- KGMU में पोस्टर चस्पाकर एक अंजान शख्स ने की अपनी किडनी बेचने की अपील

- एक किडनी की कीमत है 15 लाख रुपए, किडनी ट्रांसप्लांट कराने वालों की लंबी है कतार

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW (4 April): बिक रही है किडनी। रेट है क्भ् लाख रुपये। स्थान सिटी का किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू)। जरुरतमंद लोग लगातार किडनी विक्रेता से सम्पर्क भी कर रहे हैं। ये हाल भी तब है कि अंगों का बेचना खरीदना अपराध की श्रेणी में आता है। इस बात की जानकारी मिलने के बाद भी केजीएमयू की दीवारों पर वह विज्ञापन चीख-चीखकर लोगों को अपनी ओर अटै्रक्ट कर रहा है। किडनी की खरीद-फरोख्त में सामने आया यह मामला खुद में ही काफी अनोखा है।

पोस्टर चस्पा कर बेच रहे किडनी

केजीएमयू में किडनी बेचने के लिए बाकायदा कई जगहों पर पोस्टर चस्पा किए गए हैं। विज्ञापन में लिखा गया है, 'आर्थिक संकट एवं बेटी की शादी के लिए मैं अपनी किडनी बेच रहा हूं। ब्लड ग्रुप ए पाजिटिव उम्र ब्0 वर्ष। जल्द से जल्द सम्पर्क करें.' नीचे एक मोबाइल नम्बर भी दर्ज है। पर्चे में ये लाइनें लिखकर किसी ने केजीएमयू में ओपीडी के बाहर व अन्य स्थानों पर चस्पा रखा है।

क्भ् लाख में मिलेगी किडनी

आई नेक्स्ट रिपोर्टर द्वारा इस पर्चे पर लिखे नम्बर पर कॉल किया गया। हालांकि, फोन एक बार में नहीं उठा। खैर, काफी मशक्कत के बाद जब बात हुई तो उस बंदे से सीधे यही कहा कि आपने पढ़ ही लिया होगा कि मुझे अपनी बेटी की शादी करनी है। अगर आपको किडनी चाहिए तो जल्द से जल्द बताइए। बात करने के दौरान उसने कुछ अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग किया। इससे यह तो स्पष्ट हो गया कि वह पढ़ा-लिखा शख्स है। उस व्यक्ति ने काफी पूछने पर अपना नाम सोनी बताया। उसने फिर पूछा कि आपको किडनी लेनी है या नहीं। अगर लेनी है तो बताएं, क्योंकि मुझे जल्दी है। मुझे अपनी बेटी की शादी करनी है। साथ ही यह भी कहा कि अगर आप रेडी हैं तो मैं खुद ढूंढ़ता हुआ आपके पास आऊंगा। आपको कहीं आने की जरूरत नहीं। उसके बाद से आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने कई बार फोन किया लेकिन मोबाइल नम्बर या तो स्विच ऑफ मिला या तो नॉट रिचेबल।

ऐसे नहीं बेच सकते

इस संबंध में केजीएमयू के यूरोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। एसएन शंखवार ने बताया कि यहां पर सिर्फ संजय गांधी पीजीआई में ही किडनी का ट्रांसप्लांट होता है। जहां पर क्लोज रिलेटिव का ही किडनी ट्रांसप्लांट होता है। अगर क्लोज रिलेटिव की किडनी मैच नहीं करती तो किसी जानने वाले की मदद भी ली जा सकती है, जिसके लिए उसे अपनी स्वीकृति का एफीडेविट लगाना पड़ता है और डॉक्टर्स उसे आगे फॉरवर्ड करते हैं। पहले जिले की कमेटी और फिर राज्य स्तरीय कमेटी इसे ह्यूमेनिटेरियन ग्राउंड पर अप्रूव करती है।

पीजीआई में ये है हालात

संजय गांधी पीजीआई में नेफ्रोलॉजी विभाग में किडनी ट्रांसप्लांट होता है। जहां पर इस समय म् माह से भी ज्यादा की वेटिंग चल रही है। डायलिसिस की भी लाइन लगी हुई है। बड़ी संख्या में मरीज हैं, जो किडनी ट्रांसप्लांट करवाने की कतार में हैं। किडनी न मिल पाने से होने वाली मौतों की संख्या भी कम नहीं है। या तो वे पैसे की कमी के कारण किडनी ट्रांसप्लांट नहीं करा पाते या फिर फैमिली मेम्बर्स की किडनी मैच नहीं होती। ये लोग ऐसे में अपने पेशेंट को बचाने के लिए किडनी को गलत तरीके से खरीदने की कोशिश करते हैं।

ऐसे भी होता है फर्जीवाड़ा

हाल ही में गोमती नगर के एक पेशेंट की नोयडा के एक बड़े संस्थान में किडनी ट्रांसप्लांट करने के दो दिन बाद मौत हो गई थी। इसमें जिस व्यक्ति को किडनी डोनेट करने के लिए अप्रूव किया उसकी किडनी डॉक्टर्स ने ली ही नहीं। उसकी जगह किसी और की किडनी डॉक्टरों ने मरीज को लगा दी थी। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। अब यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जांच में पाया गया कि जिस क्लोज रिलेटिव व्यक्ति की किडनी डॉक्टर्स ने निकाल कर मरीज को लगाने का दावा किया था उसकी किडनी ही नहीं निकाली गई। अल्ट्रासाउंड जांच में उसकी दोनों किडनी सुरक्षित मिली। इसका मतलब डॉक्टर्स ने किडनी बेचने वालों की मिलीभगत से ऐसा किया।

केजीएमयू में किडनी ट्रांसप्लांट अभी शुरू ही नहीं हुआ है। इसलिए केजीएमयू में इसका कोई स्कोप नहीं है। किडनी सेल नहीं की जा सकती। यह कानूनन जुर्म है। मरीजों को सलाह है कि वे ऐसे लोगों से बचें।

प्रो। एसएन शंखवार

सीएमएस केजीएमयू

पीजीआई में सिर्फ फ‌र्स्ट ब्लड रिलेटिव या वाइफ से ऑर्गन डोनेशन का ट्रांसप्लांटेशन होता है। अभी हमने ब्रेनडेड पेशेंट्स से भी लेकर ऑर्गन ट्रांसप्लांट करना शुरू किया है। लेकिन, ऑर्गन डोनेशन लॉ के मुताबिक इनकी खरीद-फरोख्त सम्भव ही नहीं है। पीजीआई में ब् से म् माह की वेटिंग है और सालाना हजारों मरीजों को ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत पड़ती है।

प्रो। राकेश कपूर, पीजीआई