-एजेंटों ने कम्पनी पर भुगतान न करने पर रुपए हड़पने का लगाया आरोप

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BAREILLY: बैंकिंग और बीमा कंपनी केबीसीएल के डीडीपुरम स्थित ऑफिस में संडे को एजेंटों ने जबर्दस्त हंगामा किया। दरअसल, ब्रांच कर्मचारियों के साथ मीटिंग करने केबीसीएल मुरादाबाद के डिवीजनल मैनेजर सुरेन्द्र सिंह, राजकुमार गुप्ता व अजय चौहान समेत अन्य ऑफिसर्स पहुंचे थे। इसके बाद वहां पहुंचने एजेंटों ने फंसे रुपए वापस किए जाने की मांग को लेकर हंगामा काटा। एजेंटों से खुद को घिरा देख ऑफिसर्स भुगतान कराने का आश्वासन देकर वहां से ि1खसक गए।

2014 से रोक दिया था भुगतान

एजेंटों ने बताया कि कंपनी पहले केबीसीएल के नाम चलती थी अब कल्पतरु के नाम से चल रही है। कम्पनी ने 2014 के बाद एफडी और आरडी का भुगतान बंद कर दिया। एजेंट से एफडी और आरडी पूरी होने पर कम्पनी के कर्मचारी उससे पेपर जमा करने के बाद आश्वासन दे देते थे कि आपका भुगतान आ जाएगा। छह माह तक भुगतान नहीं आने पर दोबारा उसे चुरमुरा फरहा मथुरा के लिए भेज दिया जाता था। वहां से भी उसे यही बात सुनने को मिलती थी। परेशान होकर जब पीलीभीत और बरेली क्षेत्र के एजेंटों ने आफिस पर हंगामा किया तो कंपनी ने पीलीभीत और बरेली के ऑफिस डेली ओपन करना ही बंद कर दिया। पिछले दिनों एजेंटों ने पीलीभीत स्थित ऑफिस में कर्मचारियों की पिटाई कर दी थी।

संडे को पहुंचे थे कर्मचारी

संडे को ऑफिस कर्मचारियों के साथ मंत्रणा करने पहुंचे दूसरे ब्रांच के मैनेजरों के आने की भनक लगते ही सैकड़ों की संख्या में एजेंट भी आफिस पहुंच गए और हंगामा करने लगे। एजेंटों की मांग की थी कि उनके रुपए किसी भी कीमत पर वापस किए जाएं। जिससे वह जनता का पैसा वापस कर सकें।

केबीसीएल कम्पनी एफडी व आरडी के नाम पर लोगों से रुपए लेने के बाद उसे रियल स्टेट में लगा देती है। कम्पनी ने कई जगह प्लॉट भी खरीदे हैं। कंम्पनी का कहना है कि प्लॉट बिकने पर पैसे वापस दिए जाएंगे।

सुरेन्द्र सिंह केबीसीएल डिवीजनल मैनेजर मुरादाबाद

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काफी समय से इस कम्पनी में काम कर रहा था। लाखों रुपए अपना और लोगों का भी आरडी और एफडी के नाम पर लगवा दिया अब समय पूरा होने के बाद कम्पनी भुगतान नहीं कर रही है।

अजय शर्मा, एजेंट

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केवीसीएल ने सभी एजेंटों को पैसे जमा कराते के समय सपने दिखाकर पैसे जमा करा तो लिए, लेकिन अब एफडी आरडी का समय भुगतान का आया तो ब्रांच ने मना कर दिया।

वीर सक्सेना, एजेंट

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केबीसीएल कम्पनी में एजेंट के रूप में काम करता था सोचा कि कुछ खर्चा निकल आएगा। हमें क्या पता था कि हमारी बाइक भी छिन जाएगी। जिन लोगों के कंपनी में पैसे लगवाए थे, भुगतान न होने पर बाइक छीन ली।

उग्रसेन एजेंट

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पीलीभीत क्षेत्र में 2008 से काम करते हुए हमने लोगों का करीब एक करोड़ रुपए कम्पनी में लगवा दिया। जब भुगतान देने का समय आया तो कम्पनी टालमटोल करने लगी है। क्षेत्र में लोगों के पास जाने से डर लगने लगा है कि क्या कहूं लोगों से।

झम्मन लाल, एजेंट