- बच्चों में भी हो रही डायबिटीज की समस्या

- मीठा अधिक खाने से बढ़ रही है समस्या

- पेरेंट्स बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं डॉक्टरों के पास

<- बच्चों में भी हो रही डायबिटीज की समस्या

- मीठा अधिक खाने से बढ़ रही है समस्या

- पेरेंट्स बच्चों को लेकर पहुंच रहे हैं डॉक्टरों के पास

nikhil.sharma@inext.co.in

Meerutnikhil.sharma@inext.co.in

Meerut: उम्र मात्र क्फ् साल। सभी जानते हैं ये उम्र तो खेलने, मस्ती करने की होती है, लेकिन अगर इस उम्र में डायबिटीज हो जाए तो हैरान होना लाजमी है, लेकिन बात सोलह आने सही है। दरअसल बच्चे इस खतरनाक बीमारी का शिकार हो रहे हैं, वो भी टाइप टू के, जो अनियमित दिनचर्या, हाई कोलेस्ट्रॉल और रिच फैटी फूड्स से होती है। इस वजह से ये बच्चे जिंदगी भर के लिए दवाईयों के आदी बन गए हैं।

खत्म न हो जाए बचपन

बच्चे तो बच्चे होते हैं, इनका बचपन ही खेल-खेल में गुजर जाता है। जिस उम्र में बच्चों को मस्ती करनी होती है। अब उसी उम्र में बच्चे डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो रहे हैं और जिंदगी भर के लिए दवाइयों के आदी बन रहे हैं। शास्त्रीनगर निवासी क्फ् साल के कनिष्क का वजन लगातार बढ़ रहा था। भ्म् कमजोरी, थकान के साथ लगातार भूख और पेशाब की भी समस्या हो रही थी। पिता ने जब उसे दिखाया, तो पता चला कि उसे डायबिटीज हो गई है। अब हर रोज कनिष्क को इंसूलिन इंजेक्शन पर निर्भर रहना पड़ रहा है। खाना खाने पर भी इंसूलिन का इंजेक्शन।

दवाइयों में गुजर रही जिंदगी

क्ब् साल की आन्या डायबिटीज की शिकार है। समाज के डर से कई बार माता-पिता बच्चे की बीमारी को सभी के सामने नहीं आने देते। लेकिन सच्चाई यही है कि जिंदगी भर दवाइयों के ताने-बाने में बच्चे के सपने तो कहीं खो ही जाते हैं, साथ ही बचपन भी गुम सा ही हो जाता है।

तो ये क्या हो रहा है।

हार्मोन एक्सपर्ट की मानें तो डायबिटीज टाइप टू मूल रूप से अनियमित दिनचर्या, अनियंत्रित खान-पान से होती है। क्0 साल पहले तक ये ब्0 साल तक की उम्र के बाद सामने आती थी। लेकिन क्0 साल के बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं। बड़े शहरों में औसतन क्0 से क्भ् वर्ष के बच्चों में ये बीमारी हो रही है। हाइली कार्बोहाइड्रेड, फैट रिच फूड़्स और आरामदायक दिनचर्या इसका कारण बन रही है।

बॉक्स-

डायबिटीज से न्यूरो तक

डायबिटीज के बाद ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, बे्रन स्ट्रोक, लकवा, आंख कमजोर होना, न्यूरो समस्या तक हो सकती है।

नजरअंदाज न करें

- बार-बार भूख लगना, खाने की इच्छा बढ़ना

- बार-बार पेशाब आना

- अगर कोई लंबे समय तक बनी रहे बीमारी

- कमजोरी और थकान होना

- लगातार प्यास लगना

ऐसे करें बचाव

- तनाव ना लें, खुश रहने की कोशिश करें

- वजन कंट्रोल करें, नियमित एक्ससाइज करें

- प्रोटीन-विटामिन वाला भोजन लें

- हाई कॉलेस्ट्राल वाले खाने से परहेज करें

- समय पर खाना खाए

- हरी सब्जियों, फल का अधिक सेवन करें

- किसी भी बीमारी को अनदेखा नहीं करें

केसेज

क्- माधवपुरम निवासी क्ब् साल की आन्या डायबिटीज की शिकार है। कुछ महीने पहले आन्या का वजन लगातार बढ़ने लगा, फैटी फूड आन्या को काफी पसंद थे। डॉक्टर को दिखाया तो पता चला आन्या को डायबिटीज की समस्या है।

ख्- शास्त्रीनगर निवासी क्फ् वर्षीय कनिष्क का वजन लगातार बढ़ रहा था। उसके खाने का समय व आराम का समय भी निर्धारित नहीं था, जब कमजोरी और थकान की समस्या हुई, तो डॉक्टरों को दिखाया, तब डायबिटीज की समस्या सामने आई।

--------------

ये भी हैं फेक्टस

- न्यू बोर्न बेबीज में भी जेनेटिक डिफेक्ट के कारण डायबिटीज की आशंका होती है। इसके नियोनेटल डायबिटीज कहा जाता है। दो से तीन दिन बाद ही बच्चे की शुगर बढ़ने लगती है। तीन साल की उम्र तक इसकी पहचान होती है।

- टाइप वन म् माह से क्भ् साल तक के बच्चों में सामने आती है। वहीं इस समय ख् से क्0 साल तक के बच्चे इसका शिकार हो रहे है। शरीर के जिन्स में वायरल इंफेक्शन के कारण ये बीमारी होती है। इसमें शुगर 800 तक पहुंच जाती है।

- टाइप टू डायबिटीज के पीछे अनुवांशिक कारण हो सकता है। लेकिन इसका मुख्य कारण हाइली कार्बोहाइड्रेड, फैट रिच फूड़्स और आरामदायक दिनचर्या इसका कारण बन रही है। पहले ये जहां ब्0 साल की उम्र के बाद सामने आती थी, वहीं अब क्0 साल के बच्चों में भी ये समस्या सामने आ रही है।

वर्जन

डायबिटीज टाइप टू अनियमित दिन चर्या और फैटी फूडस के अधिक सेवन की वजह से सामने आती है। वजन बढ़ता रहता है और डायबिटीज की समस्या खड़ी हो जाती है। औसतन हर दूसरे बच्चे में आज वजन की समस्या है।

-डॉ। प्रदीप गौड़, फिजिशयन

बच्चों में फैटी फूडस का अधिक सेवन और अनियमित दिनचर्या बढ़ गई है। अब नतीजे डायबिटीज के रूप में सामने आ रहे हैं। वजन पर कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। क्0 से क्ब् साल के बच्चे इसका अधिक शिकार हो रहे हैं।

-डॉ। विनित कुमार, चाइल्ड स्पेशलिस्ट