विश्व रैंकिंग में नम्बर एक

17 जून, 1973 को गोवा में जन्में लिएंडर पेस डबल्स तथा मिक्सड डबल्स के सफल खिलाड़ियों में से एक हैं। इनका बैकग्राउंड खेल की दुनिया से ही था। इनके पिता डा. वैस अगापितो पेस हॉकी के मिड-फील्डर रहें वहीं इनकीउनकी मां जेनिफर पेस 1980 में भारतीय बास्केट बॉल टीम की कैप्टेन रहीं। शायद यही वजह रही है कि पेस ने महज 7 साल की उम्र से टेनिस सीखना शुरू कर दिया था। 1990 में ही पेस ने विंबलडन जूनियर का खिताब जीत लिया था। इसके बाद वे जूनियर विश्व रैंकिंग में नम्बर एक खिलाड़ी बन गए। पेस 2001 में  महेश भूपति के साथ 'पद्म श्री' सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं।

पेस-भूपति की जोड़ी ने ही इंडियन टेनिस को दिखाए थे 'अच्‍छे दिन'

भारतीय टेनिस के अच्छे दिन

कभी टेनिस जगत में लिएंडर पेस और महेश भूपति की जोड़ी एक भरोसेमंद जोड़ी थी। पेस-भूपति की जोड़ी ने ही भारतीय टेनिस को अच्छे दिन दिखाए हैं। 1996 से 2002 के बीच में इनका प्रदर्शन शानदार रहा। इनकी जोड़ी ने एक साथ 4 ओलंपिक खेले हैं। इसके अलावा इस जोड़ी ने जहां डेविस कप में 23 सीधी जीतों का रिकॉर्ड दर्ज कराया। वहीं तीन ग्रैंड स्लैम खिताब पर भी कब्जा जमाया। हालांकि साल 2002 से इनके बीच ऐसी अनबन हुई कि आज ये दोनों शख्स पास आते-आते रह जाते हैं। उन अच्छे दिनों की यादें आज भी लिएंडर पेस और महेश भूपति के दिलों में सिमटी हैं। जो चाहकर भी नहीं भूल पा रहे हैं।

पेस-भूपति की जोड़ी ने ही इंडियन टेनिस को दिखाए थे 'अच्‍छे दिन'

यादें दोनों के दिलों में बसीं

पेस के साथ इन दिनों खास अच्छा नहीं चल रहा है। साल 2012 भूपति ने लंदन ओलंपिक में पेस के साथ खेलने से मना कर दिया था। इसके बाद वर्तमान में भारत की डेविस कप टीम के नॉन प्लेइंग कप्तान बन चुके महेश ने इसी साल अप्रैल में पेस को डेविस कप से अंतिम समय बाहर कर दिया था। उज्बेकिस्तान के खिलाफ अंतिम समय टीम से बाहर निकाले जाने से पेस काफी नाराज हुए थे। उन्होंने इसे देशहित के खिलाफ और एक गलत फैसला बताया था। वहीं हाल ही में भूपति ने अपने एक बयान में कहा था कि पेस के साथ बिताए पल वह कभी नहीं भूल सकते। उन दोनों जैसा कमाल शायद कोई नहीं कर पाएगा।

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