हेडिंग--

किताब न पढ़ाई, लाइब्रेरी में सिर्फ चल रहा wi-fi

-काशी विद्यापीठ के सेंट्रल लाइब्रेरी में पढ़ाई के लिए कम, इंटरनेट यूज करने ज्यादा पहुंच रहे स्टूडेंट्स

-लाइबे्ररी में प्रॉपर बुक्स की कमी होने से स्टूडेंट्स स्मार्ट फोन पर रहते हैं बिजी

VARANASI

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के लाइब्रेरी में स्टूडेंट्स पढ़ाई के लिए कम अपना मोबाइल अपडेट करने के लिए ज्यादा पहुंच रहे हैं। एक समय था जब यहां स्टूडेंट्स किताबों से चिपके रहते थे, वहीं वे अब पूरे दिन अपने मोबाइल को निहारते दिखेंगे। इसके पीछे बड़ी वजह है लाइब्रेरी में प्रॉपर बुक्स का न होना। जबकि लाइब्रेरी को वाई फाई से लैस करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि यहां के स्टूडेंट्स भी देश की अन्य यूनिवर्सिटीज में पढ़ने वालों से कदम वे कदम मिला सकें। लेकिन यहां के स्टूडेंट्स फ्री इंटरनेट सुविधा का लाभ पढ़ाई के लिए कम, मोबाइल पर चैटिंग, बेवजह के एप्लीकेशन की डाउनलोडिंग व एंड्रायड फोन को अपडेट करने में ही बिजी रहते हैं। दूसरा लाइब्रेरी में सब्जेक्ट्स की बुक्स का न होना भी है।

किताबों के लिए नहीं लगती लाइन

जबकि काउंटर्स पर बुक लेने के लिए एक समय था कि लंबी-लंबी लाइन लगती थी। पर अब किताबों के लिए नहीं बल्कि हाई स्पीड मिले इसके लिए लाइब्रेरी खुलने से पहले ही स्टूडेंट्स यहां पहुंच आ रहे हैं। रिकॉर्ड के अनुसार पहले जहां एक दिन में पांच से छह सौ किताबें लाइब्रेरी से इश्यू और जमा होती थीं। यह संख्या अब नाममात्र रह गयी है। यहां तक कि ग‌र्ल्स के काउंटर्स भी खाली रहते हैं।

फर्श पर बैठने को मार

सेंट्रल लाइब्रेरी में लगे कुर्सी-टेबल से ज्यादा फर्श पर स्टूेंडट्स बैठते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भीड़ और इंटरनेट स्पीड पाने के चक्कर में स्टूडेंट्स ये भूल जाते हैं कि उन्हें कहां बैठना चाहिए और कहां नहीं। हाल यह है कि सुबह साढ़े दस बजे से पहले ही लाइब्रेरी के सामने स्टूडेंट्स का हुजूम पहुंच जाता है। जैसे ही ताला खुलता है स्टूडेंट्स जहां जगह मिलती है बैठ जाते हैं। ऐसे में फर्श गंदा ही रहता है। कर्मचारी उसी बीच में किसी तरह सफाई करते हैं।

यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से सेंट्रल लाइब्रेरी के लिए नयी बुक्स की लिस्ट तैयार करायी जा रही है। जल्द ही सेंट्रल के साथ ही डिपार्टमेंट की लाइब्रेरी में भी प्रॉपर बुक्स मिलने लगेंगी।

डॉ। साहब लाल मौर्य, रजिस्ट्रार, काशी विद्यापीठ