- पूर्व ट्रॉमा प्रभारी को ही बिना रुपए लिए ब्लड देने से इनकार

- टीचर्स में केजीएमयू के सिस्टम पर निराशा

LUCKNOW:किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में आम मरीज तो परेशान होते ही हैं, लेकिन यहां तो 'अपनों' को भी कम दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती। मामला केजीएमयू में ट्रॉमा सेंटर के पूर्व प्रभारी और सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर का है। डेंगू से पीडि़त डॉ। सुरेंद्र कुमार को जब प्लेटलेट्स की जरूरत हुई तो केजीएमयू प्रशासन ने उनको नाकों चने चबवा दिए। काफी मशक्कत के बाद करीब आठ हजार रुपए खर्च करने के बाद ही प्लेटलेट्स का इंतजाम हो सका। जबकि केजीएमयू के सभी डॉक्‌र्ट्स और प्रोफेसर्स के लिए सभी प्रकार का इलाज और सुविधाएं मुफ्त हैं। इस प्रकरण के बाद से केजीएमयू के डॉक्टर्स में सिस्टम के प्रति रोष व्याप्त है।

8000 देने के बाद ही मिला प्लेटलेट्स

केजीएमयू में सभी टीचर्स और फैकल्टी मेंबर्स को सभी सुविधाएं नि:शुल्क मिलती हैं, लेकिन डॉ। सुरेंद्र कुमार के लिए कर्मचारियों ने बिना पैसा लिए ब्लड देने से इनकार कर दिया। उनका प्लेटलेट्स काउंट 12 हजार पहुंच गया था और बॉडी में जगह-जगह लाल चकत्ते पड़ गए थे। उन्होंने साथी डॉक्टर्स को इसकी जानकारी दी तो वह सभी प्लेटलेट्स लेने दौड़े। रात में लगभग तीन बजे उनके कई साथी प्लेटलेट्स लेने पहुंचे तो कर्मचारी ने बिना पैसे लिए प्लेटलेट देने से मना कर दिया। वह भी तब जबकि सीनियर डॉक्टर्स उनके लिए ब्लड लेने पहुंचे थे। जिसके बाद डॉ। अनित परिहार ने 8,000 रुपए जमा किए और डॉ। सुनील सिंह ने एफ्रेसिस के द्वारा प्लेटलेट डोनेट की। उसके बाद ही डॉ। सुरेंद्र कुमार को प्लेटलेट मिल सकीं। इस दौरान कई अन्य सीनियर फैकल्टी मेंबर भी वहां पर थे। अपने साथी के लिए प्लेटलेट लेने के लिए उन्हें इतनी जद्दोजहद करनी पड़ी उसके बाद सभी फैकल्टी मेंबर्स में रोष व्याप्त है।

'बिना पेमेंट नहीं मिलता ब्लड'

केजीएमयू के सीएमएस डॉ। एससी तिवारी ने कहा कि सॉफ्टवेयर में बिना पेमेंट के ब्लड देने की व्यवस्था नहीं है। जिसका सबको पालन करना पड़ता है। जबकि फैकल्टी मेंबर्स और कर्मचारियों के लिए ब्लड की कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जाती। उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी दिक्कत आ रही है जिसे दूर किया जाएगा। उनहोंने कहा कि आगे से किसी फैकल्टी मेंबर को ब्लड या अन्य सुविधा के लिए पेमेंट नहीं करना पड़ेगा। कर्मचारी रसीद काटकर सीएमएस ऑफिस भेज देगा जहां से इसे रीमबर्स कर दिया जाएगा। इसके लिए सख्त निर्देश दे दिए गए हैं।

एचआईएस की है दिक्कत

दरअसल केजीएमयू में हॉस्पिटल इंफार्मेशन सिस्टम (एचआईएसस) लागू किया गया है, लेकिन यह सिस्टम न तो पेशेंट फ्रेंडली है और न ही कर्मचारियों और टीचर्स के लिए। जिसके कारण यह अक्सर हैंग रहता है और अपने ही कर्मचारियों को इलाज देने का कोई ऑप्शन नीं दिया गया है.केजीएमयू के सभी टीचर्स इसके विरोध में हैं।

यह दुखद है कि उनसे रुपए लिए गए। आगे से ऐसी कोई दिक्कत नहीं आएगी। बिना पेमेंट के ही ब्लड व अन्य सामान मिलेगा और उसका रीमबर्समेंट सीएमएस ऑफिस से किया जाएगा।