भौतिक कारण
शिवलिंग पर जल चढ़ाने का एक कारण तो ये बताया जाता है कि इससे वहां मौजूद नकारात्मक उर्जा नष्ट होती है। जैसा कि कहते हैं कि शिव ने विषपान किया जिससे उनका मस्तक गर्म हो गया जिसे देवताओं ने उनके सिर पर जल डाल कर शीतल किया। यहां मस्तक गर्म होने से अभिप्राय नकारात्मक भावों के आपके भीतर उत्पन्न होने से और जल चढ़ा कर शीतल करने से अर्थ है कि उन्हें मन औश्र मस्तिष्क से बहा कर बाहर कर दिया जाए और स्वंय शीतल हो जायें।

आध्यात्मिक कारण
ये भी तर्क दिया जाता है कि मस्तिष्क के केंद्र यानि इंसान के माथे के मध्य में आग्नेय चक्र होता है जो पिंगला और इडा नाड़ियों के मिलने का स्थान है। वहां से आपकी सोचने समझने की क्षमता संचालित होती है और इसे शिव का स्थान कहते हैं। आप शांत रहें इसके लिए शिव का मन शीतल रहना आवश्यक है। इसीलिए शिवलिंग पर जल चढ़ाया जाता है जो शिव को शीतलता देने का प्रतीक है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के पीछे है यह विज्ञान

वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि सभी ज्योत्रिलिंगो पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। एक शिवलिंग एक न्यूक्लिअर रिएक्टर्स की तरह रेडियो एक्टिव एनर्जी से परिपूर्ण होता हैं। यही कारण है कि इस प्रलंयकारी ऊर्जा को शांत रखने के लिए ही शिवलिंगों पर निरंतर जल चढ़ाया जाता है। क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है, इसीलिए इस जल को बहाने वाले मार्ग को लांघा नहीं जाता। वहीं शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल, नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है।

 

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