मानव जाति के घर अफ्रीका के बारे में जानें ये 10 अनजान बातें

मानव जाति की उत्पत्ति का स्थान
अगर कुछ इतिहासकारों के नजरिए से देखें तो इसी महाद्वीप में सबसे पहले मानव का जन्म व विकास हुआ और यहीं से जाकर वे दूसरे महाद्वीपों में बसे, इसलिए इसे मानव सभ्यता की जन्मभूमि माना जाता है। यहाँ विश्व की दो प्राचीन सभ्यताओं मिस्र और कार्थेज का भी विकास हुआ था।

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दूसरे महाद्वीपों से टूट कर बना अफ्रीका
एक और खास बात जो अफ्रीका के बारे में प्रसिद्ध है वो ये है कि पहले ये बाकी कान्टीनेंटस से जुड़ा हुआ था और अर्से बाद टूट कर अलग हुआ है। जलवायु शास्त्र, पूर्व वनस्पति शास्त्र, भूशास्त्र तथा भूगर्भशास्त्र के प्रमाणों के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि करीब एक अरब वर्ष पहलेअफ्रीका का सारा क्षेत्र बाकी कांटीनेंटस के साथ संयुक्त था। जिसे पैंजिया के नाम से जाना गया। कार्बन युग में पैंजिया के दो टुकड़े हो गये और उनमें से एक उत्तर तथा दूसरा दक्षिण में चला गया।

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बहु भाषा भाषी है अफ्रीका
अफ्रीका में कई भाषायें बोली जाती हैं। इस पूरे पूरे महाद्वीप में करीब 2000 मान्यता प्राप्त भाषाएं हैं। इनमें से अरबी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 17 करोड़ लोग अरबी इस्तेमाल करते हैं। इनका ताल्लुक मुख्य रूप से उत्तरी अफ्रीका से है।

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विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल
अफ्रीका में दुनिया का सबसे विशाल मरुस्थल है। जहां मध्य निम्न पठार भूमध्य रेखा के उत्तर पश्चिम में अन्ध महासागर तट से पूर्व में नील नदी की घाटी तक फैला हुआ है। इसकी ऊँचाई 300 से 600 मीटर है। इसी को सहारा और लीबिया के मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। यह यहां का सबसे प्राचीन मरूस्थल है जो नाइजर, कांगो, बहर एल गजल तथा चाड नदियों की घाटियों द्वारा कट-फट गया है। इस पठार के बीच में अहगर एवं टिबेस्टी के पहाड़ी हिस्से हैं जबकि पूर्व में कैमरून, निम्बा एवं फूटा जालौन के पहाड़ हैं। कैमरून के पठार पर स्थित 4,069 मीटर की कैमरून पहाड़ी पश्चिमी अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी है। कैमरून गिनि खाड़ी के समानान्तर एक शांत ज्वालामुखी भी है। वहीं दक्षिणी-पश्चिमी भाग में कालाहारी का मरूस्थल है।

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विश्व की सबसे बड़ी नील नदी अफ्रीका में है
नील नदी को अफ्रीका ही नहीं विश्व की सबसे बड़ी नदी माना गया है जो अफ्रीका की सबसे बड़ी झील विक्टोरिया से निकलकर सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्यसागर में मिलती है। नील नदी सफेद नील और नीली नील दो प्रमुख धाराओं से बनती है। सफेद और नीली नील सूडान के खारतूम के पास मिलती है। इसका स्रोत वर्षाबहुल भूमध्यरेखीय क्षेत्र है, अतः इसमें कभी भी पानी की कमी नहीं होती। इस नदी ने सूडान और मिस्र की मरुभूमि को सींचकर हरा-भरा बना दिया है, इसीलिए मिस्र को नील नदी का बरदान कहा जाता है। नीली नील, असबास और सोबात इसकी सहायक नदियां हैं।

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विश्व के प्राकृतिक अजूबों में शामिल है विक्टोरिया जल प्रपात
अफ्रीका का विक्टोरिया जलप्रपात जिम्बाव्बे में जेम्बेजी नदी पर स्थित है। इसे स्थानीय भाषा मे मोसी-ओआ-तुन्या कहा जाता है। इस जलप्रपात को विश्व के सात प्राकृतिक आश्चर्यो मे से एक माना जाता है। विक्टोरिया झील अफ्रीका की सबसे बड़ी तथा धरती पर मीठे पानी की दूसरी सबसे बड़ी झील है।

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शेरों से ज्यादा शिकार किए दरियाई घोड़े ने
अगर आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि अफ्रीका में इंसानों का शिकार करने वाले बड़े जानवरों में ना तो शेर हैं ना ही मगरमच्छ बल्कि दरियाई घोड़े ने मनुष्य को अपना शिकार बनाया। इनमें भी मादा ज्यादा खतरनाक होती है।

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अफ्रीका में भारतीयों की जनसंख्या है काफी
क्ष्ोत्र फल की दृष्टि से अफ्रीका, भारत से 10 गुना बड़ा है और इसकी आबादी एक अरब 10 करोड़ है। अफ्रीकी देशों में करीब 27 लाख प्रवासी भारतीय रहते हैं।

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सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला युवा महाद्वीप है अफ्रीका
विश्व की कुल आबादी का 15 प्रतिशत अफ्रीका में रहता है, इसीलिए इसे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला क्षेत्र माना जाता है। आयुवर्ग के नजरिए से अफ्रीका अपेक्षाकृत युवा है। यहां की 65 फीसदी आबादी की उम्र 35 साल से कम है। कई देशों में तो आधी आबादी की औसत उम्र 25 साल से भी कम है। इसके साथ ही यहां 3000 कबीले हैं, अकेले नाइजीरिया में ऐसे कबीलों की संख्या 370 से ज्यादा है।

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सबसे लंबी दरार घाटी
पृथ्वी की आन्तरिक हलचलों के कारण अफ्रीका के पठार के पूर्वी भाग में भ्रंश घाटियों का र्निमाण अफ्रीका महाद्वीप की एक मुख्य भौतिक विशेषता ये पूर्वी अफ्रीका की महान दरार घाटी के नाम से प्रसिद्ध है और उत्तर से दक्षिण की ओर फैली है। यह विश्व की सबसे लम्बी दरार घाटी है तथा 4,800 किलोमीटर लम्बी है। अफ्रीका की महान दरार घाटी की दो शाखाएँ हैं, पूर्वी एवं पश्चिमी। पूर्वी शाखा दक्षिण में मलावी झील से रूडाल्फ झील तथा लाल सागर होती हुई सहारा तक फैली हुई है और पश्चिमी शाखा मलावी झील से न्यासा झील एवं टांगानिका झील होती हुई एलबर्ट झील तक चली गयी है।

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