अब तो किडनैपर्स फिरौती की रकम के लिए नहीं, बल्कि शरीर के अंगों के लिए भी लोगों को किडनैप किया जा रहा है। ये किडनी चोर राह चलते लोगों को किडनैप कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ अलीगढ़ के एक युवक के साथ हुआ जब वो गाजियाबाद से संडे की दोपहर को अपनी बहन के यहां से घर लौट रहे  युवक को रास्ते से ही कार सवार कुछ किडनैपर्स जबरन किडनैप कर फतेहपुर सीकरी में ले आए। जहां किडनैपर्स ने युवक को जंजीरों से बांधकर एक कमरे में बंधक बना लिया। यहां पहले से मौजूद एक किशोरी ने युवक को मुक्त कर कमरे से भगा दिया। युवक जंजीरों से जकड़े हाथों के साथ रावली चौराहे पर पुलिस के हाथ लग गया।

किडनी के लिए किडनैप 

मेरा नाम गौरव चौहान है और मैं अलीगढ़ ओजीपुर चंदौस का निवासी हूं। मेरे पिता रामअवतार चौहान खेती करते हैं। मेरी बहन संगीता की शादी संजय रावत निवासी गाजियाबाद से हुई है। मैं उससे मिलकर बस से वापस लौट रहा था कि बस ने मुझे रास्ते में दारऊ के पास उतार दिया। यहां से दूसरी बस पकडऩे के लिए मैं ही पैदल चल दिया। तभी मेरे पास एक क्वालिस गाड़ी आकर रुकी और उसका दरवाजा मुझसे टकरा गया। इस पर मैंने ड्राइवर से दरवाजा देखकर खोलने के लिए कहा। इतना कहते ही गाड़ी में बैठे पांच युवकों ने मुझे जबरदस्ती गाड़ी के अंदर डाल कर गाड़ी दौड़ा दी। रास्ते में मेरी बहुत पिटाई की गई। चिल्लाने पर गाड़ी के के काले शीशे चढ़ा दिए गए.  एक ने मेरे मुंह को दबा दिया।

फतेहपुर सीकरी में बंधक बनाया

दारऊ से किडनैपर्स ने सीधे क्वालिस गाड़ी को फतेहपुर सीकरी में लाकर रोका। वो पांचों किडनैपर्स मुझे फतेहपुर सीकरी के एक सूनसान इलाके में बने एक कमरे में ले आए। कमरे में लाकर किडनैपर्स ने मुझे फिर पीटा। मैंने उन्हें रुपए देने का भी लालच दिया, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके जवाब में उन्होंने मेरी किडनी निकालने की बात बताई। किडनी निकालने की बात सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उसके बाद पांचों किडनैपर्स ने मुझे लोहे की जंजीरोंं से बांधकर बंधक बना लिया। बाद में किडनैपर्स ने मुझे एक दरवाजे और कुर्सी से बांध दिया। वे थोड़ी देर में आने की बात कहते हुए कमरे को बाहर से बंदकर चले गए. 

किशोरी ने कराया मुक्त

उसी कमरे में पहले से ही एक आठ साल की बच्ची अंजली भी थी.  मैंने उससे पूछा कि क्या उसकी भी किडनी निकाल ली गई है तो उसने ऐसा कुछ भी होने से इंकार कर दिया। उसने बताया कि उसे तीन साल पहले किडनैपर्स किडनैप करके लाए थे। यहां तक कि उसे माता-पिता और घर का पता भी नहीं मालूम था। मगर, अंजली ने मौका पाकर दरवाजे से सटी खिड़की से हाथ डालकर दरवाजे पर लगी कुंडी को खोल दिया। उसने मुझे बंधनमुक्त करके वहां से भगा दिया।

हाथ में चेन बंधकर भाग आया

मेरे हाथ में जंजीर बंधी हुई थी। उन शैतानों की नजरों से बचता बचाता मैं सीधे फतेहपुर सीकरी रोड पर आ पहुंचा। यहां मैंने एक बाइक वाले से मदद मांगी तो उसने मुझे किरावली तक छोड़ दिया। रास्ते में सभी लोग मुझे किसी मुजरिम की तरह देख रहे थे। किरावली से मैंने हाथ का इशारा कर एक टाटा मैजिक गाड़ी वाले को रोका उस गाड़ी वाले को घटना के बारे में बताया तो उसके ड्राइवर ने मेरे को गाड़ी में बैठाकर रावली पुल के पास छोड़ दिया। वहां पर भी लोग हाथ में जंजीर बंधी हुई देख हैरत में पड़ गए। मैं अपने घरवालों को सूचित करने के लिए एक चाय की शॉप पर गया और दुकानदार को आपबीती बताई। चाय वाले ने मेरी परेशानी को देखते हुए पुलिस को फोन किया। कुछ देर बाद रकाबगंज की पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस ने मेरी कहानी सुनकर मेरे परिवार के लोगों को फोन कर दिया।