मूलत: नवरात्रि चार होती हैं। अधिकतर भक्त चैत्र नवरात्रि अश्वनि नवरात्रि के नाम से जानी जाती है किन्तु दो गुरु नवरात्रि हैं। माधनवरात्रि अषाढ़ नवरात्रि की गुप्त नवरात्रि ज्यादा प्रभावी होती है। गुप्त नवरात्रि के महापर्व पर एकांत में पूजा अर्चना करनी चाहिए और अधिक से अधिक मां देवी के मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।

जप-तप और हवन करने से आपको पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। यदि आप गुप्त नवरात्रि में या किसी सरोवर या नदी के किनारे बैठकर मंत्र करें या मंत्रों का जाप करें तो अति उत्तम माना गया है। तीन दिन मां काली, तीन दिन मां लक्ष्मी और तीन दिन मां सरस्वती का पूजन करने से धन, बल और ज्ञान की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है किन्तु लक्ष्मी, काली और सरस्वती का पूजन विशेष है।

3 जुलाई को प्रतिपदा रात्रि 10 बजकर 5 मिनट तक आर्द्रा नक्षत्र, प्रात: काल 6 बजकर 36 मिनट तक तत्पश्चात पुर्नबसु नक्षत्र रात्रि 4 बजकर 39 मिनट पर मां भगवती के आगमन से मेष, वृष, कन्या, तुला, धनु तथा कुंभ राशि वाले भक्तों को सफलता मिलेगी। मिथुन, सिंह एवं मकर राशि वालों के लोगों को साधना से श्रम सार्थक होंगे। कर्क वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को महाकाली की उपासना फलीभूत होंगी। गुप्त नवरात्रि 3 जुलाई से 10 जुलाई तक रहेगी।

पंडित दीपक पांडेय

Spiritual News inextlive from Spiritual News Desk