पाकिस्तान में हिंगलाज शक्तिपीठ
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्िथत शक्तिपीठ हिंगलाज शक्तिपीठ के नाम से जाता है। यह वही स्थान है जहां पर सती माता का सिर गिरा था। यहां भगवान शिव को भीमलोचन के रूप में व माता को भैरवी के रूप से पूजा जाता है।

पाकिस्‍तान में है हिंगलाज देवी शक्तिपीठ,जानें विदेशी धरती पर स्थित नौ शक्तिपीठ का महत्‍व

तिब्बत में मानस शक्तिपीठ

तिब्बत में मानसरोवर झील के किनारे पर ही मानस शक्तिपीठ स्थित है। इस स्थान पर सती माता की दायीं हथेली गिरी थी। यहां भगवान शिव को भैरव के रूप में पूजा जाता है व माता सती को दाक्षायणी के रूप में पूजा जाता है।

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श्रीलंका में लंका शक्तिपीठ
श्रीलंका में स्थित शक्तिपीठ लंका शक्तिपीठ नाम से जाना जाता है। यहां पर देवी की पायल गिरी थी। इस स्थान पर भगवान शिव राक्षेश्वर के रूप में पूजे जाते है। वहीं माता इंद्राणी के रूप में पूजी जाती हैं।

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नेपाल में गण्डकी शक्तिपीठ

नेपाल में स्थित शक्तिपीठ गण्डकी शक्तिपीठ नाम से जाना जाता है। यहां गंडक नदी के उद्गम स्थल पर माता सती का दायां गाल गिरा था। यहां पर देवी महामाया और भगवान शिव को चक्रपाणि के रूप में पूजा जाता है।

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नेपाल में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ
नेपाल के काठमांडू में गुह्येश्वरी शक्तिपीठ स्थित है। यह भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के निकट ही स्थित है। कहा जाता है कि यहां पर सती के दोनो घुटने गिरे थे। यहा पर शक्ति को महामाया और शिव को कपाल रूप में पूजा जाता है।

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बांग्लादेश में सुगंध शक्तिपीठ
बांग्लादेश में सुगंध नदी के तट पर सुगंध शक्तिपीठ स्थित है। इसी स्थान पर देवी की नासिका गिरी थी। यहां भगवान शिव को त्र्यम्बक व माता सती को सुनंदा के रूप में पूजा जाता है।

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बांग्लादेश में करतोयाघाट शक्तिपीठ
बांग्लादेश के भवानीपुर में करतोयाघाट शक्तिपीठ प्रसिद्ध है। करतोया नदी के किनारे माता सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां पर भगवान शिव को भैरव वामन  के रूप में माता सती को अर्पणा के रूप में पूजा जाता है।

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बांग्लादेश में भवानी शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश के सीताकुंड स्टेशन के समीप चंद्रशेखर पर्वत पर भवानी शक्तिपीठ स्िथत है। यहां माता सती की दायीं भुजा गिरी थी। यहां भगवान शिव को  चंद्रशेखर  व माता सती को भवानी रूप में पूजा जाता है।

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बांग्लादेश में यशोर शक्तिपीठ
बांग्लादेश के जैशोर में यशोर शक्तिपीठ स्थित है। यहां पर बाएं हाथ की हथेली गिरी थी। इस स्थान पर भगवान शिव को चन्द्र के रूप में व माता सती को यशोरेश्वरी के रूप में पूजा जाता है।

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