14 से 20 रुपये मिलते

ऑनलाइन मार्केट में आज बेहतर होम डिलीवरी सर्विस देने की होड़ रहती है। ऐसे में फ्लिपकार्ट, अमेजन, स्नैपडील, मंत्रा जैसी कई बड़ी कंपनियों में फिस्टव सीजन में डिलीवरी ब्वॉयज की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं। हालांकि फेस्टिव सीजन में बढ़ने वाले ये डिलीवरी ब्वॉयज कई बार डायरेक्ट कंपनी से न होकर किसी स्टोर संचालक या फिर कंपनी के लोकल एरिया मैनेजर द्वारा भी हायर किए जाते हैं। सभी कंपनियों में होम डिलीवरी का अलग-अलग चार्ज मिलता है। जिसमें एक डिलीवरी ब्वॉयज को एक पैकेट डिलीवर करने में 14 रुपये से 20 रुपये तक ही मिलते हैं। बड़ी संख्या में लोग फेस्टिव सीजन में पार्ट टाइम या फिर जरूरत होने पर डिलीवरी ब्वॉवज बन जाते हैं।

online shopping : जानें कितना कमाते हैं डिलीवरी ब्‍वॉयज जो इस दिवाली करेंगे खुशियों की होम डिलीवरी

सुबह 8 से रात 8 बजे तक

एक डिलीवरी ब्वॉयज के रूप में डायरेक्ट कंपनी से न होने से उन्हें परमानेंट जैसी ज्यादा सुविधाएं नहीं मिलती हैं। खुशियों की होम डिलीवरी करने वाले निभेश यादव का कहना है कि इस दिवाली भी उनके जैसे बहुत से लोग खुशियों की होम डिलीवरी में जुड़े हैं। इस दौरान उन्हें बाइक की व्यवस्था खुद ही करनी पड़ती है। पेट्रोल से लेकर उसके पंचर हो जाने का खर्चा भी खुद ही झेलना पड़ता है। आम दिनों में जहां 100 पैकेट डिलीवर करने होते हैं वहीं फेस्टिव सीजन में 200 से ज्यादा पैकेट डिलीवर करने होते हैं। इस सीजन में सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सिर्फ दौड़ते रहना होता है। बाइक पर व उनकी पीठ पर बड़े-बड़े हैवी बैग लदे होते हैं, जिनमें लोगों की खुशियां होती हैं।

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हैवी बैगों में होती खुशियां

फेस्टिव सीजन में पेंसिल, मेकअप आइटम, जूतों से लेकर मिक्सर ग्राइंडर या फिर इससे भी बड़े आइटम होते हैं जो लोगों तक समय से पहुंचाना होता है। कई बार तो हालत ये होती है कि पांच से छह मंजिल की इमारत पर लिफट आदि खराब होने पर सीढ़ियां चढ़कर लोगों तक आइटम पहुंचाने पड़ते हैं। इस दौरान डिलीवरी ब्वॉयज की जो हालत होती है वह सिर्फ वही जानता है। वहीं दिल्ली एनसीआर में पिछले दो सालों से आइटम डिलीवर करने वाले प्रवीन कुमार कहते हैं कि कई बार रास्ते इतने खराब होते हैं कि 35 से 40 किलोग्राम भार वाले बैग से उनकी पीठ में दर्द होने लगता है। रास्तों पर स्पीडब्रेकर होने पर जब बाइक उछलती है तो ये बैग उनके कंधों को चोट पहुंचाते हैं।

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डिलीवरी ब्वॉयज पर बिफरते

सबसे बड़ी बात तो यह है कि किसी तरह की दुघर्टना आदि में अगर डिलीवरी वाले सामान को नुकसान होता है तो वो उसके जिम्मेदार भी खुद डिलीवरी ब्वॉयज होते हैं। अक्सर देखा जाता है कि आइटम देर से पहुंचने पर कस्टमर डिलीवरी ब्वॉयज पर बिफर जाते हैं। शायद लोग यह नहीं समझते हैं कि डिलीवरी ब्वॉयज भी चाहते हैं कि वे कम समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों तक आइटम डिलीवर कर सकें लेकिन कई बार आइटम देर से पहुंचने के अलग-अलग कारण हो जाते हैं। इसमे सबसे पहला कारण रास्ते में गाड़ी पंचर हो जाने पर आइटम पहुंचने में लेट हो जाता है। इस दौरान ग्राहक कई बार सीधे कंपनी को मेल या फिर कॉल आदि के जरिए शिकायत कर देते हैं।

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इन वजहों से भी हो जाती देर

इसमें भी ऊपर से उनके इंचार्ज तक बात आती है और फिर अंत में उसके लिए भी सुनना पड़ता है। गाड़ी पंचर होने वाली बात को कोई सीरियस नहीं लेता है। वहीं दूसरा एक कारण यह भी है कि कस्टमर को आइटम देकर उससे धनराशि लेने के साथ ही उसके हस्ताक्षर लेना भी एक डिलीवरी ब्वॉय की खास जिम्मेदारी होती है। ऐसे में कई बार कस्टमर डिलीवरी ब्वॉय के पहुंचने पर कैश एमाउंट देने में देर करता है। एटीएम आदि से निकालने चले जाते हैं। मौसम सही न होने पर भी देर हो जाती है। निभेश का कहते हैं कि इस दौरान कस्टमर भी यह बात नहीं समझते हैं कि आइटम देर से डिलीवर करना न तो डिलीवरी ब्वॉयज का उद्देश्य और न उसका शौक होता है।

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सर्विस चार्ज में इतना अंतर क्यों

इस दौरान एक डिलीवरी ब्वॉय के रूप में बहुत कुछ झेलना पड़ता है। प्रवीन और निभेश जैसे डिलीवरी ब्वॉयज का कहना है कि यह एक बड़ी बात है कि जब ये कंपनियां अच्छी कमाई करती हैं तो डिलीवरी ब्वॉज के सर्विस चार्ज में इतना बड़ा अंतर क्यों है। वहीं फेस्टिव सीजन आते हैं और चले जाते हैं। हर साल दीवाली आती और चली जाती है और हमेशा लोगों की खुशियों की होम डिलीवरी करने में डिलीवरी ब्वॉयज को ऐसे ही झेलना पड़ता है। ऐसे में हो सकता अब आपको भी समझ में आ गया होगा कि आखिर इन डिलीवरी ब्वॉयज को खुशियों की होम डिलीवरी करने में कितने रुपये मिलते हैं। रुपये से ज्यादा फेस्टिवल के दौरान उन्हें उसके बदले में क्या-क्या मिलता है।

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