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PRAYAGRAJ: श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी लिखते हैं, माघ मकरगत रवि जब होई, तीरथपतिहिं आव सब कोई, देव दनुज किन्नर नर श्रेनी, सादर मज्जहिं सकल त्रिवेनी प्रयागराज में त्रिवेनी संगम के तट पर इन्हीं चौपाइयों को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मूर्त रूप लेते हुए देखा। पहली बार कुंभ मेला में इस प्रकार के ऐतिहासिक घटना के साक्षी बने। मौका था जूना अखाड़ा में विलय के बाद पहली बार जूना अखाड़ा के शाही स्नान में शामिल होने पहुंचे किन्नर अखाड़ा के संतों की भव्य छवि देखने का। शाही स्नान के लिए निकले जूना अखाड़ा के संतों के साथ किन्नर अखाड़ा के संतों की छवि अपनी अलग ही छटा बिखेर रही थी। घाट पर संतों का दर्शन करने के लिए बेचैन श्रद्धालुओं का कौतूहल घाट पर पहुंचे जूना अखाड़ा के संतों के साथ किन्नर अखाड़ा के संतों को देखकर दो गुना हो गया।

छत्र-चंवर देकर किया स्वागत
शाही स्नान के ठीक पहले किन्नर अखाड़ा के संत अपनी पूरी तैयारी के साथ जूना अखाड़ा पहुंचे। जहां पर जूना अखाड़ा के मुख्य संरक्षक श्रीमहंत हरि गिरी जी महाराज ने किन्नर अखाड़ा के संतों का स्वागत किया। इसके बाद उन्होंने किन्नर अखाड़ा प्रमुख अचार्या महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी व अन्य महामंडलेश्वर को छत्र व चंवर देकर उनका स्वागत किया। उसके बाद जूना अखाड़ा में शामिल अन्य अखाड़ा के संतों के साथ किन्नर अखाड़ा के संत भी पूरी साजो-सज्जा के साथ संतों की टोली अपनी सनानतनी परम्परा का निर्वहन करते हुए पूरी भव्यता के साथ संगम में शाही स्नान के लिए निकली। जिसमें हजारों की संख्या में साधु संत, महात्माओं के साथ ही उनके अनुयायी भी शामिल हुए।

किन्नर अखाड़े ने रचा इतिहास
किन्नर अखाड़े में मंगलवार से पहले तक त्रिकाल संध्या स्नान की परंपरा रही है। जूना अखाड़े में विलय के बाद पहला मौका था जब किन्नर अखाड़े को शाही स्नान करना था। जूना अखाड़े के साथ किन्नर अखाड़ा शाही स्नान के लिए पहुंचा तो सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हो गया। भीड़ अखाड़ा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की एक झलक पाने को बेताब थी। सुबह गंगा पूजा किन्नर अखाड़ा के संतों ने शाही स्नान के दौरान की तो शाम को उन्होंने करीब साढ़े पांच बजे नागवासुकी घाट पहुंचकर त्रिकाल संध्या स्नान किया। इसके साथ ही प्रयागराज की धरती पर किन्नर अखाड़े के शाही स्नान करने का इतिहास रच गया। शाम को किन्नर अखाड़ा के सभी संतों ने विधि विधान के साथ मां गंगा की पूजा अर्चना की और आर्शीवाद लिया। इस मौके पर अखाड़ा प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, भवानी, कामिनी, पवित्रा, वंशिका, पुष्पा, बंटी, पूजा, कमल, रश्मी, पायल, प्रांजल सहित अखाड़ा के अन्य संत मौजूद रहे। इन सभी से आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए पब्लिक बेताब रही।