-मरीजों और स्टूडेंट्स के लिए उपकरणों की भारी कमी
-सीएजी रिपोर्ट ने खोली बड़े नाम वाले केजीएमयू की पोल
LUCKNOW: ऐसा लगता है कि राजधानी स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के डॉक्टर्स खुद ही लाचार हो चले है। थर्सडे को विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपार्ट पर नजर डालें तो पता चलता है कि देश के बड़े संस्थानों में शुमार केजीएमसी के डॉक्टर्स और मरीज भगवान भरोसे ही हैं। रिपोर्ट के अनुसार मरीजों के इलाज के लिए क्लीनिक डिपार्टमेंट्स संग टीचिंग डिपार्टमेंट्स में भी भारी कमी है। जिसका असर इलाज के साथ ही डॉक्टरी की पढ़ाई की गुणवत्ता पर भी पड़ रहा है।
मरीजों के लिए 41.77 परसेंट उपकरण कम
केजीएमयू के क्लीनिकल डिपार्टमेंट्स में 41.77 परसेंट की कमी है। मेडिसिन जैसे अहम विभाग में ही 59.77 प्रतिशत उपकरणों की कमी है। यह हाल तब है जब अधिक गंभीर मरीज 24 घंटे इसी विभाग में रहते हैं। ऐसे ही सर्जिकल विभागों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण जनरल सर्जरी विभाग में भी 52.73 प्रतिशत उपकरणों की कमी है। नतीजतन डॉक्टर्स को मशीनों के खाली होने के लिए इंतजार करना पड़ता है। मरीज को तो दो से तीन हफ्ते सर्जरी की राह देखनी पड़ती है। डॉक्टर्स मानते हैं कि मशीनें आ जाएं तो सर्जरी को दोगुना तक बढ़ाया जा सकता है।
मरीजों के लिए उपकरण
जनरल मेडिसिन-59.97 परसेंट
पीडियाट्रिक्स-24.75
साइकियाट्री-0
जनरल सर्जरी-52.73
पीडियाट्रिक्स सर्जरी-27.88
आर्थोपेडिक्स-4.88
आप्थैल्मोलॉजी-35.29
ईएनटी-3.14
आब्स्टेट्रिक्स एंड गाइनीकोलॉजी-41.89
रेडियो डायग्नोसिस-41.67
रेडियोथेरेपी- 13.89
कुल 41.77
नान क्लीनिकल में 72.37 परसेंट कम
रिपोर्ट में कहा गया है कि नान क्लीनिकल यानी टीचिंग डिपार्टमेंट में भी केजीएमयू में एक्विपमेंट्स की भारी कमी है। केजीएमयू के नान क्लीनिकल यानी टीचिंग विभागों में भी उपकरणों की भारी कमी है। मुख्यत: विभागों से ही स्टूडेंट्स को मेडिकल की पढ़ाई की शुरुआत होती है। यहां मेडिकल के बेसिक्स बताए जाते हैं।
टीचिंग उपकरणों की कमी
एनाटमी-4.46 परसेंट
फिजियोलॉजी-57.24
बायोकेमेस्ट्री-86.59
पैथोलॉजी-65.56
माइक्रोबायोलॉजी-94.61
फार्माकोलॉजी-83.00
फॉरेन्सिक मेडिसिन-72.37
कुल -72.37
और बिना जरूरत हुई खरीद
एक ओर मरीजों को आवश्यक्ता वाले जांच व सर्जरी के उपकरण नहीं खरीदे गए तो दूसरी ओर कई विभाग ऐसे भी हैं जहां पर बिना जरूरत के महंगी मशीनें खरीदी गई। केजीएमयू के कार्डियोथोरेसिक एवं वैस्क्युलर सर्जरी विभाग (सीटीवीएस) में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 2014 में ही 93.80 लाख रुपए से लेफ्ट वेंट्रीक्यूलर एसिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) को खरीद लिया गया। लेकिन तीन साल बाद भी एक भी मरीज को डिवाइस से कोई सुविधा नहीं मिल सकी। अब तक विभाग में हार्ट ट्रांसप्लांट का कोई नामोनिशान नहीं है। यह 93 लाख की मशीन विभाग में कबाड़ हो रही है। विभाग ने लेखापरीक्षक को बताया कि विभाग में नेफ्रोलॉजिस्ट न होने के कारण मशीन को उपयोग में नहीं लाया गया। जबकि डॉक्टर की तैनाती का काम पहले ही किया जाना चाहिए था। लेखा रिपोर्ट में कहा गया है कि हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 2.93 करोड़ रुपए का निवेश किया गया जिसका मरीजों को अब तक कोई लाभ नहीं मिल सका है।
बजट मिला, नहीं कर पाए खर्च
पिछले पांच वर्षो में केजीएमयू को खूब बजट आवंटित किया गया। लेकिन अधिकारियों ने समय से उपकरणों की खरीद के लिए कदम नहीं बढ़ाया। समय से उपकरण न खरीद पाने के कारण बजट बट्टे खाते (पीएलए) में पड़ा रहा और उसका मरीजों को कोई लाभ न मिल सका।
और नहीं खरीद पाए उपकरण
वर्ष शेष धनराशि
2013-14 204.80 करोड़
2014-15 223.96 करोड़
2015-16 239.01 करोड़
2016-17 110 करोड़
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सीएजी रिपोर्ट की जानकारी मिली है। उपकरणों की कमी के लिए हमने शासन से अतिरिक्त बजट की मांग की है। बजट मिलते ही आवश्यक्ता नुसार उपकरणों की खरीद की जाएगी ताकि मरीजों को दिक्कत न हो ओर स्टूडेंट्स को भी बेहतर शिक्षा दी सके।
प्रो। एमएलबी भट्ट, वीसी, केजीएमयू