24 साल की उम्र में डॉक्टर बनी

कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल के पिता डॉक्टर स्वामिनाथन एक वकील भी थे और उनकी मां अम्मुकुट्टी एक समाज सेविका व स्वाधीनता सेनानी थीं। लक्ष्मी सहगल ने 1938 में महज 24 साल की उम्र में मद्रास मेडिकल कालेज से एम.बी.बी.एस. पूरा कर डॉक्टर बनी थीं।

कर्नल पद की जिम्मेदारी संभाली

डॉक्टर लक्ष्मी सहगल के अंदर बचपन से ही देश के लिए कुछ करने की भावना थी। वह 1943 में आजाद हिन्द फौज की पहली महिला रेजिमेंट झांसी की रानी में कैप्टन बन गईं। साहसी महिलाओं से सजी इस रेजीमेंट में इन्होंने कर्नल पद तक की जिम्मेदारी भी संभाली।

वो अंग्रेजों से लोहा लेने वाली झांसी की रानी रेजिमेंट की कैप्‍टन थीं

सिंगापुर में गिरफ्तार हुई लक्ष्मीं

इस दौरान वह लगातार अंग्रेजों से मोर्चा ले रही थीं और उनका सिंगापुर आना जाना लगा रहता था। लक्ष्मी सहगल को 1945 में ब्रिटिश सेनाओं ने सिंगापुर में गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में वह करीब एक साल जेल में रहीं। जुलाई 1946 को वह भारत लाकर बरी की गईं।

राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ीं

डॉक्टर लक्ष्मी ने 1947 में कर्नल प्रेम कुमार सहगल से विवाह किया था। विवाह के बाद वह कानपुर आ गईं। लक्ष्मी सहगल ने राजनीति में भी खास भूमिका निभाई थी। 2002 में वह राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ीं थीं। वहीं महिला हितों की लड़ाई में भी वह हमेशा आगे रहीं।

पद्म विभूषण से सम्मनित हुई

कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल 1998 में भारत सरकार द्वारा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए दिए जाने वाले पद्म विभूषण से सम्मनित हुई थीं। कैप्टन डॉक्टर लक्ष्मी सहगल ने लंबी बीमारी के बाद 98 साल की उम्र में 23 जुलाई,  2012 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था।

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