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PRAYAGRAJ: साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने प्रयागराज में चल रहे कुंभ मेला में मंगलवार को भारत भक्ति अखाड़ा नाम से नए अखाड़े की स्थापना की। इसके साथ ही उन्होंने अंतिम प्रमुख स्नान पर्व माघी पूर्णिमा के अवसर पर नई परंपरा का श्रीगणेश किया। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के शिविर में उन्होंने अखाड़े की स्थापना की। इस दौरान अखिल भारतीय विद्वत परिषद की मौजूदगी में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर पद पर पट्टाभिषेक भी किया गया। अब साध्वी प्रज्ञा ठाकुर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी पूर्ण चेतनानंद गिरि के तौर पर जानी जाएगी। गौरतलब है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम ब्लास्ट केस में आरोपी बनाए जाने के बाद सुर्खियों में आई थीं।

पहले जूना अखाड़े में थीं
मालेगांव बम ब्लास्ट में आरोपी बनाए जाने के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पर भगवा आतंकवाद का आरोप लगा था। उनकी गिरफ्तारी के बाद जूना अखाड़े ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि 2017 में कोई सबूत नहीं मिलने के बाद साध्वी को रिहा कर दिया गया था। इसके बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर जूना अखाड़े से उनका निलंबन वापस ले लिया था। लेकिन साध्वी को अखाड़े में कोई पद नहीं दिया गया था।

मान्यता की मोहताज नहीं
माघी पूर्णिमा के अवसर पर भारत भक्ति अखाड़ा की स्थापना करने के बाद स्वामी पूर्ण चेतनानंद गिरि ने दो टूक कहा कि मैं अखाड़ा परिषद की मान्यता की मोहताज नहीं हूं। देशसेवा के लिए भारत माता की संतान होना जरूरी है। हमारे अखाड़े की परंपरा शस्त्र व शास्त्र की है। यह देश के लिए स्थापित किया गया है। यहां किसी प्रकार का प्रपंच नहीं फैलाया जाएगा। क्योंकि सनातन संस्कृति में देशसेवा से बड़ा इस धरती पर भी कुछ नहीं है। देश की आतंरिक शांति के लिए अखाड़े का विस्तार किया जाएगा। इसके लिए देशभर में भ्रमण करके संत-महात्माओं को अखाड़े में जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

वर्जन
कुंभ मेला के दौरान सभी अखाड़ा-अखाड़ा कर रहे हैं। सनातन संस्कृति की रक्षा और परंपरा का निवर्हन करने के लिए देश में अनादि काल से तेरह अखाड़ों की परंपरा चली आ रही है। अखाड़ा परिषद किन्नर अखाड़े की तरह इस नए अखाड़े को भी मान्यता नहीं देता है।
-नरेन्द्र गिरि अध्यक्ष, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद