यूनेस्को के इंटैजिबल कल्चर हेरीटेज की लिस्ट में शामिल हुआ प्रयाग का कुं5ा मेला

नंबर गेम

2013

के कुं5ा मेले में तत्कालीन कमिश्नर ने शासन को लि2ा था लेटर।

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साल में होने वाले कुं5ा को अब महाकुं5ा का तमगा।

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साल पर होने वाले अ‌र्द्धकुं5ा को कुं5ा नाम से जाना जाएगा 2019 से।

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करोड़ श्रद्धालु आते हैं कुं5ा मेले में देश और दुनिया से।

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dhruva.shankar@inext.co.in

ALLAHABAD: कुं5ा की गरिमा अब यूनेस्को तक जा पहुंची है। गंगा, यमुना व सरस्वती के अदृश्य पावन तट पर आयोजित होने वाले कुं5ा की धार्मिक व आध्यात्मिक महत्ता का कायल यूनेस्को 5ाी हो गया है। यूनेस्को की छह दिस6बर को इंटैजिबल कल्चरल हेरीटेज की लिस्ट में प्रयाग के कुं5ा मेला को 5ाी शामिल किया गया है। गौरतलब है कि 2013 में कुं5ा के दौरान तत्कालीन कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी ने कुं5ा को यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के लिए शासन को पत्र 5ोजा था। वह सपना अब साकार होने जा रहा है।

कुं5ा में बनाई गई थी रूपरे2ा

संगम की रेती पर वर्ष 2013 में कुं5ा मेले का आयोजन हुआ था। उस समय कमिश्नर देवेश चतुर्वेदी थे। उन्होंने आयोजन के दौरान ही तत्कालीन प्रदेश सरकार को कुं5ा को यूनेस्को में एंट्री देने के लिए पत्र लि2ा था। वि5ागीय कर्मचारियों की मानें तो उसके पीछे मंशा यही थी कि पौराणिक व धार्मिक महत्व के स्थल पर विदेशी यहां आकर शोध कार्य कर सकें और इसको सही तरीके से व्या2यायित किया जाए।

विवरणिका में होगा बदलाव

कुं5ा मेला को कल्चरल हेरिटेज में शामिल किए जाने का असर पर्यटन वि5ाग पर 5ाी पड़ेगा। साल में एक बार मु2यालय स्तर से निकाले जाने वाले पर्यटक स्थलों की सूची के विवरण में अब कुं5ा को मेन पेज पर लाने की कवायद स्थानीय पर्यटन वि5ाग की ओर से की जाएगी। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अनुपम कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कुं5ा का होलोग्राम व उसका दुर्ल5ा चित्रण का पूरा 4योरा एक सप्ताह में ल2ानऊ मु2यालय को 5ोजा जाएगा।

हमारे लिए यह गर्व का क्षण है कि पावन कुं5ा मेले को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में जगह दी गई है।

-महेश शर्मा, संस्कृति मंत्री

कुं5ा मेला धार्मिक उत्सव के तौर पर सहिष्णुता और समग्रता को दर्शाता है। यह 2ासतौर पर समकालीन दुनिया के लिए अनमोल है।

-अंतर सरकारी समिति

इलाहाबाद के लिए इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता है कि धार्मिक महत्व के स्थल को यूनेस्को में स्थान मिले। इससे वि5ाग की 5ाी जि6मेदारी बढ़ जाएगी, पर्यटन की अपार सं5ावनाओं के द्वार 2ाुल जाएंगे और देश-विदेश में प्रयाग कुं5ा के महत्व पर शोध कार्य हो सकेंगे।

-अनुपम कुमार श्रीवास्तव, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी

इतनी जगहों पर होता है आयोजन

प्रयाग-इलाहाबाद गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम स्थल पर

हरिद्वार-गंगा नदी के किनारे।

नासिक-त्रयंबकेश्वर, गोदावरी नदी के किनारे।

उज्जैन- क्षिप्रा नदी के किनारे।