हिंदी और संस्कृत से एमए

2006 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उन्होंने पीएचडी की डिग्री

2007 में जयपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रूप में जुड़े

2015 में सबकुछ छोड़कर संत बन गए

व्याकरणाचार्य और ज्योतिषाचार्य की डिग्री भी

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PRAYAGRAJ: स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता में आ रही कमी और टीचर्स द्वारा क्लास नहीं लेने की शिकायत के बारे में आपने अक्सर सुना होगा। इन बातों को लेकर कई बार कई शिक्षकों पर कार्रवाई भी होने की खबरें सुनाई देती है। लेकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए सिर्फ एक पीरियड मिलने से नाराज होकर नौकरी छोड़ने की बात शायद ही किसी ने सुनी होगी। प्रखर परोपकार मिशन शिविर से जुड़े संत डॉ। बृजेश शास्त्री की कहानी ऐसी ही है।

डबल एमए की डिग्री
हिन्दी और संस्कृत दो विषयों में एमए करने के बाद 2006 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की। इसके बाद नेट-जेआरएफ क्वॉलीफाई करके अच्छी नौकरी की चाहत में तैयारी शुरू कर दी। 2007 में जयपुर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के रूप में नियुक्ति भी मिल गई। लेकिन वहां पर सिर्फ एक ही पीरियड पढ़ाने को मिलता था। डॉ। बृजेश शास्त्री बताते हैं कि उस समय उनकी सैलरी 60 हजार रुपए प्रतिमाह थी। ऐसे में उनको लगता था कि वह बच्चों को धोखा दे रहे हैं और उन्हें पढ़ाने के लिए पर्याप्त समय नहीं दे रहे है। इससे उनके अंदर हीनभावना आने लगी। इसके बाद उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी।

सुसाइड का भी आया था ख्याल
डॉ। बृजेश शास्त्री बताते हैं कि पढ़ाने में आत्मसंतुष्टी नहीं मिली तो उन्होंने पीसीएस जे की तैयारी शुरू कर दी। प्री और मेंस भी क्वॉलीफाई कर लिया। इसी दौरान उनके अंदर मोह माया से विरक्ति होने लगी। यह करीब 2015 की बात है। तब उन्होंने अध्यात्म की शरण में जाने और जन कल्याण के लिए कार्य करने का सोचा। वह बताते हैं कि उसी दौर में कई संतों के बारे में सुना। लेकिन कुछ संतों को लेकर हुई कंट्रोवर्सी के कारण उन्हें लगा कि वह संत भी नहीं बन पाएंगे। इसके बाद उनके अंदर कई तरह के विचार आने लगे। उन्हें लगा कि वह अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर पाएंगे। इससे अच्छा है कि वह आत्महत्या कर लें।

मिल गया नया रास्ता
इसी बीच उनकी मुलाकात प्रखर परोपकार मिशन के संस्थापक महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज से हुई। उनके सान्निध्य में आने के बाद उनकी संस्था से जुड़ने का मौका मिला। इसके बाद जीवन को नया रास्ता मिला। इस दौरान व्याकरणाचार्य और ज्योतिषाचार्य की डिग्री भी हासिल की। इसके बार से जन कल्याण के कायरें में अपने गुरु महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज के साथ लगा हूं। जीवन का एक ही मकसद है कि अधिक से अधिक लोगों के जीवन को सद्मार्ग पर लाना। मैं इसी कार्य में लगा हूं।