- कैसे मिलेगा ब्लड, ब्लड बैंक के सामने ही कालाबारी

- चार हजार रुपए में एबी गुप पॉजिटिव ग्रुप देने पर राजी हुआ दलाल

- ब्लड बैंक के स्टाफ से चलता है खून का काला कारोबार

- ब्लड बैंक नियमों की करते हैं अनदेखी, रात में नहीं होते हैं डॉक्टर

PATNA : राजधानी में खुलेआम खून के धंधेबाजों की चलती है। यह सब हो रहा है ब्लड बैंक के पास। जय प्रभा ब्लड बैंक के बाहर ऐसे दलाल घूमते रहते हैं और जरूरतमंदों को लूटते हैं। ऐसे ही एक भुक्तभोगी ने अपनी आपबीती आई नेक्स्ट के साथ शेयर की। मोहम्मद कलीम अहमद (म्ब्) को दो यूनिट एबी पॉजिटिव ब्लड की जरूरत थी। इसके लिए उनका बेटा नययर अहमद जय प्रभा ब्लड बैंक गया। वहां रिसेप्शन पर ही बता दिया गया कि ये ब्लड ग्रुप नहीं है। जब वह कैंपस के पास के एक सत्तू शॉप पर गया तो वहां एक दलाल ने कहा कि आपका काम हो जाएगा। उसने ब्लड बैंक के एक स्टाफ को फोन लगाने के बाद यह कहा। उसने चार हजार रुपए में एक यूनिट ब्लड देने के की बात कही।

दो यूनिट के लिए जद्दोजहद

नासरीगंज, पठानटोली निवासी मो। कलीम अहमद किडनी में इनफेक्शन से पीडि़त है। उन्हें डॉक्टर ने कहा कि आपकी बॉडी में खून नहीं बन रहा है। उन्हें सहयोग हास्पिटल में भर्ती किया गया। डॉक्टर ने बताया कि चार यूनिट खून की जरूरत है। उनके बेटे मो नय्यर ने बताया कि दो यूनिट खून का इंतजाम एक दोस्त के डोनर कार्ड से और दूसरा रेड क्रॉस के ब्लड बैंक से हो गया, लेकिन बाकी दो यूनिट के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी। एक एनजीओ में काम करने वाले व्यक्ति से किसी प्रकार डोनर कार्ड का इंतजाम कर वह कंकड़बाग के जयप्रभा ब्लड बैंक गया, लेकिन वहां काउंटर पर गया तो बताया गया कि यहां एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप नहीं है। फिर तो वे दलाल के चक्कर में पड़ गया। उस दलाल ने पूरी पहले जानकारी लेकर कन्फर्म हो गया फिर रेट बताया।

मुश्किल से गुजारा चलता है

मो नय्यर ने बताया कि घर की माली हालत ठीक नहीं। वह टेलर का काम करता है। इसी से किसी परिवार का दैनिक खर्च किसी प्रकार चलता है। मैं तो सकते में आ गया कि आखिर अचानक चार हजार रुपए कहां से आएगा। अगर दोस्त मदद नहीं करता तो मेरे लिए पिता के लिए खून का इंतजाम करना शायद संभव न होता। उसने कहा कि जब ब्लड बैंक में खून था ही तो निश्चित रूप से दलाल को फायदा पहुंचाने के लिए जानबूझकर मना किया गया।

बिना संपर्क हर जगह परेशानी

इस बात से नय्यर काफी परेशान था। उसने अपने दोस्त नीरज से बात की। यहां उसे समाधान मिला। नीरज को संयोग से वहां के एक डॉक्टर एनके गुप्ता मिले। उन्होंने उसकी मदद की। इसके बाद ब्लड एंड कंपोनेंट रिक्वेस्ट फार्म जमा कर उसे ब्लड मिला। नय्यर ने कहा कि मेरे पास संपर्क था। दोस्त ने मेरी मदद की। पर उनका क्या जो बेहद आम इंसान हैं, लेकिन जरूरतमंद है। उन्हें तो ये दलाल अपना शिकार बना लेंगे।

ब्लड बैंक स्टाफ और दलाल

इस पूरी घटना से एक बात तो साफ है। बिना ब्लड बैंक स्टाफ के खून की कालाबाजारी तो हो नहीं सकती है। राजधानी पटना में पीएमसीएच, एनएमसीएच और महावीर कैंसर रोग संस्थान सहित तमाम बड़े हॉस्पिटलों के कैंपस के पास भी पहले दलाल गिरोह पकड़े गए हैं। कार्रवाई होती है और फिर ढाक के वही तीन पात। इस मामले को लेकर आई नेक्स्ट ने जय प्रभा ब्लड बैंक के डायरेक्टर डॉ ओम प्रकाश से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया।

खून लेने का क्या है नियम

नियमत: ब्लड की जरूरत होने पर ब्लड बैंक से ब्लड एंड कंपोनेट रिक्वेस्ट फार्म जमा कर उसमें संबंधित ब्लड ग्रुप की मांग लिखी जाती है। इसके बाद ब्लड डोनेट कर संबंधित ब्लड ग्रुप मिल जाता है। इसके लिए जय प्रभा ब्लड बैंक में भ्00 रुपए शुल्क लगता है। यह बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसाटी द्वारा संचालित है।

नियम से परे हैं ब्लड बैंक?

नियम के मुताबिक हर रजिस्टर्ड ब्लड बैंक को एड्स कंट्रोल सोसाइटी को यह जानकारी देना होता है कि हर दिन कितना ब्लड ग्रुप दिया गया और कितना यूनिट व किस ग्रुप का ब्लड स्टोर किया गया है। लेकिन प्राय: ब्लड बैंक इसकी जानकारी नहीं देते हैं। दूसरी ओर रात के वक्त कोई डॉक्टर मौजूद नहीं रहते है जबकि नियमत: कम से कम एक डॉक्टर नाइट ड्यिूटी पर उपलब्ध रहना चाहिए। इन बातों का जिम्मा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी का है। लेकिन संयोग से यह भी नजरअंदाज किया जा रहा है।

मुझे जय प्रभा ब्लड बैंक से एबी पॉजिटिव ब्लड ग्रुप नहीं मिला लेकिन इसके कैंपस के पास ही एक दलाल ने ब्लड बैंक के स्टाफ से बातकर चार हजार रुपए में इसे देने की बात कही।

- मो। नय्यर अहमद, पेशेंट