कैसा रहा शुरुआती जीवन
डॉ. किरन बेदी का जन्म साल 1949 में पंजाब के अमृतसर शहर में हुआ. उनके पिता का नाम श्री प्रकाश लाल पेशावरिया था, वहीं माता का नाम श्रीमती प्रेमलता था. हालांकि अपने शुरुआती जीवन में वह एक टेनिस प्लेयर भी रह चुकी हैं. किरन बेदी ने एशियन में लॉन टेनिस चैंपियनशिप भी अपने नाम की. इसके अलावा उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और उसमें शानदार प्रदर्शन किया. साल 1970 में उन्होंने पॉलिटिकल साइंस के लेक्चरर के तौर पर अपना करियर शुरु किया. इसके साथ ही उन्होंने एलएलबी का कोर्स भी किया. हालांकि इसके 2 साल बाद ही 1972 में उन्होंने इंडियन पुलिस सर्विस ज्वॉइन कर ली और पहली महिला IPS का रिकॉर्ड अपने नाम किया. इसके बाद IPS रहते हुये किरन बेदी ने अपनी ईमानदारी से लगातार सुर्खियां बटोरीं.

कहां-कहां हुई ज्वॉइनिंग
अब अगर किरन बेदी के IPS करियर पर नजर डालें तो, उनकी कई जगह और कई विभागों में पोस्टिंग हुई. इनमें दिल्ली यातायात पुलिस प्रमुख, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो प्रमुख, डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलीस-मिजोरम, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ प्रिज़न-तिहाड़, स्पेशल सेक्रेटेरी टू लेफ्टीलेन्ट गवर्नर-दिल्ली, इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस-चंडीगढ़, ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस ट्रेनिंग, स्पेशल कमिश्नर ऑफ पुलिस इंटेलिजेन्स, यू.एन. सिविलियन पुलिस एड्वाइजर, महानिदेशक, होम गार्ड और नागरिक रक्षा, महानिदेशक, पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो. आपको बताते चलें कि दिल्ली पुलिस यातायात प्रमुख रहते हुये वह तब चर्चा में आई, जब उन्होंने तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की गाड़ी को गलत पार्किंग रहते उठा लिया था.

अन्ना हजारे का दिया साथ
एक सक्सेस फुल IPS करियर के बाद किरन बेदी ने अन्ना हजारे के साथ समाजसेवा की शुरुआत की. किरन बेदी ने अन्ना और केजरीवाल के साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ नई मुहिम की शुरुआत की थी. इंडिया अगेंस्ट करेप्शन के तहत किरन बेदी ने अपनी आवाज को काफी बुलंद किया. हालांकि 2011 में अन्ना के साथ भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें अरेस्ट भी कर लिया गया. फिलहाल बाद में केजरीवाल द्वारा एक अलग पार्टी बना लेने से किरन बेदी का मनमुटाव शुरु हो गया. केजरीवाल ने आप पार्टी बनाकर एक अलग लाइन बनाई, तो अब देर सबेर किरन बेदी ने भी बीजेपी का हाथ थाम लिया.

समाज सेवा और सम्मान
आपको बात दें कि किरन बेदी एक अच्छी समाजसेविका भी हैं. उन्होंने दो स्वंयसेवी संस्थाओं की स्थापना की और उसे सफलतापूर्वक संचालित किया. साल 1988 में स्थापित नव ज्योति और 1994 में स्थापित इंडिया विजन फाउंडेशन, यह दोनों संस्थायें नशा मुक्ति का इलाज और प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देती हैं. फिलहाल उनके इस काम के लिये उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं. नशे की रोकथाम के लिये यूएन द्वारा 'सर्ज साटिरोफ मेमोरियल अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें शौर्य पुरस्कार और रमन मैग्सेसे पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया. वहीं इंटरनेशनल अवॉडर्स की बात करें, तो उन्हें जर्मन फाउंडेशन का जोसफ ग्यूज पुरस्कार, नार्वे के एक संगठन ने एशिया रीजन अवॉर्ड, 2001 में अमेरकी मॉरीसन-टॉम निटकॉक पुरस्कार तथा इटली का 'वूमन ऑफ द इयर 2002' पुरस्कार मिल चुके हैं.

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