किशोर के गीतों में छुपे थे उनके अपने रंग
अपने हर गाने में किशोर कुमार के व्यक्तिव के पहलू भी छिपे होते थे। वो जो भी गाते थे उसके अहसास में डूब कर गाते थे। अगर आपको यकीन नहीं होता चलिए आज उनके 10 हिट गानों के जरिए उनसे मिलाते हैं और बताते हैं कि कैसे झांकते हैं अपने गीतों के अंदर से किशोर कुमार खंडवा वाले।
 
'मेरे महबूब कयामत होगी" (फिल्म मिस्टर एक्स इन बाम्बे): इस गाने को किशोर ने किस कदर डूब के गाया है कि ये उनके जीवन का हिस्सा बन गया। इसका पता तब चला जब उनके जीवन से पत्नी मधुबाला गई और उसकी तकलीफ सालों तक उनके साथ रही। शादी के बाद से ही मधुबाला बीमार थीं और किशोर ने पूरी लगन से उनका इलाज भी करवाया और सर्पोट भी किया।

"मुसाफिर हूं यारों" (फिल्म परिचय): फिल्म 'परिचय' का ये गीत तो पूरी तरह उनकी पहचान था। सारी जिंदगी जाने किस तलाश में किशोर भटकते रहे और गायक से स्क्रिप्ट राइटर, फिल्म मेकर और फिर एक्टर हर रंग में अपने ही अंदर सफर करते रहे।

"ये दिल ना होता बेचारा" (फिल्म ज्वेलथीफ): अब तो आप मानेंगे ना किशोर कुमार अपने गीतो में जीते थे। रूमा गुहा ठाकुरता, योगिता बाली फिर मधुबाला और आखीर में लीना चंद्रावरकर, किशोर कुमार का दिल किस किस पर नहीं आया।

"छू कर मेरे मन" (फिल्म याराना): ये गाना कुछ कहता तो है पर बताता नहीं है कि किसने किशोर के मन को इस तरह छुआ जिसके चलते उन्हें पूरी दुनिया से इतना प्यार हो गया कि उन्होंने सबको गीतों की ठंडी बारिश में भिगो दिया। 

Kishore birthday

"ये क्या हुआ कब हुआ" (फिल्म अमरप्रेम): किशोर का ये गीत भी उनके दिल की आवाज है और व्यक्तित्व का आइना। क्योंकि हर किसी अपनी तरह उन्हें जज किया किसी को वो अकड़ू लगे, किसी को कंजूस और किसी किसी ने उन्हें सनकी भी बता दिया पर असली किशोर तो अपनी धुन का दीवाना था जो बस गाता चला गया।

"मेरे सपनों की रानी" (फिल्म आराधना):  आप भी जानते हैं वो सालों अपने सपनों की रानी को तलाशते ही रहे।
 
"तुम बिन जाऊं कहां" (फिल्म प्यार का मौसम): किशोर अपने चाहने वालों के थे और बस उनके साथ ही सबसे ज्यादा खुश रहते थे। अपने फैंस के लिए उनके सारे इमोशन इस गाने में झलकते हैं।

"दिलबर मेरे कब तक मुझे" (फिल्म सत्ते पर सत्ता): ये भी वो चैलेंज हे जो उन्होंने अपने फैंस को ही दिया कि वो उनके गीतो के असर और आवाज के जादू से बच नहीं सकेंगे।

"ओ मांझी रे" (फिल्म खुश्बू): ये गीत किशोर के भीतर छुपे फक्कड़ को सामने लाता है जिसे दुनिया की किसी चीज में दिलचस्पी नहीं थी सिवाय प्यार और अपनेपन के।

"हमें तुमसे प्यार कितना" (फिल्म कुदरत): इसीलिए उन्होंने अपने चाहने वालों से और जिन्हें वो चाहते थे उन सबसे साफ कह दिया कि वो उनके बिना जी नहीं सकते।

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