते हैं। इसके कारण आपस में बीमारियां फैलती हैं। अब तक 250 लोगों का रजिस्ट्रेशन किया गया जिनमें से 64 को एचआईवी की समस्या मिली। साथ ही 70 परसेंट मरीजों को हेपेटाइटिस सी का संक्रमण हो चुका है। इसके अलावा 40 मरीजों की मौत भी एचआईवी के कारण हो गई।

तुरंत पहुंचे केजीएमयू

केजीएमयू के डॉ। आदर्श त्रिपाठी ने बताया कि एक बार मरीज नशे की गंभीर स्थिति में पहुंच गया तो उसे छुड़ा पाना मुश्किल होता है। इसलिए जैसे ही किसी परिजन को नशे की लत की जानकारी मिले या व्यक्ति को खुद लगे कि वह नशा छोड़ नहीं पा रहा है तो तुरंत साइकियाट्री विभाग की क्लीनिक में दिखाएं। यह क्लीनिक रोजाना हफ्ते के सातों दिन चलती है। यही नही सार्वजनिक अवकाश में भी यह बंद नहीं होती। यहां रोजाना डॉक्टर्स, नर्स और अन्य स्टाफ रहता है और मरीजों की मदद करता है।

सभी प्रकार के नशे के लिए क्लीनिक

अफीम के अलावा, सिगरेट, तंबाकू, शराब सहित अन्य सभी प्रकार के नशे से बचाव के लिए भी अलग क्लीनिक केजीएमयू के साइकियाट्री विभाग में चलाई जाती है। यहां भी सभी दवाएं मुफ्त दी जाती हैं।