- एफडीए की छापेमारी में हुआ खुलासा, निगेटिव निकली रिपोर्ट

- शासन के आदेश पर मिड-डे-मील की गुणवत्ता खंगाल रहा एफडीए

आई एक्सक्लूसिव

अखिल कुमार

Meerut: ये एक संगीन अपराध है, बच्चों को मिड-डे-मील के नाम पर मेरठ के स्कूलों में जहर परोसा जा रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा पिछले दिनों मेरठ के करीब 20 स्कूलों में छापा मारकर मिड-डे-मील चेक किया गया। लखनऊ स्थित फोरेंसिक लैब में 5 सैंपल फेल पाए गए। हानिकारक कलर मिली हुई हल्दी और मिर्च का प्रयोग मिड-डे-मील में स्कूल कर रहे हैं।

जारी रहेगी छापेमारी

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी जेपी सिंह ने बताया कि शासन के निर्देश स्कूलों में मिड-डे-मील योजना के तहत पकने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच अब खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफडीए) करेगा। इसी क्रम में पिछले दिनों टीमों द्वारा मेरठ के करीब 20 प्राइमरी स्कूलों में छापामारकर खाद्य सामग्री के सैंपल लिए गए हैं। यहां बता दें कि ज्यादातर स्कूलों में मानकों को नजरअंदाज कर मिड-डे-मील बन रहा था तो वहीं 5 ऐसे स्कूल भी थे जो छात्रों को खाने के साथ जहर खिला रहे थे। ये हानिकारक केमिकल युक्त कलर पिसी हल्दी और मिर्च में मिला पाया गया है। टीम को मसाले खुले में ही मिले। सरसों का तेल एक्सायरी डेट का मिला तो कई स्कूलों में गेहूं और चावल निम्न क्वालिटी का मिला।

बीएसए को नहीं जानकारी

एफडीए का कहना है कि जिन स्कूलों के सैंपल फेल हुए हैं उसकी जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग को दे दी गई है। मसलन स्कूल स्टॉफ, प्रधान, एनजीओ या अन्य कोई जिम्मेदार। जबकि बीएसए मोहम्मद इकबाल ने एफडीए की कार्रवाई की जानकारी से ही इनकार किया है। आई नेक्स्ट ने जब बीएसए से पूछा तो उन्होंने कहा कि इस तरह के शासन के किसी भी आदेश की उन्हें जानकारी नहीं है और न ही उनकी संज्ञानता है कि किसी स्कूल में एफडीए ने छापा मारकर सैंपल लिया हो।

वाह रे, साहब!

शासन की ओर से प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे-मील के नाम पर प्रति बच्चा 4.13 रुपये कनवर्जन कॉस्ट है जबकि जूनियर स्कूलों में प्रति छात्र 6.18 रुपये है। विभाग कनवर्जन कॉस्ट नाकाफी बता रहा है। बीएसए ने आईनेक्स्ट को बताया कि एक व्यक्ति ढाबे पर 4 रोटी और दाल खाएगा तो 100 रुपये खर्च करेगा। 4 रुपये में कैसे डाइट को पूरा किया जाए? बीएसए यहां तक बोल गए कि हर स्कूल में दूध को लेकर सरकार का आदेश है और दूध का पैसा मिलता नहीं? प्रति बच्चे को 100 मिली भी दूध दिया तो आज के भाव में 5 रुपये का है, जबकि कनवर्जन कॉस्ट महज 4.13 पैसे है, वो भी समय से मिलती नहीं। एनजीओ भी चैरिटी के लिए नहीं हैं, मुफ्त में कौन मिड-डे-मील बना देगा, गुणवत्ता कहां से लाई जाए?

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शासन के निर्देश अब प्राइमरी और जूनियर स्कूलों में मिड-डे-मील की गुणवत्ता को एफडीए चेक करेगा। करीब 20 स्कूलों से सैंपल लिए गए हैं, करीब 5 स्कूलों में हानिकारक केमिकल वाले मसाले का प्रयोग पकड़ में आया है।

जेपी सिंह, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी।

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एफडीए की किसी कार्रवाई की मुझे जानकारी नहीं है। शासन का कोई आदेश भी मुझे नहीं पता। कनवर्जन कॉस्ट की नहीं मिल पा रही है, गुणवत्ता कहां से मुकम्मल की जाए। कुछ होगा तो बताया जाएगा।

मोहम्मद इकबाल, बीएसए, मेरठ