है ओलंपिक की तैयारी

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समित (आईओसी) के 2020 ओलंपिक से कुश्ती को बाहर करने के फैसले से पहलवानों में गुस्सा है। आगरा, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, अलीगढ़ आदि में दर्जनों बड़े अखाड़े हैं। इन अखाड़ों में सैकड़ों पहलवान ओलंपिक में कुश्ती लडऩे की आस लगाए दिन-रात पसीना बहा रहे हैं। ओलंपिक में सुशील और योगेश्वर दत्त के पदक जीतने के बाद में उनमें जुनून और उम्मीद सैकड़ों गुना बढ़ गया है।

जूझ रहे हैं पहलवान

सादाबाद के हरकेश पहलवान का कहना है कि आगरा के अकोला, खंदौली, हाथरस और मथुरा डिस्ट्रिक्ट के सैकड़ों पहलवान मिट्टी के अखाड़ों पर तैयारी कर रहे हैं। उनमें ओलंपिक खेलने की दम है, लेकिन कुछ तकनीकी खामियों की वजह से वे वहां तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालांकि धीरे-धीरे वह इस ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन आईओए का कुश्ती को ओलंपिक से बाहर करने का फैसले ने उन सभी की उम्मीदें चकनाचूर कर दी हैं।

कुश्ती का बढ़ा क्रेज

2012 के जिला केशरी चित्रा पहलवान ने बताया 2008 से पहले सिटी के यंगस्टर्स कुश्ती छोड़कर जिमों की ओर चले गए थे। शरीर को बनाने की चाहत में युवा पाउडर, इंजेक्शन और स्टीरॉइड्स का सहारा लेने लगे थे, लेकिन सुशील के 2008 में ओलंपिक कांस्य जीतने के बाद वह फिर से अखाड़ों की तरफ लौटने लगे थे। 2012 के ओलंपिक में सुशील ने रजत और योगेश्वर दत्त ने कांस्य पदक जीता तो पहलवानों में का उत्साह सैकड़ों गुना बढ़ गया और उनमें ओलंपिक खेलने का एक जुनून से सवार हो गया।

2016 की तैयारी जोरों पर

स्टेडियम के कुश्ती कोच नेत्रपाल के अनुसार कुश्ती के प्र्रति पहलवानों में इस कदर जुनून है कि इस समय स्टेडियम में जूडो के मैट पर दर्जनों पहलवान आगे तैयारी करने में लगे हुए हैं। 2016 ओलंपिक की तैयारी के लिए हर एक डिस्ट्रिक से पहलवान आ रहे हैं। लड़के ही नहीं लड़कियों में भी कुश्ती में इंट्रेस्ट ले रही हैं। स्टेट लेवल पर कई पहलवान मेडल जीतकर लाए भी हैं।

बाहर करने का कारण

कुश्ती को ओलंपिक से बाहर करने के फैसले पर आईओसी का कहना है कि लंदन ओलंपिक 2012 में टीवी रेटिंंग, टिकिट बिक्री, डोपिंग और लोकप्रियता को ध्यान में रखकर कुश्ती को बाहर किया गया है।

इनमें से एक को लेना है

कुश्ती के साथ बेसबाल, सॉफ्टबाल, स्काटवॉश, कराटे, स्पोर्ट क्लाइंबिंग, बेकवोर्डिंग, बुशु और रोलर स्पोट्र्स में से एक को ओलंपिक में शामिल करना है।

ओलंपिक में मेडल

सबसे पहले खशावा जाधव ने 1952 में कुश्ती में कांस्य पदक लाकर इसे ओलंपिक में पहचान दिलाई थी। उसके बाद गांव और शहरों में कुश्ती की ओर रुझान हुआ, लेकिन बीजिंग 2008 ओलंपिक में सुशील कुमार ने कांस्य पदक जीता तो युवाओं में कुश्ती के प्रति जबरदस्त रुझान पैदा हुआ। लंदन ओलंपिक में भी सुशील कुमार ने रजत पदक और योगेश्वर ने कांस्य पदक लेकर आये उसके बाद से तो पूरे देश में पहलवानों में ओलंपिक को लेकर एक जुनून भर गया।

इस फैसले से पहलवानों में उत्साह कम हुआ है, ओलंपिक में जाने का सपना उनके लिए सपना ही रह गया। इस तरह का आदेश अभी नहीं करना चाहिए था। पहलवान इसका विरोध करेंगे।

-नेत्रपाल सिंह, कुश्ती कोच आगरा स्टेडियम

मेरे अखाड़े पर अस्सी पहलवान तैयारी कर रहे हैं। आईओसी के फैसले से तगड़ा झटका लगा है। फैसले के विरुद्ध धरना प्रदर्शन करेंगे। ये विदेशों की साजिश है।

-हरकेश पहलवान, हाथरस

विदेशी लोगों ने इंडिया के पहलवानों का मजाक उड़ाया है। 2020 तक हमारे पहलवान दर्जनभर मेडल लेकर आते। इस डर से ओलंपिक से बाहर करने की प्लानिंग की है।

-रामेश्वर पहलवान, अलीगढ़

पंजाब, हरियाणा और यूपी में कुश्ती का क्रेज तेजी से बढ़ा है। हर एक पहलवान का सपना है कि वह ओलंपिक में भाग ले। आईओसी के फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे।

-शैलू चाहर, सादाबाद

आईओसी के फैसले का जिले से लेकर दिल्ली तक विरोध किया जाएगा। हमें पूरा विश्वास है कि 2020 के ओलंपिक में हमारे पहलवान हर कीमत पर हिस्सा लेंगे।

-बन्ने सिंह पहलवान, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष