-अकीदतमंदो ने सुन्नियों के सरताज आला हजरत को पेश किया खिराजे अकीदत

-2:38 बजे हुई कुल शरीफ की रस्म, मांगी गई दुआएं

बरेली: सौंवे उर्स-ए-रजवी के आखिरी दिन का आगाज बाद नमाज-ए-फज्र कुरआन ख्वानी से हुआ। सुबह 7 बजे महफिल का आगाज कारी रिजवान रजा ने तिलावत-ए-कुरान से किया। फिजाओं में आला हजरत की लिखी नात-ओ-मनकबत गूंजने लगी, जिसमें कुछ इस तरह रही चमक तुझसे पाते हैं सब पाने वाले, मेरा दिल भी चमका दे चमकाने वाले। इश्क मोहब्बत आला हजरत-आला हजरत को पेश किया। हाजी गुलाम सुब्हानी ने नात-ए-पाक का नजराना पेश किया। पूरा शहर रजा के रंग में रंगा नजर आया।

100 उलमा को इनामात से नवाजा

दरगाह प्रमुख मौलाना सुब्हान रजा खान सुब्हानी मियां व सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रजा कादरी अहसन मियां की सदारत और उर्स प्रभारी सय्यद आसिफ मियां की देखरेख में दुनिया भर से आए मशहूर उलमा, मुस्लिम स्कॉलर, शोहरा ने कलाम पेश किए। मेहमान-ए-खुसूसी मेहमान मारहरा शरीफ के सज्जादगान अल्लामा सय्यद अमीन मियां, अल्लामा नजीब मियां, अमान मियां रहे। दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां ने आला हजरत के लिए जिन उलमा ने बड़े काम को अंजाम दिया उनमें 100 उलेमा को इनामात से नवाजा। मुफ्ती हनीफ खान रजवी को उमरा और मुफ्ती सलीम नूरी को बगदाद का टिकट दिया। दरगाह से जुड़े नासिर कुरैशी ने बताया कि मारहरा शरीफ के सज्जादानशीन अल्लामा अमीन मियां ने सभी को सौ साला उर्स की मुबारकबाद दी। कहा कि 1307 हिजरी में आला हजरत ने मारहरा का शजरा लिखा। दुनिया में सबसे ज्यादा मुरीद मुफ्ती-ए-आजम हिन्द के हैं। मसलक आला हजरत पर कायम रहें, सऊदी और यहूदी हुकूमत इस्लाम के खिलाफ काम कर रही हैं। तौसीफ मियां की शारजाह में गिरफ्तारी को लेकर नाराजगी जताई। मारीशस ने आये मौलाना फैसल रजा ने कहा कि बरेली के इमाम ने करोड़ों मुसलमानों के ईमान और अकीदे की हिफाजत फरमाई। जामिया हमदर्द से आये स्कॉलर प्रो। सय्यद फजरुल्लाह चिश्ती ने कहा कि आला हजरत ने किसी एक मजहब की रहनुमाई नहीं फरमाई बल्कि पूरी दुनिया को अपने इल्म से नई सोच दी। सन् 1912 में इस्लामिक बैंकिंग का फार्मूला दिया। फतावा रजविया, कंजुल ईमान लिखी। वहीं अर्थशास्त्र, विज्ञान, कॉमर्स आदि 54 विषयों पर किताबें दी।

मुल्क में अमन व सलामती की दुआ

उर्स में फातिहा कारी अमीर हमजा, कारी अमानत रसूल और शजरा मौलाना शीरान रजा खान ने और खुसूसी दुआ हजरत मौलाना तौसीफ रजा खान तौसीफ मियां व अल्लामा अमीन मियां ने खुशहाली, मुल्क में अमन व सलामती के लिए की। स्टेज पर मौजूद उलमा को सुब्हानी मियां की तरफ से इनामात से नवाजा गया। उर्स की व्यवस्था राशिद अली खान, आबिद खान, हाजी जावेद खान, परवेज खान नूरी, शाहिद नूरी, नासिर कुरैशी, अजमल नूरी, औरंगजेब नूरी, ताहिर अल्वी, शारिक, आलेनबी, मंज़ूर खान, मुजाहिद बेग, एडवोकेट नावेद रजा, नासिर कुरैशी, तारिक सईद, शान रजा, कामरान खान, अशमीर रजा, कामरान खान, हाजी अब्बास नूरी, इशरत नूरी, जोहेब रजा, और मोहसिन रजा ने की। नबीरे आला हजरत मौलाना फैज रजा की 2 किताबों का विमोचन किया गया। मौलाना सुब्हानी मियां ने फैज मियां को फº-ए-शहादत की सनद सौपी।

बच्चों के हाथ में मोबाइल नहीं, बहारे शरीयत दें

दिल्ली से आए मौलाना सुहेल रजा ने कहा कि मुसलमान अपने बच्चों को टेलीविजन और मोबाइल की जगह उनके हाथों में बहारे शरीयत, कानून-ए-शरीयत, कंजुल ईमान दें। इंग्लैड के अल्लामा फरोग उल कादरी ने कहा कि दुनिया में सूफिज्म की पहचान कराने वाली जात का नाम आला हजरत है। आला हजरत की सबसे बड़ी खिदमत तहरीक-ए-इश्क- रिसालत है। आज ही कि नस्लें नहीं बल्कि आने वाली नस्लें आला हजरत पर खोज करेंगी। नबीरे आला हजरत मौलाना तौसीफ रजा खान ने कहा कि आला हजरत का पोता होने के नाते मुझ पर दुबई हुकूमत ने जुल्म और सितम ढाए। नींद की दवाई तो एक बहाना था। अल्लाह इन लोगों को हिदायत अता फरमाए। मुफ्ती कफील हाशमी व मुफ्ती रिजवान नूरी, मुफ्ती अय्यूब खान व कारी इकबाल, मौलाना ताहिर रजा व कारी अब्दुर्रहमान कादरी ने कहा कि बरेली रूहानी मरकज के साथ इल्म का भी मरकज है।

मौलानाओं ने की तकरीरें

मौलाना मुख्तार बहेड़वी, मौलाना बशीर उल कादरी व मौलाना बिलाल नूरी, नबीरे आला हजरत मौलाना अरसलान रजा खान, ताजुश्शरिया व रेहान ए मिल्लत, मारीशस से मौलाना कमर रजवी व मौलाना जीशान मंजरी, खानकाह-ए-बिलग्राम शरीफ के सज्जादानशीन सय्यद सुहेल मियां, खानकाह-ए-तहसीनिया के सज्जादानशीन हस्सान रजा खान, सय्यद आसिफ मियां, सय्यद सैफ मियां, फैज रजा खान, शीरान रजा खान, सूफी रिजवान नूरी, दरगाह वली के सज्जादानशीन शेख अनवर मियां, दरगाह शाहदाना वली के मुतवल्ली अब्दुल वाजिद खान ने तकरीरें कीं।

लाइव सुना गया उर्स-ए-रजवी

सोशल मीडिया पर उर्स-ए-रजवी का लाइव प्रोग्राम देश-विदेशों में खूब सुना गया। 100 वें उर्स-ए-रजवी के मौके पर आला हजरत के ऐसे मुरीद और अकीदतमंद जो किसी मजबूरी के तहत उर्स-ए-रजवी में शामिल नहीं हो पाए उनके लिए दरगाह प्रमुख सुब्हानी मियां ने लाइव ऑडियो की व्यवस्था की थी। लाइव प्रोग्राम तीनों दिन हिन्दुस्तान के अलावा मॉरिशस, इंग्लैंड, अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, ईराक, ईरान सहित बहुत से मुल्कों में सुना गया।